पृथ्वी और शेषनाग का वैज्ञानिक रहस्य: भूचुंबकत्व की वैदिक व्याख्या

30 June 2025

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पृथ्वी, शेषनाग और भूचुंबकत्व: एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शास्त्रों की व्याख्या

प्रस्तावना

हमारे बचपन में, बुज़ुर्ग कहा करते थे:
“यह पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। और जब वह (शेषनाग) थोड़ा सा हिलते हैं, तब भूकंप आता है।”

यह बात आज की पीढ़ी, विशेषतः अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षित और पाश्चात्य विज्ञान से प्रभावित युवाओं को अवैज्ञानिक व हास्यास्पद प्रतीत होती है।…

शास्त्रीय संदर्भ: महाभारत का प्रमाण

“अधो महीं गच्छ भुजंगोत्तम; स्वयं तवैषा विवरं प्रदास्यति।
इमां धरां धारयता त्वया हि मे; महत् प्रियं शेषकृतं भविष्यति॥”

इसका भावार्थ है…

शेषनाग की परिभाषा और वैज्ञानिक व्याख्या

वैदिक परिभाषा:
[विराम प्रत्ययाभ्यास पूर्वः संस्कार: शेषः अन्यः]

इसका अर्थ है — …

  • वैदिक शास्त्रों के अनुसार, नागों की कुल संख्या 1000 है।
  • इनमें से 976 शेषनाग माने गए हैं…
  • शेष 24 तरंगें अन्य ऊर्जा स्वरूप दर्शाती हैं।

पृथ्वी की आंतरिक बनावट – आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से

  • यांत्रिक गुणों के आधार पर: स्थलमण्डल, एस्थेनोस्फीयर…
  • रासायनिक संरचना: भूपर्पटी, मैंटल…

भूचुंबकत्व और शेषनाग – एक समानता

अब आता है सबसे महत्वपूर्ण बिंदु — भूचुंबकत्व…

  • “शेषनाग के हजारों फन हैं।” = हजारों Magnetic Field Lines
  • “एक पूंछ है।” = Earth’s Core

भूकंप और शेषनाग का ‘हिलना’

  • 140 GPa तक दाब…
  • Mantle Currents…
  • Magnetic Force via Dynamo Effect…

क्या यह सब केवल रूपक था?

बिल्कुल नहीं। हमारे शास्त्रों में…

निष्कर्ष:

आज आवश्यकता है कि हम अपने शास्त्रों को केवल “धार्मिक ग्रंथ” मानने की बजाय…

“पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है” — यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि भूचुंबकत्व और प्लेट विवर्तनिकी का गूढ़ संकेत है।
“और जब शेषनाग हिलते हैं, तब भूकंप आता है” — यह पृथ्वी की गहराई में घट रही वैज्ञानिक गतिविधियों का प्रतीक है।

“हमारे शास्त्र विज्ञान के प्रतीक हैं — उन्हें समझिए, उन पर गर्व कीजिए!”


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