Vasubaras Gay Goras Pujan Rama Ekadashi- वसुबारस, गाय गोरी पूजन और राम एकादशी का वैदिक इतिहास

 

Vasubaras Gay Goras Pujan Rama Ekadashi : वसुबारस, गाय गोरी पूजन और राम एकादशी का वैदिक इतिहास

वसुबारस (Vasubaras) दिवाली पर्व का शुभारंभ मानी जाती है। यह दिन गौ-पूजन और मातृत्व के प्रतीक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को आती है। इसे ‘गोवत्स द्वादशी’ या ‘गौ-बारस’ भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएँ गाय और बछड़े की पूजा करती हैं। यह पर्व जीवन में समृद्धि, शांति और धर्म की रक्षा का प्रतीक है।

Vasubaras : दिवाली की शुरुआत का प्रथम पर्व

वसुबारस से दीपावली का आरंभ होता है। ऋग्वेद, अथर्ववेद, और स्कंद पुराण में गौमाता के महत्त्व का विशेष उल्लेख मिलता है। ‘गोः सर्वस्य जननी’ — गाय को समस्त सृष्टि की माता कहा गया है। वसुबारस पर गाय और बछड़े की पूजा करने से घर में ‘वसुओं’ का वास होता है, जो समृद्धि, बल और तेज के प्रतीक हैं। इस दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और गाय को हरी घास, गुड़ और चने का भोग लगाती हैं।

Vasubaras का शास्त्रीय उल्लेख (From Vedas and Puranas)

वेदों में कहा गया है कि “गोभ्यः प्रीतिर्ममास्तु नित्यं” — अर्थात गायों से सदा प्रेम करो। स्कंद पुराण और पद्म पुराण में उल्लेख है कि जो व्यक्ति वसुबारस के दिन गोमाता की पूजा करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Gay Goras Pujan : मातृत्व और करुणा का पर्व

गाय गोरी पूजन (Gay Goras Pujan) वसुबारस का ही एक अंग है। ‘गोरस’ अर्थात गाय का दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर — इन पंचगव्यों का आध्यात्मिक और औषधीय दोनों दृष्टियों से विशेष महत्त्व है। आयुर्वेद में कहा गया है कि पंचगव्य शरीर की शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है।

गाय गोरी पूजन का तात्पर्य केवल पशु पूजा नहीं बल्कि प्रकृति और मातृत्व का सम्मान है। मनु स्मृति में कहा गया है — “गौः माता विश्वस्य” अर्थात गाय समस्त जगत की माता है। इस दिन गौशालाओं में विशेष पूजा, भजन, और आरती का आयोजन होता है।

Rama Ekadashi : श्रीहरि विष्णु को समर्पित पवित्र व्रत

राम एकादशी (Rama Ekadashi) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह व्रत श्रीहरि विष्णु को समर्पित है और दीपावली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंद पुराण में इस व्रत की महिमा विस्तार से वर्णित है।

Rama Ekadashi का महत्व और कथा

पद्म पुराण के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस व्रत का फल पूछा। श्रीकृष्ण ने कहा — “जो राम एकादशी का व्रत करता है, उसे असीम पुण्य प्राप्त होता है और उसके पाप नष्ट हो जाते हैं।” इस दिन व्रतीजनों को उपवास रखकर श्रीहरि विष्णु के नाम का स्मरण, दीपदान और दान-पुण्य करना चाहिए।

Vasubaras, Gay Goras Pujan और Rama Ekadashi का आपसी संबंध

ये तीनों पर्व दीपावली की शृंखला में आते हैं — वसुबारस से दिवाली का आरंभ होता है, राम एकादशी से आत्मशुद्धि और भक्ति की भावना जागृत होती है, और गाय गोरी पूजन से समाज में करुणा, सेवा और धर्म का प्रसार होता है। यह त्रयी भारतीय संस्कृति के उस आदर्श को दर्शाती है जिसमें धर्म, अर्थ और मोक्ष का संतुलन है।

Sanatan Dharma में गौपूजन का वैदिक दृष्टिकोण

ऋग्वेद में ‘गावो मे अस्य पृथिव्या’ कहा गया है — गाय पृथ्वी के समान पूज्य है। यजुर्वेद में उल्लेख है कि “गौः शरणं पवित्रं” — गाय शुद्धता का प्रतीक है। महर्षि व्यास ने कहा कि जहाँ गाय का वास होता है, वहाँ स्वयं लक्ष्मी निवास करती हैं। अतः दीपावली से पूर्व वसुबारस पर गाय पूजन, वास्तविक रूप में लक्ष्मी पूजन का ही प्रारंभ है।

वसुबारस, गाय गोरी पूजन और राम एकादशी — ये केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि जीवन के नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों की पुनः स्थापना के अवसर हैं।

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