मुद्राओं द्वारा चक्र जागरण: सात चक्रों को सक्रिय करने का संपूर्ण मार्गदर्शन

आजाद भारत
Date: 04 June 2025

 

 

मुद्राओं के माध्यम से चक्रों को सक्रिय कैसे करें: एक विस्तृत मार्गदर्शन

मानव शरीर ऊर्जा का केंद्र है। चक्रों की सक्रियता मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास का मूल है।

1. मूलाधार चक्र (Root Chakra – Muladhara)

स्थान: रीढ़ की हड्डी के आधार पर
तत्व: पृथ्वी
मुद्रा: प्रिथ्वी मुद्रा

कैसे करें:

  • अनामिका को अंगूठे के अग्र भाग से मिलाएं
  • बाकी उंगलियां सीधी रखें

लाभ:

  • डर और असुरक्षा दूर करता है
  • आत्म-विश्वास और स्थिरता बढ़ाता है

2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra – Svadhisthana)

स्थान: नाभि के नीचे
तत्व: जल
मुद्रा: वरुण मुद्रा

कैसे करें:

  • छोटी उंगली को अंगूठे के अग्र भाग से मिलाएं
  • बाकी उंगलियां सीधी रखें

लाभ:

  • भावनात्मक संतुलन लाता है
  • रचनात्मकता को बढ़ाता है

3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra – Manipura)

स्थान: नाभि क्षेत्र
तत्व: अग्नि
मुद्रा: सूर्य मुद्रा

कैसे करें:

  • अनामिका को अंगूठे की जड़ में रखें
  • हल्का दबाव दें

लाभ:

  • पाचन और आत्मबल को बढ़ाता है
  • निर्णय क्षमता और आत्म-नियंत्रण को जाग्रत करता है

4. अनाहत चक्र (Heart Chakra – Anahata)

स्थान: हृदय क्षेत्र
तत्व: वायु
मुद्रा: वायु मुद्रा

कैसे करें:

  • तर्जनी को अंगूठे की जड़ में रखें
  • अंगूठे से हल्का दबाव दें

लाभ:

  • प्रेम, करुणा और सहानुभूति बढ़ती है
  • भावनात्मक अवरोध हटते हैं

5. विशुद्धि चक्र (Throat Chakra – Vishuddha)

स्थान: गला
तत्व: आकाश
मुद्रा: आकाश मुद्रा

कैसे करें:

  • मध्यमा को अंगूठे से मिलाएं
  • बाकी उंगलियां सीधी रखें

लाभ:

  • बोलने की स्पष्टता लाता है
  • आत्म-अभिव्यक्ति और संप्रेषण में सुधार करता है

6. ️ आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra – Ajna)

स्थान: भौहों के बीच
तत्व: प्रकाश
मुद्रा: ज्ञान मुद्रा

कैसे करें:

  • तर्जनी को अंगूठे से हल्के से मिलाएं
  • हथेलियां ऊपर की ओर रखें

लाभ:

  • एकाग्रता और अंतर्ज्ञान में वृद्धि
  • ध्यान की गहराई को बढ़ाता है

7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra – Sahasrara)

स्थान: सिर के ऊपर
तत्व: ब्रह्म (शुद्ध चेतना)
मुद्रा: ध्यान मुद्रा

कैसे करें:

  • दोनों हाथों को गोद में रखें
  • दाएं हाथ की हथेली बाएं हाथ पर
  • अंगूठों के सिरे मिलाएं

लाभ:

  • आध्यात्मिक जागरण में सहायक
  • ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ाव लाता है

उपयोग की विधि

  • हर मुद्रा को 10-15 मिनट प्रतिदिन करें
  • चक्र के रंग या बीज मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें
  • अभ्यास धीरे-धीरे और ध्यानपूर्वक करें

निष्कर्ष

मुद्राएं हमारे भीतर की ऊर्जा को जाग्रत करने का शक्तिशाली माध्यम हैं। जब हम इन्हें सही विधि और नियमितता से करते हैं, तो चक्र संतुलित होकर जीवन को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाते हैं।