21वीं सदी में सबसे ज्यादा उनके मानव अधिकार का हनन हुआ जिन्होंने सबसे ज्यादा विश्व कल्याण के काम किए।

10 दिसंबर 2021

azaadbharat.org

आज मानव अधिकार दिवस मनाया जा रहा है लेकिन भारत में 21वीं सदी में सबसे ज्यादा मानव अधिकार का हनन 85 वर्षीय हिन्दू संत आशाराम बापू का किया गया है जिसपर किसी मानवाधिकार संगठन का ध्यान नहीं है। निर्दोष होने कई प्रमाण होते हुए भी उन्हें 9 साल से जेल में रखा गया है।

आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए। बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सही दिशा मिली। बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए उन्हें देश और समाज से दूर किया। https://youtu.be/j1cCIdlT50c

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीटर पर लिखा था कि आसारामजी बापू को जमानत से निरंतर न्यायिक इंकार करना
21वीं सदी में भारतीय न्याय की सबसे बड़ी निष्फलता है! आशाराम बापू का मामला फर्जी है! https://twitter.com/Swamy39/status/766258483054321664?s=08)

आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ में भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका सिर्फ एकमात्र कारण है- वंदनीय साधु-संतों की उपस्थिति, इनके लोक-मांगल्य के कार्य और सांस्कृतिक आयोजन जिनकी वजह से ही भारत में भारत की नींव “सनातन-संस्कृति और परोपकार” जीवित है। https://youtu.be/3r4Qn7NJwHY

21वीं सदी के हिन्दू संत आसारामजी बापू का नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है। प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं। भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता। देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया। https://youtu.be/wmswegtRqus

प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का हृदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है। जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारत-वासियों को मिली सही राह।

बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान आयोजित किया। कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया। हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8

संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए, लोक-हित के लिए, अपने मूल मंत्र “सबका मंगल, सबका भला” के साथ।

14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में। इससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष। साथ ही आधुनिकता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक-दूसरे का साथ। कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलती सुधारी। युवानों का संयम और परिवार का साथ देश के लिए बहुत जरूरी है- ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई। https://youtu.be/LrMcg10aWuk

25 दिसंबर को जो लोग क्रिसमस मनाते हुए शराब पीकर रात्रि को हानिकारक धुनों पर थिरकते थे और न खाने योग्य पदार्थों का सेवन कर पतन-कारक वातावरण में अपनी हानि करते थे ऐसे लोगों को जब बापू आसारामजी के सत्संगों से मार्गदर्शन मिला तो सभी क्रिसमस की जगह “तुलसी पूजन दिवस” मनाने लगे।
अगर कोई पौधा सबसे ज्यादा पूजनीय है इस धरा पर तो वो हैं हमारी तुलसी माँ, तो क्यों न इस दिन तुलसी माँ का ही श्रृंगार कर उनका पूजन करें। आखिर तुलसी जी को माँ यूँ ही नहीं कहा जाता, उनमें रोगप्रतिकारक शक्ति है। जैसे एक माँ अपने बच्चों को सभी हानियों से बचाती है वैसे ही माँ तुलसी हमारी रक्षक और पोषक हैं- ये बात वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुकी है। इस दिन बापू आसारामजी के कारण विश्व को मिला एक और उन्नति-कारक पर्व! https://youtu.be/fLyjdDWm7E0

भारत का स्वर्णिम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना। हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं। इतिहास के पन्नों में भारत को विश्व गुरु यानि कि विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि, संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान तथा अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे। अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वितीय अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा।

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