03 जुलाई 2019
सदियों से ही हिंदुओं पर अत्याचार होता आया है, कभी मुगल, कभी अंग्रेज, कभी विधर्मी हिन्दू धर्म पर तरह-तरह के कुठाराघात करते आए हैं । अगर हिंदुओं पर हुए अत्याचार को देखें तो खून के आँसू बह चलेंगे । हिंदुओं पर हुए अत्याचार को कलमबद्ध किया जाए तो समय पूरा हो जाएगा, लेकिन अत्याचार की भयावह कहानी पूरी नहीं होगी ।
अब से सैकड़ों वर्ष पहले मुगल भारत में आए और यहां अपना शासन स्थापित किया और तब से शुरू हुआ हिंदुओं पर अत्याचार का एक अत्यधिक भयानक सिलसिला । मुग़लो के काल से ही हिंदुओं के आस्थास्वरूप मंदिरों को तोड़ने का सिलसिला चल रहा है । कभी भगवान राम की, कभी श्री कृष्ण की, कभी देवी माँ की मूर्ति को तोड़ देते थे । श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या पर बने भगवान श्री राम के मंदिर को मुगलों ने ही तोड़ दिया था । अब फिर से वही इतिहास दोहराया जा रहा है ।
1000 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
700 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
30 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
6 महीने पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
आज फिर हमारे मंदिर को तोड़ा गया
700 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
30 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
6 महीने पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
आज फिर हमारे मंदिर को तोड़ा गया
जी हाँ देश की राजधानी दिल्ली में माँ दुर्गा जी के 100 साल पुराने मंदिर को जिहादियों द्वारा ‘अल्लाहु अकबर’ नारे के साथ बेरहमी से तोड़ दिया गया । मामला पुरानी दिल्ली के लाल कुआं इलाके की दुर्गा मंदिर गली का है, जहाँ पार्किंग न देने की वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया । हिंदुओं के घर मे घुसकर बहन-बेटियों और हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया। जिस पर पूरे देश की जनता ने आक्रोश व्यक्त किया ।
हिंदुओं को असहिष्णु कहने वाले लोग अब कहाँ हैं ?
मुसलमानों को डरा हुआ कहने वाले लोग अब कहाँ हैं ?
अवार्ड वापसी गैंग, नेता-अभिनेता एवं तथाकथित बुद्धिजीवी और सेक्युलर अब कहाँ हैं ?
क्या उन्हें हिंदुओं पर हुआ ये अत्याचार दिखाई नहीं दिया ? या सिर्फ एक समुदाय विशेष के लिए ही आगे आते हैं ?
भारत देश में मुस्लिमों को जितनी सुविधाएं दी गयी हैं, उतनी तो विश्व के किसी मुस्लिम देश में भी नहीं दी गयी, लेकिन पुरानी आदत है न “जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं” । इनको अगर किसी ने राई जितना भी बोला हो तो विधर्मी मीडिया बताती है पहाड़ बनाकर । और तब प्रगट होते हैं देश के सेक्युलर, बुद्धिजीवी, अवार्ड वापसी गैंग वाले । और यही नहीं कुछ अभिनेताओं को तो अपने आप को हिन्दू कहने में शर्म तक आने लगती है, लेकिन जब हिंदुओं पर हमला हो तब क्या ? कौन आता है आगे ? कौन उसकी परेशानियों को सुनता है ?
इतना सब होने पर भी कहते हैं कि देश का मुसलमान डरा हुआ है तो अब जरा इस डरे हुए मुसलमान की करतूतें भी देख लीजिए –
यही डरा हुआ मुसलमान तलवार की नोक पर अपना धर्म दूसरों पर थोपता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान हिंदुओं के मंदिर तोड़ता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान धर्मिक अधिकार बता गाय को सरेआम बेरहमी से काटता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान हिन्दू की बहू-बेटियों पर भी अत्याचार करता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान देश के रक्षक सैनिकों पर पत्थरबाजी करता है।
सच में मुसलमान कितना डरा इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
हर मुसलमान आतंकी नहीं है, हर मुसलमान मंदिर नहीं तोड़ रहा, लेकिन जो तोड़ रहे हैं वो कौन हैं? अल्लाहु अकबर का नारा किस मजहब का है? जिस आसानी से दो मुसलमान किशोरों के द्वारा बनाया गया विडियो, जिसमें एक लड़का दूसरे को ‘जय श्री राम’ बोलने कहता है, सारे हिन्दुओं के सर मढ़ दिया जाता है, वही सहजता, एक भीड़ के ‘अल्लाहु अकबर’ चिल्लाने के बाद भी क्यों नहीं दिखाई जाती?
