उनाकोटी (Unnakoti ) त्रिपुरा का रहस्यमय शिव तीर्थ और इतिहास

Unnakoti Tripura Shiv Temple: त्रिपुरा का रहस्यमय शिव तीर्थ

पूर्वोत्तर भारत का त्रिपुरा राज्य अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यह अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर का घर भी है। इन्हीं में Unnakoti Tripura Shiv Temple एक प्रमुख स्थल है। यह अपने विशाल शिला-चित्रों और मूर्तियों से यात्रियों को आकर्षित करता है। ‘एक कोटि से एक कम’, यानी 99,99,999 मूर्तियों का यह स्थान प्राचीन कला और प्रकृति का संगम है।

Unnakoti का ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व

Unnakoti का इतिहास अब भी रहस्य बना हुआ है। माना जाता है कि मूर्तियाँ 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच बनीं। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञ इन्हें और भी प्राचीन मानते हैं। इसके परिणामस्वरूप, यह स्थल गुप्त और पाल-सेन काल की कला शैली को दर्शाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया है। इसके अलावा, संरक्षण कार्य भी लगातार जारी है।

मुख्य मूर्तिकला प्रकार

  • शिला-चित्र (Rock Carvings)
  • शिला-मूर्तियां (Stone Images)

सबसे प्रसिद्ध मूर्ति ‘उनाकोटेश्वर काल भैरव’ की है। इसकी ऊँचाई लगभग 30 फीट है। इसके चारों ओर देवी दुर्गा, गणेश, नंदी और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं।

Unnakoti से जुड़ी किंवदंतियाँ

लोककथा के अनुसार, भगवान शिव यहाँ एक करोड़ देवी-देवताओं के साथ रुके थे। लेकिन, सुबह केवल शिव ही जागे। बाकी सभी सोते रहे। इसलिए, शिव ने सभी को पत्थर में बदल दिया। इस प्रकार यहाँ 99,99,999 मूर्तियाँ बनीं।

एक अन्य कथा के अनुसार, शिल्पी कल्लू कुमार ने एक रात में एक करोड़ मूर्तियाँ बनाने का प्रयास किया। हालाँकि, सुबह तक एक मूर्ति कम रह गई। परिणामस्वरूप, इस स्थान का नाम ‘Unnakoti’ पड़ा।

Unnakoti यात्रा और पर्यटन

Unnakoti प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम है। यहाँ घने जंगल, झरने और गुफाएँ हैं। इसलिए, यह स्थल पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

  • कैसे पहुँचें: अगरतला से 178 किमी। नज़दीकी शहर कैलाशहर (10 किमी)।
  • हवाई मार्ग: महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा, अगरतला।
  • रेल मार्ग: कुमारघाट रेलवे स्टेशन (20 किमी)।
  • सड़क मार्ग: बस और टैक्सी उपलब्ध।
  • सर्वश्रेष्ठ समय: अक्टूबर से मार्च।

प्रमुख आकर्षण

  • उनाकोटेश्वर काल भैरव
  • गणेश मूर्तियाँ
  • शक्ति पीठ
  • झरने और गुफाएँ

हर साल अप्रैल में अशोक अष्टमी का मेला आयोजित होता है। इस समय हजारों लोग यहाँ आते हैं। इसलिए, यह आयोजन Unnakoti की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को और भी मजबूत बनाता है।

 

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