रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व

रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व है।

राखी खरीदते हुए इतनी सावधानी अवश्य रखें…..

19 August 2023

भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व की बड़ी भारी महिमा है । इतिहास साक्षी है, कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं, फिर चाहे वो वीर योद्धा अभिमन्यु हों या स्वयं देवराज इंद्र । हर युग में इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।

 

राखी मात्र एक सुंदर,सजीला धागा नहीं अपितु शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का ऐसा सुरक्षा कवच है, जिसे हम सनातनी अपने स्नेहीजनों को धारण करवाते हैं और संकल्प करते हैं कि हमारे अपने स्वस्थ्य, सुखी, प्रसन्न और सर्व प्रकार से सम्पन्न रहें । वो यशस्वी , तेजस्वी हो, त्रिलोचन हो , दीर्घायु हो और परम लक्ष्य को साधने में सफल हो जाएं।

 

रक्षाबंधन के पर्व पर सभी हिन्दू बहनें राखियां खरीदती हैं। पर वो इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती हैं कि कहा से और किससे खरीदी कर रही हैं। राखी खरीदते हुए इतना अवश्य ध्यान दें , कि इस त्योहार में शुद्धता , पवित्रता और शुभ संकल्पों का बड़ा ही विशेष महत्व है, इसलिए…

 

इस परम् पवित्र त्यौहार पर हम कहीं ऐसे विधर्मियों के यहां से तो रक्षासूत्र नहीं खरीद रहे हैं , जो कि आए दिन अपने अलावा अन्य मजहब वालों पर ( खासकर हिन्दुओं पर ) हिंसा करने वाले , मांस खाने वाले , खाद्यपदार्थों में थूककर अन्य लोगों का धर्म भ्रष्ट करने वाले हैं ।

क्योंकि ऐसे तो कई वीडियोज वायरल होते रहते हैं।

……ध्यान देने वाली बात यह है कि अशुभ , दूषित संकल्पों और अशुद्ध स्पर्श से वह रक्षासूत्र भी अपवित्र हो जाता है।

 

तो रक्षासूत्र सदैव हिन्दुओं की दुकान से ही खरीदें।

 

हम यह भी जानते हैं, कि ये विधर्मी कभी स्वप्न में भी हिन्दुओं का हित करना तो दूर की बात, सोच भी नहीं सकते।बल्कि हिन्दुओ को नष्ट कर देना ही उनकी मंशा रही है।

 

जरा सोचिए…उनकी आमदनी बढ़ेगी तो वे कश्मीर और मेवात में हिंदुओं का जो हाल किया, वैसा ही हाल हमारे आपके शहरों में भी क्या नहीं कर देंगे।

इसलिए सभी बहनें इस बात का अवश्य ध्यान रखें और संकल्प लें ,कि मै॔ हिन्दुओं की दुकानों से ही पवित्र रक्षासूत्र खरीदूंगी।

 

आप घर पर भी वैदिक रक्षा सूत्र बना सकते हैं।

 

रक्षा सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य व प्रभाव असीम हो जाता है ।

 

वैदिक राखी का महत्व :

 

वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है, कि सावन के महीने में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है ।

 

कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :

 

दुर्वा, चावल, केसर ( या हल्दी पाउडर ), चंदन ( कुमकुम/रोली ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा । इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, गोमती चक्र आदि भी रखा जाता है । रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें ।

और लीजिए… आपकी ” वैदिक राखी ” तैयार हो गई ।

 

‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधते समय वर्षभर हमारे अपनों की रोगों से , बुरे भावों से , बुरे कर्मों से रक्षा रहे’ , शुभता बढ़े , आनंद, उत्साह औदार्य ,दया , क्षमा जैसे सद्गुण बढ़ें और ईश्वर प्राप्ति की रुचि जग कर आत्मसाक्षात्कार की मंज़िल प्राप्त हो… ऐसे एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं ।

 

राखी महंगी है या सस्ती, यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता, वरन् इस धागे के पीछे जितना निर्दोष प्रेम होता है, जितनी अधिक शुद्ध भावना होती है, जितना पवित्र संकल्प होता है, उतनी ही रक्षा होती है तथा उतना ही लाभ होता है। जो रक्षा की भावनाएँ धागे के साथ जुड़ी होती हैं, वे अवश्य फलदायी होती हैं, और रक्षा करती ही हैं। इसलिए भी तो इस पर्व को रक्षाबंधन कहते हैं।

 

राखी का धागा तो 25-50 पैसे का भी हो सकता है, किंतु धागे के साथ जो संकल्प किये जाते हैं, वे अंतःकरण को तेजस्वी व पावन बनाते हैं। जैसे इन्द्र जब तेजहीन हो गये थे, तो शचि ने उनमें प्राणबल , मनोबल के भाव का रोपण कर दिया कि , ʹʹजब तक मेरे द्वारा बँधा हुआ धागा आपके हाथ पर रहेगा, आपकी ही विजय होगी, आपकी रक्षा होगी तथा भगवान की कृपा से आपका बाल तक बाँका नहीं होगा।”

 

शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।

 

आखिर में यही कहेगें की रक्षासूत्र हिन्दू भाई से ही खरीदें…..।

 

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