तुलसी पूजन दिवस: Tulsi Pujan Diwas का आध्यात्मिक महत्व





तुलसी पूजन दिवस: Tulsi Pujan Diwas का आध्यात्मिक महत्व

Tulsi Pujan Diwas: तुलसी पूजन दिवस का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व

भारत की सनातन परंपरा में तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि साक्षात देवी-तत्त्व मानी गई है। शास्त्रों में तुलसी को “हरि-वल्लभा” कहा गया है, अर्थात भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय। यही कारण है कि Tulsi Pujan Diwas को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।

25 दिसंबर को मनाया जाने वाला तुलसी पूजन दिवस पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा वर्ष 2014 में सामाजिक और धार्मिक जागरण के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया। यह दिवस हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति और अध्यात्म से पुनः जोड़ता है।

Tulsi Pujan Diwas और सनातन हिन्दू धर्म

सनातन हिन्दू धर्म में जिस प्रकार गंगा, गौ और शालिग्राम पूज्य हैं, उसी प्रकार तुलसी माता को भी देवी स्वरूप माना गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार तुलसी के दर्शन, स्पर्श और पूजन से पापों का नाश होता है तथा मनुष्य का जीवन पवित्र बनता है।

Tulsi Pujan Diwas में भगवान विष्णु की आराधना

शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। Tulsi Pujan Diwas हमें यह स्मरण कराता है कि भक्ति का वास्तविक स्वरूप दिखावे से नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण से जुड़ा है।

तुलसी का आध्यात्मिक महत्व

तुलसी के निकट रहने से सात्त्विक ऊर्जा का संचार होता है। यह मन को शांत करती है, नकारात्मकता दूर करती है और घर के वातावरण को पवित्र बनाती है। हिन्दू धर्म में तुलसी को पंचमहाभूतों का संतुलन करने वाली दिव्य शक्ति माना गया है।

तुलसी का धार्मिक और शास्त्रीय महत्व

पुराणों के अनुसार तुलसी माता वृंदा देवी का अवतार हैं। उनके पूजन से पापों का क्षय, परिवार में सुख-शांति और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि यज्ञ, हवन, विष्णु पूजा और पितृ कार्यों में तुलसी अनिवार्य मानी गई है।

Tulsi Pujan Diwas और तुलसी माला का महत्व

तुलसी माला से किया गया मंत्र-जप साधना के फल को कई गुना बढ़ा देता है। वैष्णव परंपरा में तुलसी माला को सर्वोत्तम माना गया है, क्योंकि यह मन को शीघ्र एकाग्र करती है।

25 दिसंबर को Tulsi Pujan Diwas क्यों

25 दिसंबर वह तिथि है जब आधुनिक समाज विदेशी उत्सवों में व्यस्त रहता है। ऐसे समय में Tulsi Pujan Diwas भारतीय समाज को अपनी सनातन जड़ों, सांस्कृतिक आत्मसम्मान और आध्यात्मिक चेतना की ओर लौटने का अवसर देता है।

तुलसी विवाह और गृहस्थ धर्म

कार्तिक शुक्ल एकादशी-द्वादशी को होने वाला तुलसी विवाह भगवान शालिग्राम से जुड़ा है। यह गृहस्थ जीवन की शुद्धता, वैवाहिक मर्यादा और धर्मयुक्त जीवन का प्रतीक है। तुलसी पूजन दिवस इसी परंपरा की चेतना को आगे बढ़ाता है।

Tulsi Pujan Diwas के लाभ

आध्यात्मिक लाभ: मन की स्थिरता, भक्ति में वृद्धि, सात्त्विक वातावरण और विष्णु-लक्ष्मी की कृपा।

धार्मिक लाभ: पापों का क्षय, पूजा की पूर्णता, कुल-कल्याण और कर्म-शुद्धि।

विश्वसनीयता और शास्त्रीय आधार

यह लेख स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, गरुड़ पुराण और सनातन हिन्दू परंपराओं पर आधारित है। तुलसी पूजन का उल्लेख प्राचीन धर्मग्रंथों, आचार शास्त्रों और संत परंपरा में स्पष्ट रूप से मिलता है, जिससे इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक प्रामाणिकता सिद्ध होती है।

अधिक सनातन विषयों के लिए Azaad Bharat पर अन्य लेख भी पढ़ें।

निष्कर्ष

Tulsi Pujan Diwas केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सनातन हिन्दू चेतना का पुनर्जागरण है। यह हमारी संस्कृति की रक्षा करता है, प्रकृति से प्रेम सिखाता है और जीवन को आध्यात्मिक दिशा देता है। तुलसी माता घर को तीर्थ और जीवन को पवित्र बनाती हैं।