26 October 2022
azaadbharat.org
🚩अभी अभी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों ने डाक्टरी की तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए हिंदी माध्यम की पुस्तकें तैयार कराने का कार्य करके भारत में एक नई पहल की है।
🚩परंतु बहुत कम लोगों को यह ज्ञात होगा की हिंदी माध्यम के द्वारा विज्ञान की पढ़ाई का कार्य आर्य समाज द्वारा लगभग 120 वर्ष पूर्व भी प्रारंभ कर दिया गया था। उस समय तो यह कल्पनातीत था ।महात्मा मुंशीराम जी ( संन्यास के पश्चात स्वामी श्रद्धानंद जी) ने सन 1902 ई में गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार की स्थापना की थी ।
🚩 वहां पर विज्ञान आदि की पढ़ाई हिंदी के माध्यम से ही कराई जाती थी। इस बारे में श्री संतराम जी बी ए, समाज सुधारक व जात पात तोड़ो मंडल लाहौर के संस्थापक ने लिखा है कि ( 1906 की बात है ), मैं कांगड़ी के गुरुकुल को देखना चाहता था।
🚩हरिद्वार के पंडे पुरोहित गुरुकुल का पता बताने से भी इंकार कर देते थे। हमारे पूछने पर उन्होंने कहा कि गुरुकुल वाले यहां से अपना डेरा डंडा उठा कर ले गए। यह सब ईर्ष्या द्वेश के कारण कहा जाता था।
🚩परंतु हमने खोज करके रास्ता ढूंढ लिया। नाव से गंगा पार की तथा गुरुकुल कांगड़ी में जा पहुंचे। महात्मा मुंशीराम जी ने हमारा स्वागत किया । आचार्य रामदेव जी ने हमें गुरुकुल दिखाया। हमने देखा लड़कों को हिंदी में ड्रिल कराई जा रही है। मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि ड्रिल में प्रयुक्त होने वाले शब्द हिंदी में भी हो सकते हैं।
🚩 मैंने कहा आप ड्रिल तो हिंदी में कर आते हैं पर रसायन शास्त्र और भौतिक विज्ञान किस भाषा में पढ़ाते हैं ?
🚩आचार्य रामदेव जी ने कहा चलिए आपको वह भी दिखा देते हैं। इस पर वह हमें रसायन अध्यापन के कमरे में ले गए। वहां श्यामपट्ट पर रसायन शास्त्र की हिंदी परिभाषा देखकर मेरे आश्चर्य की कोई सीमा न रही। मैंने अनुभव किया कि गुरुकुल कांगड़ी ही राष्ट्रीय महाविद्यालय कहलाने का अधिकारी है। ( संदर्भ: स्वामी श्रद्धानंद एक विलक्षण व्यक्तित्व, संपादक डॉ विनोद चंद्र विद्यालंकार, प्रकाशक श्री घूडमल प्रहलाद कुमार आर्य धर्मार्थ न्यास हिंडौन राजस्थान,पृष्ठ 149)
🚩स्वामी श्रद्धानंद जी की वाणी में कुछ ऐसा जादू था कि अर्थशास्त्र के उपाध्याय प्रोफेसर ठाकुर छेदीलाल एम ए, हिंदू यूनिवर्सिटी का ₹800 मासिक का वेतन छोड़कर गुरुकुल में ₹60 मासिक वेतन पर काम करने आ गए थे।
🚩इसी प्रकार अमेरिका में बाटनी की उच्च शिक्षा प्राप्त कर लौटने पर प्रोफेसर महेश चरण सिन्हा , प्रोफ़ेसर सेवा राम जी, श्री ताराचंद गाजरा, श्री विनायक गणेश साठे, श्री घनश्याम सिंह गुप्त, रामदेव जी आदि अनेक प्रतिष्ठित विद्वान उनकी प्रेरणा पर निर्वाह मात्र वेतन लेकर गुरुकुल की सेवा में तत्पर हो गए। स्वामी जी ने रसायन तथा भौतिक की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद करवाया था।( संदर्भ वही पृष्ठ 137)
🚩महामना मदन मोहन मालवीय जी ने काशी में हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई । वहां पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रखा गया था। महात्मा गांधी जी ने यह देखकर मालवीय जी से कहा जब हरिद्वार में गंगा के किनारे जंगलों में स्वामी श्रद्धानंद जी बच्चों को हिंदी के माध्यम से शिक्षा दे सकते हैं तो आप बनारस में गंगा के किनारे यहां के बच्चों को टेम्स का पानी क्यों पिला रहे हैं ?
🚩नवजागरण के पुरोधा महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने स्वदेशी स्वराज्य स्वधर्म स्वभाषा स्वदेश अभिमान के द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत की नींव आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व ही रख दी थी। पूरी दुनिया में हलचल मचा देने वाले उनके कालजयी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में क्रांति के बीज निहित हैं।
🚩भारतवासी मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान की पढ़ाई को हिंदी माध्यम से करवाने के निर्णय का स्वागत करते है।
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