15 November 2022
azaadbharat.org
भारत में छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों में पिछले कई वर्षों से अविरत रूप से ‘भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ’ योजना हिन्दू संत आशाराम बापू द्वारा चलायी जा रही है।
इस योजना के अंतर्गत गरीब लोग बापू आशारामजी के आश्रम में आकर प्रतिदिन भजन ( भगवन्नाम जप, कीर्तन, सत्संग-श्रवण ) करते हैं, दोपहर का भोजन करते हैं और शाम को 70-80 रुपये लेकर घर जाते हैं।
इससे बड़ी संख्या में गरीब, वृद्ध, बेरोजगार, घर से ठुकराये गये बूढ़े माँ-बाप, विकलांग आदि लाभान्वित हो रहे हैं।भगवन्नाम-जप, कीर्तन, सत्संग से उनके तन-मन के पाप-ताप मिटते हैं और उनका जीवन व्यसनमुक्त, स्वस्थ, सुखी व सम्मानित बन जाता है। इन गरीबों में ऋतु अनुसार समय-समय पर पौष्टिक खजूर के थैले, आँवला रस एवं पलाश शरबत की बोतलें, मिठाई, वस्त्र, कम्बल, गर्म भोजन के डिब्बे,बर्तन,आदि जीवनोपयोगी चीजें भी बाँटी जाती हैं।
सबसे गरीब इलाकों में गरीबों, अनाश्रितों एवं विधवाओं के लिए बापू के आश्रम द्वारा राशन कार्ड दिये गये हैं जिससे उन्हें हर माह अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं की निःशुल्क सामग्री मिलती है।
गाँव-गाँव में गरीबों, आदिवासियों में निःशुल्क चिकित्सा-शिविर आयोजित होते हैं तथा कई चल-चिकित्सालय चलते हैं; आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, एक्युप्रेशर आदि की चिकित्सा की जाती है।
बापू आशारामजी ऐसी अनेकों योजनाएँ चलाकर ईसाई धर्मान्तरण को रोकते रहे और अपने प्रवचनों द्वारा सनातन हिन्दू धर्म की ऐसी महिमा गाई कि पादरी भी हिन्दू धर्म अपना लिए और लाखों ईसाई बन गए हिंदुओं ने घर वापसी कर ली। इसके कारण ईसाई मिशनरी डर गई और सोनिया गांधी से मिलकर उनको मीडिया द्वारा बदनाम करवाया गया और झूठा केस बनाकर जेल भिजवाया गया जिन्हें 10 सालों से अभीतक रिहा नहीं किया गया। जबकि निर्दोष होने के कई प्रमाण भी उनके पास हैं।
बापू आशारामजी समाज के उपेक्षित व असहाय लोगों को किस प्रकार सहारा दे रहे हैं- इस सच्चाई को समाज तक पहुँचाने के लिए और हमें उनकी रिहाई के लिए क्या हमें आगे नही आना चाहिए?
बापू आशारामजी और उनकी संस्था के बारे में तथाकथित बुद्धिजीवी कुछ-का-कुछ बोलने, लिखने व दिखाने वाले तो देश को शोषित करनेवाले असामाजिक तत्त्व हैं जिनसे देश की खुशहाली देखी नहीं जाती है।
सरकार और न्यायपालिका को इसपर ध्यान देना चाहिए और 86 वर्षीय हिन्दू संत आशाराम बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए- ऐसी जनता की मांग है।
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