मीडिया बोलती है ‘एक समुदाय के लोग’ मंदिर में घुस गए और तोड़फोड़ मचाई। वाह! कितना क्यूट वाक्य है। अंग्रेजी वाले और भी क्यूट लाइन्स लिखते हैं, ‘पीपल फ्रॉम अ कम्यूनिटी’। समस्या क्या है ? जब भीड़ की एक निश्चित पहचान है, और तुम्हें पता है कि ये भीड़ एक खास कम्यूनिटी या समुदाय विशेष की है, तो फिर उसके नामकरण में समस्या क्यों?
कब तक मीडिया ऐसी बेहूदगी करता रहेगा? जब आरोपित मुसलमान नाम वाला हो, जब भीड़ मुसलमानों की हो, तो ‘अ कम्यूनिटी’ या ‘समुदाय विशेष’ क्यों लिखा जाता है? आखिर ऐसा क्या विशेष है इस समुदाय में? एक विचित्र तर्क यह भी आता है अगर मीडिया ‘मुसलमान लिखेगी तो साम्प्रदायिक तनाव बढ़ जाएगा।’ क्या बेहूदी दलील है!
मतलब, हिन्दू नाम वाले के हाथों चोर को मारा जाए तो उसमें ‘नो जय श्री राम’ (#NoJaiSriRam)आ जाते हैं, कठुआ में आठ हिन्दू नाम वाले अपराधी संलिप्त हों तो पूरा सनातन धर्म ही सवालों के दायरे में आ जाता है, त्रिशूल पर कंडोम लगा कर वायरल किया जाता है, और जो हिन्दू नहीं हैं वो भी ‘आई एम अ हिन्दू, आई एम अशेम्ड’ की तख्ती गले में टाँगे नाचने लगते हैं।
मतलब, हिन्दू नाम वाले के हाथों चोर को मारा जाए तो उसमें ‘नो जय श्री राम’ (#NoJaiSriRam)आ जाते हैं, कठुआ में आठ हिन्दू नाम वाले अपराधी संलिप्त हों तो पूरा सनातन धर्म ही सवालों के दायरे में आ जाता है, त्रिशूल पर कंडोम लगा कर वायरल किया जाता है, और जो हिन्दू नहीं हैं वो भी ‘आई एम अ हिन्दू, आई एम अशेम्ड’ की तख्ती गले में टाँगे नाचने लगते हैं।
लेकिन, मुसलमानों की एक भीड़ मथुरा के भरत यादव की जान ले ले, मँगरू को तीन मुसलमान चाकुओं से गोद दें, सरे राह प्रेम करने के लिए हिन्दू लड़के को मुसलमान काट दे, दिल्ली में मंदिर पर ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगाती एक भीड़ चढ़ाई कर दे, मौलवी मस्जिद के भीतर किसी बच्ची का रेप करे, बंगाल में लगभग हर जिले में हिन्दू-मुसलमान दंगे हों, तो वहाँ मजहब के नाप का लोप हो जाता है। कहाँ जाता है कि शांति भंग हो जाएगी।
हिंदुस्तान एक मात्र ऐसा देश है जहाँ सभी धर्म, मजहब के लोग शांति पूर्वक निवास कर सकते हैं । हिंदुओं ने कभी किसी पर न अपना धर्म थोपा न ही दूसरे धर्मावलंबियों के धर्म की निंदा की । सदैव सबसे प्रेम भरा व्यवहार किया, लेकिन आज उसी हिन्दू के साथ क्या हो रहा है ? कभी धर्मांतरण का जहर, कभी छोटे से विवाद पर मार-पीट कभी उनके धर्म के रक्षक संतों पर अत्याचार,हिन्दू धर्म की धरोहर गौ, गीता, गंगा का अपमान, उनके मंदिरों में तोड़-फोड़ ।
अभी तो इनकी संख्या मात्र 20 करोड़ है तो देश में ये हालात हैं, सोचिये जब इनकी संख्या बढ़ेगी तो इस देश का क्या होगा ?
हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए, धर्म पर जो अत्याचार हो रहा है उसका सामना करना चाहिए और जबतक सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून नही बनाती है तबक़तक हिंदुओं को कमसे कम 4 बच्चे पैदा करना ही चाहिए।
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