पंजाब के 1 दर्जन परिवारों ने की घर-वापसी, पैसों के लालच में अपनाया था ईसाई मजहब

2 September 2022

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पंजाब में हाल के दिनों में ईसाई धर्मांतरण की घटनाएँ बढ़ गई हैं। अब अमृतसर में लगभग 1 दर्जन परिवारों द्वारा घर-वापसी करने का मामला सामने आया है। धर्मांतरण के मुद्दे पर ‘दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी’ ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील भी की है कि वो इस पर हिमाचल प्रदेश की तरह राज्य भर में पाबंदी लगाएँ। इस मुद्दे को लेकर निहंग जत्थेबंदियों ने भी हाल में विरोध प्रदर्शन किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित कोहलेवाल गाँव में तकरीबन एक दर्जन परिवारों ने सिख धर्म में वापसी की है। इन परिवारों का पैसे का लालच देकर धर्मांतरण किया गया था। DSGMC के प्रयासों के बाद इन परिवारों ने ‘घर वापसी’ का फैसला किया।

DSGMC ने 3 अगस्त से इस मुहिम की शुरुआत की थी और उसके बाद इन परिवारों से मिलकर इन्हें घर वापसी के लिए मनाया गया। दिल्ली में गुरुद्वारों के प्रबंधन के कार्य देखने वाली संस्था DSGMC ‘धर्म प्रचार’ के लिए अभियान चला रही है और इसके लिए इसकी एक अलग कमिटी भी है। इसकी ‘धर्म प्रचार कमिटी’ के अध्यक्ष मंजीत सिंह भोमा ने बताया कि लालच देकर इन परिवारों का ईसाई धर्मांतरण कराया गया था।

CM भगवंत मान से की ये अपील,पंजाब में इस समय ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ की सरकार है और DSGMC की ‘धर्म प्रचार कमेटी’ के चेयरमैन मनजीत सिंह भोमा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से धर्मांतरण पर प्रतिबंध की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में धर्मांतरण पर पाबंदी है, ठीक उसी तरह पंजाब में भी पाबंदी लगाई जाए। वहीं उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विफलता को भी इसका जिम्मेदार बताया।

जिन 12 परिवारों ने हाल ही में घर वापसी की है, उन्होंने धर्मांतरण की पूरी कहानी भी बताई। उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म प्रचारक गाँवों में दौरा कर तरह-तरह के लालच देते हैं। इन परिवारों के सदस्यों के मुताबिक, वो कुछ समय के लिए भटक गए थे। उन्होंने कहा कि अब वह वापस आ गए हैं और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को मानकर ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे। बताया जा रहा है कि जो परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा होता है, उसे धर्मांतरण के लिए ईसाई मिशनरी निशाना बनाते हैं।

कुछ दिनों पहले भी हुआ था बवाल,गौरतलब है कि बीते दिनों अमृतसर के ही एक ओर गाँव डडुआना में भी बवाल हुआ था। निहंग जत्थेबंदियों ने एक ईसाई कार्यक्रम को बंद करवाया था। जत्थेबंदियों ने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद अमृतसर पुलिस द्वारा जत्थेबंदियों को यह आश्वासन दिया गया कि यहाँ किसी प्रकार का कोई धर्मांतरण नहीं होगा, तब जाकर जत्थेबंदियों ने अपना प्रदर्शन रोका।

भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी,जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्‍या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।

वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ थीं । जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है। ध्यान दीजिये ईसाईयों की वृद्धि दर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं हैं। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना भी हैं।

इसलिए राष्ट्रहित को देखते हुए धर्मान्तरण पर लगाम देश में अवश्य लगनी ही चाहिए।

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