भगवान गणेश जी का अवतार कैसे हुआ? प्रथम पूज्यनीय कैसे बने ? जानिए

31 August 2022

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🚩जिस प्रकार अधिकांश वैदिक मंत्रों के आरम्भ में ‘ॐ’ लगाना आवश्यक माना गया है, वेदपाठ के आरम्भ में ‘हरि ॐ’ का उच्चारण अनिवार्य माना जाता है, उसी प्रकार प्रत्येक शुभ अवसर पर सर्वप्रथम श्री गणपतिजी का पूजन अनिवार्य है।

🚩उपनयन, विवाह आदि सम्पूर्ण मांगलिक कार्यों के आरम्भ में जो श्री गणपतिजी का पूजन करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

🚩जिस दिन गणेश तरंगें पहली बार पृथ्वी पर आयीं अर्थात जिस दिन गणेशजी अवतरित हुए, वह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन था। उसी दिन से गणपति का चतुर्थी से संबंध स्थापित हुआ।

🚩शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिता के चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन आता है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपनी शक्ति से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण भर दिए और उसका नाम ‘गणेश’ रखा।

🚩पार्वतीजी ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूँ, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।

🚩भगवान शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका।

🚩अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे माँ भगवती क्रुद्ध हो उठी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।

🚩शिवजी के निर्देश अनुसार पर उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।

🚩माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया।

🚩भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तुम्हारा नाम सर्वोपरि होगा। तुम सबके पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों की अध्यक्षता करोगे।

🚩गणेश्वर! आप भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुये हैं। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी।

🚩सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता

🚩”गणेशजी ‘सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता’ करके शिव-पार्वती की सात प्रदक्षिणा की, दंडवत् प्रणाम किया तो गणेश जी पर शिवजी और माँ पार्वती ने कृपा बरसायी और गणेशजी प्रथम पूजनीय हुए, दुनिया जानती है । इसलिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने ‘वेलेंटाइन डे’ के कुप्रभावों से बचकर माता-पिता का सत्कार करने को कहा और 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस की शुरुवात की ।”

🚩लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश पूजन का विधान इसी कारण रखा गया कि धन जीवन में अहंकार, व्यसन जैसी बुराइयां लेकर न आये अर्थात गलत तरीकों से धन न कमाएं। ईमानदारी से कमाया गया धन ही हमारे लिए सुखकारी होगा, अन्यथा धन पाकर भी कितने लोग हैं जो सुखी नहीं रह पाते हैं।

🚩गणेश चतुर्थी के दिन गणेश उपासना का विशेष महत्त्व है। इस दिन गणेशजी की प्रसन्नता के लिए इस ‘गणेश गायत्री’ मंत्र का जप करना चाहिए:*
*महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।

🚩श्रीगणेशजी का अन्य मंत्र, जो समस्त कामनापूर्ति करनेवाला एवं सर्व सिद्धिप्रद है: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे। सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्नेशाय नमो नमः।।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, गणपति खंड : 13.34)

🚩गणेशजी बुद्धि के देवता हैं। विद्यार्थियों को प्रतिदिन अपना अध्ययन-कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान गणपति, माँ सरस्वती एवं सद्गुरुदेव का स्मरण करना चाहिए। इससे बुद्धि शुद्ध और निर्मल होती है।

🚩विघ्न निवारण हेतु…

🚩गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है।

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