भारत को विश्व गुरु क्यों कहा जाता है?

26 December 2024

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भारत को विश्व गुरु क्यों कहा जाता है?

भारत की सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का इतिहास इतना गहन और विशाल है कि इसे “विश्व गुरु” के रूप में संबोधित किया जाना स्वाभाविक है। भारत ने सदियों से दुनिया को न केवल भौतिक प्रगति के साधन दिए हैं, बल्कि आध्यात्मिकता, जीवन मूल्यों और सामंजस्यपूर्ण जीवन के सूत्र भी प्रदान किए हैं। आइए, जानते हैं कि भारत को विश्व गुरु क्यों कहा जाता है।

 

सभ्यता की प्राचीनता और उत्कृष्टता

 

भारत की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और उन्नत सभ्यताओं में से एक है।

 

सिंधु घाटी सभ्यता:

 

यह सभ्यता ईसा से लगभग 5000 वर्ष पूर्व की है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों में अत्यंत उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था और व्यापारिक संरचनाएं थीं। यहां की कला और लिपि उन्नत थीं जो यह दर्शाता है कि भारत उस समय ज्ञान और विज्ञान के उच्चतम स्तर पर था।

 

वैदिक सभ्यता:

 

सिंधु घाटी के बाद आर्यों ने वैदिक सभ्यता का विकास किया, जो संस्कृति, ज्ञान और दार्शनिक चिंतन का स्वर्णिम काल था। वेदों और उपनिषदों में ब्रह्मांड, आत्मा और परमात्मा के रहस्यों पर गहन चिंतन किया गया।

 

ज्ञान और दर्शन का केंद्र

 

भारत सदैव दार्शनिक और आध्यात्मिक चिंतन का केंद्र रहा है।

 

षड्दर्शन (छह दर्शन):

 

सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत जैसे दार्शनिक स्कूलों ने सृष्टि, जीवन और ब्रह्मांड के मूलभूत प्रश्नों पर तर्कपूर्ण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

 

उपनिषद और वेद:

 

उपनिषदों में आत्मा-परमात्मा के गहन संबंधों की व्याख्या की गई। यह विचारधारा न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बनी।

 

योग और ध्यान:

 

योग, जिसे आज पूरे विश्व ने अपनाया है, भारत की अनमोल देन है। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति का भी मार्ग है।

 

गणित और विज्ञान का योगदान

 

भारत ने प्राचीन काल से ही विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है।

 

गणित में क्रांति:

 

आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव की खोज की।

 

भास्कराचार्य ने खगोल विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अद्वितीय खोजें कीं।

 

चिकित्सा विज्ञान:

 

आयुर्वेद के जनक चरक और शल्य चिकित्सा के पितामह सुश्रुत ने चिकित्सा क्षेत्र में महान कार्य किए।

 

भारत में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का कार्य प्राचीन काल से होता आ रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय मान्यता:

 

भारतीय चिकित्सकों को अरब और यूरोप में भी सम्मान प्राप्त था।

 

कला, साहित्य और संस्कृति का प्रभाव

 

अजंता और एलोरा की गुफाएं:

 

ये गुफाएं भारतीय कला और वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।

 

संगीत और नृत्य:

 

भरतनाट्यम, कथक, और अन्य शास्त्रीय नृत्य भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं।

 

साहित्य का योगदान:

 

महाकवि कालिदास की रचनाएं, जैसे “अभिज्ञान शाकुंतलम,” विश्व प्रसिद्ध हैं।

 

चाणक्य का “अर्थशास्त्र” राजनीति और अर्थव्यवस्था का आधारभूत ग्रंथ है।

 

विश्व को मार्गदर्शन

 

शिक्षा का केंद्र:

 

प्राचीन भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों ने विश्वभर के छात्रों को शिक्षा दी।

 

आध्यात्मिकता का प्रसार:

 

भारत ने योग, ध्यान और धर्म के माध्यम से पूरी दुनिया को आत्मिक शांति और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया।

 

भौतिक और आध्यात्मिक समन्वय:

 

भारत ने दुनिया को सिखाया कि भौतिक उन्नति और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है।

 

भारत: आज भी विश्व गुरु

 

आज भी भारत अपनी संस्कृति, योग, आयुर्वेद और ज्ञान परंपरा के माध्यम से विश्व को प्रेरित कर रहा है। पश्चिमी देशों ने भारतीय विचारधाराओं को अपनाकर अपनी जीवनशैली में सुधार किया है।

 

निष्कर्ष

 

भारत को “विश्व गुरु” कहना केवल ऐतिहासिक तथ्य नहीं है, बल्कि यह एक वास्तविकता है। प्राचीन समय से लेकर आज तक, भारत ने अपने ज्ञान, विज्ञान, और संस्कृति के माध्यम से पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दिया है। हमें अपनी इस विरासत पर गर्व करना चाहिए और इसे सहेजकर अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।

 

“भारत न केवल विश्व का केंद्र है, बल्कि मानवता का मार्गदर्शक भी है। यही कारण है कि इसे ‘विश्व गुरु’ कहा जाता है।”

 

 

 

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