22 February 2023
azaadbharat.org
भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने के लिए और भारतीय संस्कृति को नष्ट व भारतीयों का नैतिक पतन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां वेलेंटाइन डे की गंदगी भारत में लेकर आईं हैं और वे ही कम्पनियां मीडिया को पैसे देकर वेलेंटाइन डे का खूब जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार करवाती हैं… जिसके कारण उनका व्यापार लाखों-करोड़ों और अरबों में नहीं वरन खरबों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं जिससे विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, ग्रीटिंग कार्ड, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ, पॉप मुस्जिक आदि 20 गुणा से अधिक बिकते हैं और विदेशी कम्पनियों को खरबों रुपये का फायदा होता है ।
आपको बता दें कि हिंदू संत आशारामजी बापू ने इस गंदगी से बचने के लिए 14 फरवरी 2006 में एक अभियान शुरू किया। उसका नाम है “मातृ-पितृ पूजन दिवस” !!
इस दिन उनके करोड़ों अनुयायी देशभर में अनेक स्थान पर स्कूलों, कॉलेजों, शहरों, सोसायटियों, गांवों आदि में जोर-शोर से जनवरी से ही मातृ-पितृ पुजन शुरू कर देते हैं।
इस साल भी जनवरी से ही मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू कर दिया था और सभी को संकल्प दिलवाया था कि 14 फरवरी को पाश्चात्य संस्कृति का वेलेंटाइन डे हम नहीं मनाएंगे बल्कि 14 फरवरी को हम माता-पिता का पूजन करके मातृ-पितृ पूजन दिवस मनायेंगे।
बापू आशारामजी के आश्रम की वेबसाइट पर हजारों जगह कार्यक्रम की फ़ोटो अपलोड हो चुकी हैं। इससे अनुमान लगा सकते हैं कि लगभग 10 करोड़ लोग या इससे अधिक मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का लाभ लिए होंगे।
https://ashram.org/seva/category/12/matripitripujandiwas
आपको बता दें कि अगर एक व्यक्ति भी साधारण तरीके से भी वेलेंटाइन डे के दिन विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक साधन, नशीले पदार्थ, पॉप मुस्जिक, अश्लीलता भरी फिल्में आदि पर 500 रुपये भी खर्च करता तो भी 5000 करोड़ हो जाते हैं और विदेशी कम्पनियों को बड़ा मुनाफा होता है लेकिन मातृ-पितृ अभियान के कारण इतने पैसे भारत की जनता के बच गए ऊपर से बर्बादी भी जो हमारी युवाओं की हो रही थी, उसकी भी रक्षा हो गई और अपने माता-पिता का जो बच्चे आदर नहीं करते थे वे भी आज उनका आदर करने लगे।
आप जरा सोचो की आज संत आसाराम बापू के अनुयायी विदेशी कम्पनियों को इतनी टक्कर दे रहे हैं तो वे बाहर होते तो विदेशी कम्पनियों का कितना घाटा होता ?? …. ये कल्पना से बाहर है।
आपको बता दें कि सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने बताया कि आध्यात्मिक कार्य में बापू आसारामजी के 60 साल तो कम-से-कम हो ही गये हैं । इतने सालों में 6 से 8 करोड़ भक्त हैं । अगर इस आँकड़े को कम करके भी माने और 2 करोड़ भक्त 50 सालों तक अगर शराब नहीं पीते हैं तो 18 लाख 82 हजार करोड रुपये बचते हैं । अगर सिगरेट का आँकडा निकालें तो 11 लाख करोड 36 हजार रुपये होता है । ऐसे ही गुटके, चाय आदि का आँकडा है। बापू आशारामजी के सुसंस्कारों से जिनके कदम फिल्मों और डांस बार जाने से रुके उनके आँकडे भी ऐसे ही होंगे । ब्रह्मचर्य का जो संदेश बापू आशारामजी ने दिया है, उससे अश्लील सामग्री बनानेवाली कम्पनियों का लाखों-करोडों रुपये का नुकसान होता है । इन सारे आँकडों को जोड़ें तो आँकडे कई लाख खरब में जा रहे हैं । इतने खरब रुपये का बापू आशारामजी ने जिन कम्पनियों का नुकसान किया है, उनके लिए कुछ हजार करोड़ रुपये बापू आशारामजी के खिलाफ लगाना कौन-सी बड़ी बात है ! इसके पीछे का असली अर्थशास्त्र यह है ।
दूसरा कारण है कि कॉन्वेंट स्कूल का विकल्प गुरुकुल खोले और भारत की जनता को भारतीय संस्कृति की महिमा बताई और आदिवासियों के क्षेत्रों में जाकर जीवनपयोगी सामग्री, मकान आदि दिए। धर्म का ज्ञान देकर जो हिंदू धर्मांतरित हो गए थे उनकी घरवापसी करवाई, धर्मांतरण पर रोक लग गई, लव जिहाद में फंसने वाली लाखों हिंदू युवतियां बच गईं जिसके कारण धर्मान्तरण करने वाले बौखला गए।
जो पिछले 1200 सालों में सम्भव नहीं हुआ वह आनेवाले 10 सालों में दिख रहा है । इन 10 सालों में इस देश को गुलाम बनाने से रोकने में सबसे बड़ी जो शक्ति है वह तो आशारामजी बापू हैं । इसी कारण वे सबसे ज्यादा निशाने पर थे और उनके खिलाफ षडयंत्र रचा गया, झूठे केस किये, मीडिया में बदनामी करवाई और आखिर जेल भेज दिया गया फिर भी उनके अनुयायी आज भी धर्मान्तरण वाले औऱ विदेशी कम्पनियों और ईसाई मिशनरियों से टक्कर मजबूती से ले रहे हैं।
भारत के ऐसे महापुरूषों को साजिश के तहत जेल में रखना यह राष्ट्र, समाज के लिए नुकसानदायक नही है क्या ?
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