सहजन (मोरिंगा): आयुर्वेद का चमत्कारी वृक्ष और अमृत समान औषधि









सहजन (मोरिंगा): आयुर्वेद का चमत्कारी वृक्ष और अमृत समान औषधि

सहजन (मोरिंगा): आयुर्वेद का चमत्कारी वृक्ष और अमृत समान औषधि

भारत की धरती पर ऐसे अनेक पौधे हैं जो न केवल भोजन का स्रोत हैं बल्कि औषधि भी हैं। उन्हीं में से एक है सहजन, जिसे मोरिंगा, शोभांजन या शिग्रु भी कहा जाता है। यह वृक्ष आयुर्वेद में “सर्वरोगहर वृक्ष” यानी सभी रोगों को हरने वाला कहा गया है। इसकी पत्तियाँ, फलियाँ, फूल, बीज, छाल और जड़ – हर हिस्सा किसी न किसी रूप में औषधि है। सहजन सचमुच “प्रकृति का उपहार” है, जो शरीर को पोषण, शुद्धता और सुरक्षा देता है।

आयुर्वेद में सहजन का स्थान

आयुर्वेदिक ग्रंथों में सहजन को शिग्रु कहा गया है। इसका रस तीखा, कड़वा और कषाय होता है, गुणों में यह हल्का और तीक्ष्ण है, तथा इसका वीर्य उष्ण है — यानी यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और वात तथा कफ दोषों को संतुलित करता है।

आयुर्वेद में इसे दीपन (भोजन पचाने वाला), पाचन (अग्नि सुधारक), रक्तशोधक (रक्त को शुद्ध करने वाला) और शोथहर (सूजन कम करने वाला) बताया गया है।

“दीपनं पाचनं रूक्षं, श्लेष्मवातहरं परम्।
शोफकुष्ठकफार्शांसि, शिग्रु: हन्ति न संशयः॥”

अर्थात् यह अग्नि को प्रज्वलित करने वाला, पाचक, रूक्ष (वसा घटाने वाला), कफ और वात दोष नाशक है। यह सूजन, त्वचा रोग, कफ, और बवासीर जैसे विकारों में लाभदायक है।

रक्त और त्वचा के रोगों में लाभकारी

सहजन की पत्तियाँ शरीर के रक्त को शुद्ध करती हैं। जब रक्त स्वच्छ होता है, तब त्वचा से जुड़ी समस्याएँ जैसे मुंहासे, फोड़े-फुंसी, एक्ज़िमा या झाइयाँ स्वतः दूर हो जाती हैं। सुबह खाली पेट पाँच से छह ताज़ी पत्तियाँ चबाने या एक चम्मच सूखे पत्तों का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से शरीर भीतर से शुद्ध होता है और चमक बढ़ती है।

पोषक तत्वों का भंडार

सहजन को “प्राकृतिक मल्टीविटामिन” कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें विटामिन A, C, E, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आधुनिक शोध बताते हैं कि सहजन की पत्तियाँ दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम और गाजर से 10 गुना अधिक विटामिन A देती हैं।

यह बच्चों, महिलाओं और वृद्धों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। यह शरीर को ताकत, चमक और स्थिरता देता है।

हड्डियों को मजबूती और जोड़ दर्द में राहत

सहजन में मौजूद कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं और गठिया या जोड़ दर्द में राहत देते हैं। इसके पत्तों या छाल का काढ़ा पीने से सूजन कम होती है और जोड़ों की गतिशीलता बढ़ती है। दर्द वाले स्थान पर पत्तियों का गर्म लेप लगाने से भी अत्यधिक लाभ मिलता है।

⚖️ मधुमेह (डायबिटीज) में वरदान

सहजन की पत्तियाँ ब्लड शुगर को संतुलित रखने में मदद करती हैं। यह इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती हैं, जिससे शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। मधुमेह रोगी यदि रोज़ सुबह खाली पेट एक कप सहजन का रस या आधा चम्मच पाउडर लें, तो कुछ ही दिनों में ऊर्जा और हल्कापन महसूस होता है।

