13 August 2022
सभी देशवासी 15 अगस्त की खुशियां मनाते हैं और मनानी भी चाहिए क्योंकि हमें 700 साल मुगलों ने तथा 200 साल अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था, उससे हमें स्वतंत्रता मिली तो खुशी होनी चाहिए, लेकिन मुगलों से आज़ाद होने के लिए लाखों तथा अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त होने के लिए 7,32,000 शहीदों ने बलिदान दिया है।
आजादी के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है “आजादी का अमृत महोत्सव” मानने की।
आज़ादी अमृत महोत्सव मनाना अच्छी बात है, सभी देशवासी खुशी से अपने अपने घर तिरंगा फहराये और वो तिरंगा बाद में किसी पैर के नीचे न आये उसका ध्यान भी रखना आज़ादी की खुशी मनाये लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई, लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके बनाये कानून और उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिमाग में घुसी हुई है। उनकी बनाई हुई शिक्षा प्रणाली आज भी चल रही है।
स्वतंत्रता दिवस की खुशियाँ मनानी चाहिए,पर खुशी मनाने के साथ खुशी शाश्वत रहे, ऐसी नजर रखनी चाहिए। इसके लिए देश को तोड़ने वाले षड्यंत्रों से बचें, संयमी और साहसी बनें, बुद्धिमान बनें। अपनी संस्कृति व उसके रक्षक संतों के प्रति श्रद्धा तोड़ने वालों की बातें मानकर अपने देश की जड़ें खोदने का दुर्भाग्य अपने हाथ में न आये। बड़ी कुर्बानी देकर आजादी मिली है। फिर यह आजादी विदेशी ताकतों के हाथ में न चली जाय, उसका ध्यान रखना ही 15 अगस्त याद दिलाता है।
आज कॉन्वेंट स्कूल, मीडिया, टीवी, इंटरनेट आदि के माध्यम से उनकी संस्कृति हमें परोसकर हमारे देशवासियों को कमजोर कर रहे हैं। दूसरा, अंग्रेजों के बनाये कानून के द्वारा आज भी निर्दोष को न्याय और अपराधियों को सजा नहीं होने के कारण अपने भारतीय संस्कृति के अनुसार भारत की व्यवस्था करनी चाहिए जिसके कारण देशवासियों को न्याय मिल पाए।
विदेशी लोग अपनी पाश्चात्य संस्कृति से परेशान होकर हमारी संस्कृति व भाषा अपना रहे हैं।
हमें भी अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए। अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है। संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये। उनकी संस्कृति अपनाकर हमें परतंत्र नहीं बनना चाहिए, बल्कि अपनी महान भारतीय वैदिक संकृति अपनाकर स्वतंत्र बनना चाहिए।
आइये आपको कुछ नमूने बताते हैं जो विदेशियों की विवशता और भारतवासियों की महामूर्खता को बयां कर रहे हैं-
1. आठ महीने ठण्ड पड़ने के कारण कोट पैंट पहनना विदेशियों की विवशता और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट-पैंट डालकर बारात लेकर जाना हमारी मूर्खता।
2. ठण्ड में नाक बहते रहने के कारण टाई लगाना विदेशियों की विवशता और दूसरों को प्रभावित करने के लिए जून महीने में टाई कसकर घर से निकलना हमारी मूर्खता।
3. ताजा भोजन उपलब्ध ना होने के कारण सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि खाना विदेशियों की विवशता और 56 भोग छोड़कर, 400/- की नुकसानदायक पिज्जा खाना हमारी मूर्खता।
4. ताजे भोजन की कमी के कारण फ्रीज का इस्तेमाल करना यूरोप की विवशता और रोज दोनों समय ताजी सब्जी बाजार में मिलने पर भी हफ्ते भर की सब्जी मंडी से लेकर फ्रीज में ठूसकर विटामिन्स नष्टकर खाना हमारी मूर्खता।
5. जड़ी बूटियों का ज्ञान ना होने के कारण जीव-जंतुओं के हाड़-मांस से दवाएं बनाना उनकी विवशता और आयुर्वेद जैसा महान चिकित्सा ग्रंथ होेने के बावजूद हाड़-मांस की दवाईयां उपयोग करना हमारी महामूर्खता।
6. पर्याप्त अनाज ना होने के कारण जानवरों को खाना उनकी विवशता और 1600 किस्मों की फसलें होने के बावजूद जीभ के स्वाद के लिए किसी निर्दोष प्राणी को मारकर उसे खाना हमारी मूर्खता।
7. लस्सी, दूध, जूस,नींबू पानी,छाछ आदि ना होने के कारण कोल्डड्रिंक को पीना उनकी विवशता और 36 तरह के अमृत पेय पदार्थ होते हुए भी कोल्डड्रिंक नामक जहर को पीकर खुद को आधुनिक समझ कर इतराना हमारी महा मूर्खता।
8. टाइट कपड़े पहनने के कारण जमीन की जगह कुर्सी पर बैठ कर भोजन करना उनकी विवशता और हमारी मूर्खता।
9. न बोल पाने की असमर्थता के कारण उनका संस्कृत ना बोलना और जोड़-तोड़ वाली अंग्रेजी से काम चलाना उनकी विवशता और दूसरी ओर अपनी महान संस्कृत से विमुख होकर अंग्रेजी बोलने का प्रयास करना हमारी मूर्खता।
10. असभ्य, लालची और स्वार्थी स्वभाव के कारण अपने माँ-बाप से अलग रहने का उनका दुर्व्यवहार अपने में लाना हमारी मूर्खता।
क्या ये भारतीयों को शोभा देता है..???
भारतीय अपनी मूर्खता छोड़ें और अपनी दिव्य, महान संस्कृति पर ध्यान देें…
भारत महान था, महान है, किंतु महान तब रहेगा जब देशवासी ऐसी महामूर्खताओं को त्याग कर अपने देश की महानता को समझेंगे।
हमें स्वतंत्र होना है, तो उनके कानून, उनकी शिक्षा और उनकी संस्कृति को खत्म करके हमारी संस्कृति के अनुसार सब कुछ करना होगा, तभी पूर्ण स्वतंत्र होंगे। जय हिंद, जय भारत
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