निवाई गौशाला को सर्वश्रेष्ठ गौशाला का पुरस्कार

24 नवंबर 2021

azaadbharat.org

देश में ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं कत्लखानों में जाति गायों को हत्यारों के चंगुल से बचा तो लिया जाता है पर फिर सवाल खड़ा होता है कि अब इनकी देखभाल कौन करेगा ? इन्हें कहाँ रखा जायेगा ?

आपको बता दे कि कत्लखाने ले जायी जा रही हजारों गायों को बचाकर देशभर में सैंकड़ों संत श्री आशारामजी गौशालाओं मेंं रखा गया है । दूध न देनेवाली, बीमार-लाचार गायों की भी यहाँ अच्छी तरह से देखभाल की जाती है ।

देशभर में बापू आशारामजी की प्रेरणा से अनेक गौशालाएँ चलायी जा रही हैं, जिनमें 12000 से अधिक गायें हैं । बापू आशारामजी गौ-सेवा को बहुत महत्त्व देते हैं । उन्होंने गौ-सेवा का केवल उपदेश ही नहीं दिया वरन् प्रत्यक्ष रूप से समाज के सामने उदाहरण भी रखा है।

सर्वश्रेष्ठ गौशाला का पुरस्कार

सन् 2018 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजस्थान पशुपालन विभाग ने संत श्री आशारामजी गौशाला, निवाई को जिले की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर प्रथम पुरस्कार (11 हजार रुपये) व स्मृतिचिह्न दे के सम्मानित किया ।

पशुपालन विभाग, टोंक के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर गौशाला का निरीक्षण किया गया, जिसमें उन्होंने पाया कि गौशाला प्रबंधन द्वारा गोवंश के संवर्धन की उचित ढंग से व्यवस्था की गयी है तथा बीमार पशुओं के उपचार हेतु पर्याप्त सुविधा है ।

उल्लेखनीय है कि बापू आशारामजी गायों की उचित देखभाल हो व उन्हें कोई तकलीफ न हो इसका विशेष ध्यान रखते रहे हैं । वे समय-समय पर स्वयं भी गौशालाओं में जाकर वहाँ की व्यवस्था देखते रहे हैं तथा सेवकों को गौसेवा-संबंधित दिशानिर्देश देते रहे हैं, जिनका वहाँ के सेवकों द्वारा बहुत ध्यान रखा जाता है ।

सीकर (राज.) के तत्कालीन कलेक्टर धर्मेन्द्र भटनागर ने बताया कि “आप बापूजी के भक्त, क्षेत्र में बहुत सुंदर और सराहनीय सेवाकार्य कर रहे हैं । निवाई गौशाला का संचालन अनुकरणीय है । मैंने स्वयं जाकर देखा व औरों को भी दिखाता हूँ । हमारे पास संसाधन तो हैं किंतु इमोशन्स (भावनाएँ) और समर्पित मानव-शक्ति आपके पास है । इसलिए हम मिलकर क्षेत्र में सृजनात्मक सेवाकार्य करें ।”

आपको बता दे की देश में एक तरफ गौ-माता के कत्लखाने, दूसरी ओर संत आशारामजी गौशालाओं में कत्ल करने के लिए जा रही हजारों गायों को बचाकर गौशालाओ में रखा है । उन गायों कि भी वहां अच्छे से देखभाल की जाती है जो दूध भी नही देती और कई गायें तो बीमार भी रहती हैं उनकी भी वहाँ मौसम अनुसार अच्छी देखभाल की जाती है ।

गरीबों के लिए भी गौशालाएं बनी सहारा

संत आशारामजी बापू कि गौशालाओं द्वारा गौ माता के गौमूत्र, गोबर आदि से धूपबत्ती, खाद, फिनाईल, औषधियाँ आदि का निर्माण कर गौशालाओ को स्वावलम्बी बनाकर अनेक गरीब परिवारों के लिए रोजी-रोटी का द्वार भी खोल दिया।
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