काजल जादौन का बेटा बचाओ अभियान, False Rape Case
दामिनी प्रकरण (Nirbhaya Case) के बाद भारत में यौन शोषण विरोधी कानूनों POCSO ACT को काफी कठोर बना दिया गया।
हालांकि, इनका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा देना था, लेकिन अब इन कानूनों का दुरुपयोग (misuse) भी बहुत बढ़ चुका है।
अब कुछ मामूली आरोप भी non-bailable हो गए हैं।
इस कारण कई निर्दोष पुरुषों को अन्यायपूर्ण तरीके से सज़ा भुगतनी पड़ रही है।
बलात्कार कानून का बढ़ता दुरुपयोग False Rape Case
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी यह माना है कि कई महिलाएं अब इन कानूनों का उपयोग हथियार की तरह कर रही हैं।
वास्तव में, यह प्रवृत्ति समाज में गंभीर असंतुलन पैदा कर रही है।
इसके अलावा:
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बलात्कार के झूठे आँकड़े सामने आ रहे हैं।
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असली पीड़िताओं की credibility पर शक हो रहा है।
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और समाज की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुँच रहा है।
इसलिए, यह ज़रूरी हो गया है कि हम इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें।
काजल जादौन और ‘बेटा बचाओ अभियान’ False Rape Case, Pocso Act
ग्वालियर की काजल जादौन ने इस स्थिति को समझते हुए ज्वाला शक्ति संगठन की स्थापना की।
इसके तहत उन्होंने बेटा बचाओ अभियान की शुरुआत की।
उनका उद्देश्य स्पष्ट है –
उन निर्दोष युवकों को बचाना जो false rape case में फँसाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया:
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कई महिलाएं जानबूझकर पुरुषों को धारा 376, 354 और 498A में फंसा रही हैं।
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अक्सर ऐसे मामलों में जेल या फिर मोटी रकम देकर समझौता होता है।
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यह सब ज्यादातर पैसों के लालच से प्रेरित होता है।
इसलिए, उन्होंने समाज को इस खतरे के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया।
प्रेम प्रसंग बनाम शोषण False Rape Case : समझना जरूरी
हालांकि हर मामला अलग होता है, लेकिन काजल जादौन यह सवाल उठाती हैं:
अगर एक संबंध आपसी सहमति (consent) से बना है, तो बाद में उसे शोषण कहना कितना तर्कसंगत है?
दरअसल, कई महिलाएं थाने में रिपोर्ट लिखवाती हैं कि:
“शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाया गया।”
लेकिन अगर यह रिश्ता दोनों की मर्जी से हुआ था, तो फिर सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों?
इसलिए, इस तरह के मामलों में संदेह और जाँच आवश्यक है।
क्या वयस्क महिलाएं बहकाई जा सकती हैं?
काजल जादौन यहां भी एक प्रभावशाली तर्क देती हैं:
“जो महिलाएं मॉल में एक ड्रेस चुनने में घंटों सोचती हैं, क्या उन्हें कोई आसानी से बहका सकता है?”
इस कारण, काजल का कहना है कि:
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अगर कोई महिला कहती है कि उसे बहकाया गया, तो या तो वह बच्ची है,
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या उसे psychological help की आवश्यकता है।
वास्तव में, यह तर्क समाज को सोचने पर मजबूर करता है कि हम किसी भी आरोप को सिर्फ एक पक्ष से क्यों देखते हैं?
कानूनी बदलाव की आवश्यकता
इस विषय पर अब देरी नहीं होनी चाहिए।
अगर समय रहते बलात्कार निरोधक कानूनों में बदलाव नहीं हुआ तो:
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निर्दोष युवक लगातार पीड़ित होते रहेंगे।
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असली पीड़िताओं को भी न्याय मिलने में दिक्कत होगी।
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और अंततः, समाज में स्त्री-पुरुष के बीच अविश्वास की खाई और चौड़ी हो जाएगी।
इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि कानून संतुलित और निष्पक्ष हों।
पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना ही चाहिए मगर जो महिलाए सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून का दुरुपयोग करती है उन्हें सजा भी होनी चाहिए।निजी स्वार्थ के लिए किसी और की जिंदगी तबाह करना उचित नही है।
We need to be pro-active now regarding this
kya help chahiye