❤️ हृदय की सुरक्षा

मोरिंगा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लेवोनॉइड्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स हृदय को स्वस्थ रखते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और धमनियों में जमा वसा को हटाने में मदद करता है। सहजन का रस शहद के साथ लेने से हृदय को बल मिलता है और रक्तसंचार सुचारु रहता है।

मस्तिष्क और स्मृति के लिए वरदान

मोरिंगा मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है। यह याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाता है, साथ ही तनाव और अनिद्रा को कम करता है। विद्यार्थी या मानसिक श्रम करने वाले लोग यदि प्रतिदिन इसका चूर्ण दूध या घी के साथ लें तो मानसिक स्पष्टता और ध्यान में वृद्धि होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला

सहजन में विटामिन C अत्यधिक मात्रा में होता है जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है। यह मौसमी सर्दी, जुकाम और संक्रमण से रक्षा करता है। सहजन का सूप या चाय रोज़ाना लेने से शरीर में स्फूर्ति और रोगों से सुरक्षा बनी रहती है।

️ सर्दी, खाँसी और श्वसन रोगों में लाभकारी

इसकी उष्ण प्रकृति कफ को दूर करती है, जिससे खाँसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है। सहजन के फूलों या पत्तियों का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाकर पीने से श्वसन नलियाँ साफ होती हैं और सांस लेने में सहजता आती है।

‍♀️ वजन घटाने और पाचन सुधार में सहायक

सहजन शरीर के मेटाबॉलिज़्म को तेज करता है और पाचन अग्नि को प्रज्वलित करता है। इससे वसा जलने की गति बढ़ती है और पेट हल्का रहता है। सुबह खाली पेट सहजन पाउडर या चाय लेने से वजन नियंत्रण में रहता है और पाचन बेहतर होता है।

सौंदर्य और त्वचा के लिए लाभ

सहजन के बीज से निकला तेल प्राकृतिक स्किन टॉनिक है। यह झुर्रियाँ घटाता है, त्वचा को नमी देता है और रंगत को निखारता है। बालों की जड़ों में इसके तेल की मालिश करने से रूसी कम होती है और बाल मज़बूत बनते हैं। सहजन पत्तियों का लेप चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे मिटते हैं और त्वचा में निखार आता है।

सहजन के कुछ प्रभावी घरेलू नुस्खे

  • कमज़ोरी और थकान में – एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच सहजन पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
  • गठिया या दर्द में – सहजन की पत्तियों को उबालकर उस पानी से सिंकाई करें या पत्तियों का लेप लगाएँ।
  • त्वचा के लिए – सहजन की पत्तियों में हल्दी और नींबू का रस मिलाकर लेप बनाएँ, चेहरे पर लगाएँ।
  • बालों के लिए – सहजन तेल को हल्का गर्म करके जड़ों में लगाएँ।

आधुनिक शोधों से प्रमाण

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN), हैदराबाद के अनुसार सहजन की पत्तियाँ दूध से अधिक कैल्शियम, गाजर से अधिक विटामिन A और केले से अधिक पोटैशियम देती हैं।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NIH) के अनुसार इसमें क्लोरोजेनिक एसिड और क्वेरसेटिन जैसे तत्व हैं जो रक्तचाप और रक्तशर्करा दोनों को नियंत्रित करते हैं।

⚠️ सावधानियाँ

सहजन की तासीर उष्ण होती है, इसलिए इसका अति सेवन पेट में जलन या पित्त बढ़ा सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसकी जड़ या छाल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय को उत्तेजित कर सकती है। दवा ले रहे रोगी वैद्य या चिकित्सक से परामर्श करके ही इसका प्रयोग करें।

निष्कर्ष

सहजन न केवल शरीर के लिए बल्कि संपूर्ण जीवन के संतुलन के लिए आवश्यक पौधा है। यह शरीर को शक्ति, मन को स्थिरता और आत्मा को संतोष प्रदान करता है।

“सहजन – एक ऐसा वृक्ष जो भोजन भी है, औषधि भी, और जीवन का अमृत भी।”


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