विश्वगुरु भारत के बढ़ते कदम के पीछे भारत के संतों के शुभ संकल्प।

29 मार्च 2022

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भारत देश संतो का देश है,विश्वगुरु भारत बने हमारा ऐसे शुभ संकल्प सदैव संत करते है,तभी तो आज भारत विश्वगुरु के रूप में नजर आ रहा है।

भारत भूमि देव भूमि है,संतो की भूमि है और संतो के शुभ संकल्पों के कारण ही आज भारत विश्वगुरु के बढ़ते कदम पर है।

आज पश्चिमी देशों के पास भारत ही है एकमात्र विकल्प है ,क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध से गहराये खाद्य संकट के बीच अब पश्चिमी देशों का अन्नदाता बनेगा भारत।

व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अमेरिकी सरकार ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए है,अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि इन प्रतिबंधों के बाद अन्न की कमी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

विश्व नेताओं के साथ बैठक के बाद बाइडेन ने बेल्जियम के ब्रुसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की बाइडेन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया को खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।

यूक्रेन-रूस युद्ध से सीधे तौर पर यूरोप प्रभावित हुआ है ,यूरोपीय देश खाद्य संकट का सामना करने लगें है , दुनिया भर में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं ,कुल मिलाकर रूस और यूक्रेन वैश्विक गेहूं निर्यात का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा निर्यात करते हैं।

रूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और यूक्रेन भी गेहूं के निर्यात को जारी रखने की स्थिति में नहीं है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने स्वीकार किया है कि एक वास्तविक और गंभीर भोजन की कमी उन्हें बहुत जल्द प्रभावित कर सकती है ,ऐसे में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है,जो अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों की मदद कर सकता है।

भारत 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में से लगभग 14.14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बना था , हाल ही में सरकार ने विदेशों में भारत के राजनयिक मिशनों को देश के रिकॉर्ड घरेलू गेहूं के भंडार और निर्यात के लिए सुविधा विकसित करने का निर्देश दिया था।

वर्तमान में भारत में सरकारी अनाज भंडारों में 100 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न है,भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन करता है ,जबकि इसका एक बड़ा हिस्सा घरेलू खपत में जाता है , ऐसे समय में जब यूरोप और अमेरिका संकट से जूझ रहे हैं तो भारत मदद के लिए हाथ बढ़ाने को तैयार है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है 2019 में भारत ने 7.1 बिलियन डॉलर के चावल का निर्यात किया , जो वैश्विक चावल निर्यात का 32 प्रतिशत है, 2020 में वियतनाम और चीन जैसे प्रमुख चावल निर्यातकों को भी भारत ने अनाज निर्यात किया था।

भारत सरकार ने रूस और यूक्रेन पर निर्भर बाजारों पर कब्जा करने के लिए एशिया और अफ्रीका के कई देशों में गेहूं के निर्यात को सुचारू रूप से करने के लिए कई उपाय किए हैं।

एक समय था जब भारत को पश्चिम के अमीर और शक्तिशाली देशों ने घटिया प्रकार का अनाज भेजा था और आज वही भारत दुनिया के तथाकथित महाशक्तियों को उच्च गुणवत्ता वाले अनाज का निर्यात करेगा ताकि उनकी आबादी को भुखमरी के हालात न देखने पड़ें।

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