70 सालों से जजों कि नियुक्ति में सेक्स, पैसा, ब्लैक मेल होता है : जनार्दन मिश्रा

Collegium System

 

Collegium System: न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का गेटवे?

अभिषेक मनु सिंघवी सेक्स सीडी कांड और जज की नियुक्ति में गंदा खेल

एक वायरल सेक्स-सीडी में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को एक महिला वकील को जज बनाने का लालच देते हुए देखा गया।
यह वीडियो कोर्ट परिसर में रिकॉर्ड हुआ, जहां उस महिला ने पूछा – “जज कब बना रहे हो डियर?”
इस घटना ने पूरे Collegium System की साख पर सवाल खड़े कर दिए।

Collegium प्रणाली क्या है और कैसे काम करती है?

  • Collegium System ब्रिटिश राज से चला आ रहा एक विवादित ढांचा है जिसमें वरिष्ठ जज, निचली अदालतों के जजों की नियुक्ति करते हैं।

  • इसमें न कोई पारदर्शिता है और न कोई जन-जवाबदेही।

  • सुप्रीम कोर्ट के जज हाईकोर्ट के, और हाईकोर्ट के जज जिला अदालतों के जज चुनते हैं।

हाई-प्रोफाइल उदाहरण जहां कोलेजियम प्रणाली का दुरुपयोग हुआ

उदाहरण 1: अभिलाषा कुमारी – राजनीति से प्रेरित नियुक्ति

  • वीरभद्र सिंह ने अपनी बेटी को हिमाचल का महाधिवक्ता बना दिया और फिर उसे गुजरात हाईकोर्ट की जज नियुक्त करवा दिया।

  • बाद में उन्होंने नरेंद्र मोदी के विरुद्ध निर्णय दिए जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया।

उदाहरण 2: आफ़ताब आलम – सांप्रदायिक पक्षपात के आरोप

  • लालू यादव के समय में आफ़ताब आलम को जज बनाया गया।

  • सुप्रीम कोर्ट के 8 रिटायर्ड जजों ने आरोप लगाया कि आफ़ताब आलम मुस्लिम मामलों में पक्षपात करते हैं।

  • आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात दंगे से जुड़े मामलों की सुनवाई से हटा दिया।

NJAC – पारदर्शिता की ओर एक कदम

वर्तमान सरकार ने 2015 में National Judicial Appointments Commission (NJAC) के माध्यम से न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने की कोशिश की।

इसमें कौन-कौन था?

  1. सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश

  2. सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जज

  3. भारत का कानून मंत्री

  4. दो गणमान्य व्यक्ति (पीएम, CJI और विपक्ष के नेता द्वारा चयनित)

यह विधेयक संसद में सर्वसम्मति से पारित हुआ और 20 राज्यों ने समर्थन दिया।

NJAC को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज किया?

सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक कहकर खारिज कर दिया, जिससे यह मामला न्यायपालिका बनाम संसद के टकराव का प्रतीक बन गया।

क्या कुछ वरिष्ठ IAS मिलकर नए IAS नियुक्त कर सकते हैं?
नहीं, तो फिर जजों की नियुक्ति जज ही क्यों करें?

सुप्रीम कोर्ट पर दोहरा मापदंड?

  • गौरक्षकों पर बैन, दही हांडी और दीपावली के पटाखों पर रोक

  • वहीं रात दो बजे आतंकियों की सुनवाई, बकरीद पर कुर्बानी पर कोई रोक नहीं

  • तीन तलाक जैसे गंभीर मुद्दों पर भी धार्मिक हस्तक्षेप का बहाना

अभिषेक मनु सिंघवी की सीडी को क्यों हटवाया गया?

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और यूट्यूब से वीडियो हटवाने के आदेश दिए ताकि न्यायपालिका की छवि धूमिल ना हो
लेकिन सवाल यह है:

क्या सच्चाई को छिपाने से व्यवस्था साफ़ होती है या और ज़्यादा सड़ती है?

क्या अब लोकतंत्र को न्यायपालिका से जवाब नहीं चाहिए?

जनता लोकतंत्र की मालिक है, न कि जज।
अब समय है कि Collegium System की जगह जन-जवाबदेही प्रणाली लाई जाए।
और सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह जनमत का सम्मान करे, ना कि उसे रौंदे।

अब वक्त है कि न्यायपालिका के भीतर की गंदगी साफ़ की जाए।
यदि सुप्रीम कोर्ट खुद पर लगे गंभीर सवालों से नहीं जूझेगा, तो जनता का आक्रोश जल्द ही सड़कों पर दिखेगा।

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