27 अक्टूबर 2021
azaadbharat.org
सुदर्शन चैनल के चेयरमैन सुरेश चव्हाणके ने बताया कि आध्यात्मिक कार्य में हिंदू संत आशारामजी बापू के 50 साल तो कम-से-कम हो ही गये हैं। इतने सालों में 6 करोड़ भक्त हैं। मैं इस आँकड़े को कम करके कहता हूँ क्योंकि कोई यह न कहे कि यह बढावा है। माना 2 करोड़ भक्त 50 सालों तक अगर शराब नहीं पीते हैं तो 18 लाख 82 हजार करोड़ रुपये बचते हैं। अगर सिगरेट का आँकडा निकालें तो 11 लाख करोड 36 हजार रुपये होते हैं। ऐसे ही गुटके का आँकड़ा है। बापू आशारामजी के सुसंस्कारों से जिनके कदम डांस बार जाने से रुके उनके आँकडे भी ऐसे ही होंगे। ब्रह्मचर्य का जो संदेश बापू आशारामजी ने दिया है, उससे अश्लील सामग्री बनानेवाली कम्पनियों का लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इन सारे आँकड़ों को मैं अभी जोड़ रहा था तो ये आँकड़े कई लाख खरब में जा रहे हैं। इतने खरब रुपये का बापू आशारामजी ने जिन कम्पनियों का नुकसान किया है, उनके लिए कुछ हजार करोड़ रुपये बापूजी के खिलाफ लगाना कौन-सी बडी बात है! इसके पीछे का असली अर्थशास्त्र यह है।
जो पिछले 1200 सालों में सम्भव नहीं हुआ वह आनेवाले 10 सालों में दिख रहा है। इन 10 सालों में इस देश को गुलाम बनाने से रोकने में सबसे जो बड़ी शक्ति है तो वह आशारामजी बापू हैं। इसी कारण ये सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। ऐसे में हम लोगों को इनका साथ देना जरूरी है।
नए त्यौहार से पाश्चात्य संस्कृति को रोका, विदेशी कंपनियों को घाटा हुआ
संत आसारामजी ने सन् 2007 से 14 फरवरी को ‘वेलेन्टाइन डे’ की जगह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना शुरु करवाया। इसका ऐसा प्रचार हुआ कि मानो ‘वेलेन्टाइन डे’ को उखाड़ने का ताँडव शुरु हो गया हो। मलेशिया, ईरान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, जापान, आदि देशों ने वैलेन्टाइन डे पर प्रतिबंध लगा दिया। ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस विश्वव्यापी हो गया है जिससे ‘वेलेन्टाइन डे’ से जुड़े सप्ताह के दौरान चॉकलेट, फूल, ग्रिटींग कार्ड, गर्भ निरोधक दवाइयों और विभिन्न उपहारों की बिक्री के कारोबार में भी अरबों रुपयों का नुकसान हुआ।
बापू आशारामजी ने जेल में रहते हुए भी 2014 से 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ की जगह ‘तुलसी पूजन दिवस’ के नये त्यौहार का प्रचार-प्रसार अपने अनुयायियों से करवाया। धर्मान्तरण करने वाला ईसाई जगत, बापू के जेल में जाने के बाद भी परेशान है।
विभिन्न योजना चलाकर कुसंस्कारों को रोका
संत आसारामजी बापू ने भारत में 17000 से अधिक निःशुल्क बाल संस्कार केन्द्र, 40 वैदिक गुरुकुल, प्रतिवर्ष 4000 भगवान नाम की संकीर्तन यात्राएँ, 1500 जगह गीता-भागवत सत्संग, 4,86000 भजन संध्या-कार्यक्रम तथा भारत में प्रति वर्ष 2200 ‘विद्यार्थी उत्थान शिविर’, 25 से 27 लाख ‘विद्यार्थियों को ब्रह्मचर्य पालन करवाने के लिए ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश प्रतियोगिता’, 2 लाख 50 हजार ‘युवा संस्कार सभाएँ’ आदि के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति को भारत में फैलने से रोका और इससे विदेशी कंपनियों के सामान की बिक्री कम हुई।
संत आसाराम बापू की भविष्यवाणियाँ
सन् 1999 में बापू ने पहली बार कहा भारत विश्वगुरु बनकर ही रहेगा।
भारत को विश्वमानव की पीड़ा हरने वाला बनाना है और बनेगा… ऐसी कई आत्माएं प्रकट हो चुकी हैं, करोड़ों बच्चे भारत को विश्वगुरु बनायेंगे।
इसके कारण राष्ट्र विरोधी ताकतें हिल गई थीं।
सन् 2004 में कहा था हमारे आश्रम, समितियों व हमारे ऊपर झूठे आरोप व षड्यंत्र होगें जिसके लिए आप सभी शिष्यों को तैयार रहना होगा।
अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है…
सुरेश चव्हाणके ने बताया कि मैं दावा कर सकता हूँ कि अगर विदेशी षड्यंत्र की लड़ाई आपने नहीं जीती तो साधु-संतों के बाद ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता जो स्वदेश और देश-धर्म की बात करता है उसका नम्बर लगना तय है। आज संत आशारामजी बापू हैं, कल आप और हम हैं। यह लड़ाई खत्म हुई- ऐसा नहीं है। अब यह लड़ाई शुरू हो चुकी है और यह लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक इस देश के खिलाफ षड्यंत्र खत्म नहीं होता।
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