22 May 2025
भारतीय गायों की नस्लें – विस्तारपूर्वक जानकारी
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां पशुपालन विशेषकर गाय पालन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारतीय गायों की नस्लें अपने अनोखे गुणों, जैसे गर्मी और बीमारियों के प्रति सहनशीलता, लंबे जीवनकाल, कम देखभाल में भी अच्छे उत्पादन, और कृषि कार्यों में उपयोगिता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग नस्लों का विकास हुआ है। नीचे कुछ प्रमुख भारतीय गायों की नस्लों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
साहीवाल (Sahiwal)
- ️ क्षेत्र: पंजाब (मुख्यतः मोंटगोमरी जिला, अब पाकिस्तान में)
- ❇️ उपयोग: मुख्य रूप से दुग्ध उत्पादन
- विशेषताएँ:
- यह भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू नस्ल मानी जाती है।
- शांत स्वभाव, लाल या गहरे भूरे रंग की होती है।
- गर्म और आर्द्र जलवायु में भी आसानी से रह सकती है।
- औसत दूध उत्पादन: 8-12 लीटर प्रतिदिन (अच्छी देखभाल में इससे अधिक भी)
गिर (Gir)
- ️ क्षेत्र: गुजरात (मुख्य रूप से सौराष्ट्र)
- ❇️ उपयोग: दुग्ध उत्पादन में उत्कृष्ट
- विशेषताएँ:
- सिर पर उभरी हुई पेशियाँ और कान लंबे तथा नीचे लटकते हैं।
- दूध में उच्च वसा (fat) की मात्रा पाई जाती है।
- यह नस्ल ब्राज़ील और अन्य देशों में भी निर्यात की गई है और वहां भी सफल रही है।
थारपारकर (Tharparkar)
- ️ क्षेत्र: राजस्थान (थार मरुस्थल)
- ❇️ उपयोग: दूध और कृषि कार्य दोनों के लिए
- विशेषताएँ:
- अत्यधिक गर्मी में भी कार्य कर सकती है।
- रंग सफेद या हल्का भूरा होता है।
- यह एक दोहरी उपयोग वाली नस्ल है (दूध + हल चलाने के लिए)
लाल सिंधी (Lal Sindhi)
- ️ क्षेत्र: सिंध क्षेत्र (अब पाकिस्तान), भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में
- ❇️ उपयोग: दुग्ध उत्पादन
- विशेषताएँ:
- गहरा लाल या गाढ़ा भूरा रंग।
- मध्यम आकार की गाय, अच्छी सहनशीलता।
- 6–10 लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन।
राठी (Rathi)
- ️ क्षेत्र: राजस्थान (बीकानेर, नागौर)
- ❇️ उपयोग: दूध उत्पादन और कृषि कार्य दोनों
- विशेषताएँ:
- हल्की काली या भूरे रंग की चित्तीदार होती है।
- यह नस्ल कठोर जलवायु में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
नागोरी (Nagori)
- ️ क्षेत्र: राजस्थान (नागौर क्षेत्र)
- ❇️ उपयोग: विशेष रूप से कृषि कार्य
- विशेषताएँ:
- यह एक मजबूत और तेज़ चलने वाली नस्ल है।
- हल चलाने और गाड़ियों को खींचने में उपयुक्त।
हरियाणवी (Haryana)
- ️ क्षेत्र: हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार
- ❇️ उपयोग: कृषि कार्य + सीमित दुग्ध उत्पादन
- विशेषताएँ:
- रंग सफेद या हल्का ग्रे।
- यह नस्ल हल चलाने में बहुत उपयोगी है।
देवनी (Deoni)
- ️ क्षेत्र: महाराष्ट्र और कर्नाटक
- ❇️ उपयोग: दूध और भारवहन
- विशेषताएँ:
- रंग सफेद, काले या मिश्रित।
- अच्छी दुग्ध उत्पादन क्षमता के साथ-साथ मजबूत शारीरिक बनावट।
अमृतमहल (Amrit Mahal)
- ️ क्षेत्र: कर्नाटक
- ❇️ उपयोग: कृषि कार्य और सीमित दुग्ध उत्पादन
- विशेषताएँ:
- यह नस्ल विशेष रूप से सैन्य उपयोग (प्राचीन समय में) के लिए पाली जाती थी।
- तेज़ गति से चल सकती है और कठोर मेहनत के लिए सक्षम।
काकरेज (Kankrej)
- ️ क्षेत्र: गुजरात और राजस्थान
- ❇️ उपयोग: कृषि कार्य और दूध दोनों
- विशेषताएँ:
- बड़ा और मजबूत शरीर, सींग ऊपर उठे होते हैं।
- यह नस्ल थकावट सहन करने में सक्षम है।
निष्कर्ष:
भारत की देसी गायें केवल दूध देने तक सीमित नहीं हैं। वे देश की पारंपरिक कृषि व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये नस्लें स्थानीय परिस्थितियों में विकसित हुई हैं, इसलिए इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु सहनशीलता पाई जाती है। इन नस्लों के संरक्षण और संवर्धन से देश की जैव विविधता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
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