02 February 2023
azaadbharat.org
भारत देश ऋषि-मुनियों, साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान श्रीकृष्ण भी संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान श्री राम भी उनके गुरु वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।
वर्तमान में विदेशी फंड से चलने वाली बिकाऊ मीडिया द्वारा एक कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है, भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें भगवान श्री रामजी के गुरुजी विशिष्ठ जी कहते है की “मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।
त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।
आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए….
स्वामी विवेकानंदजी
अत्याचार : ईसाई मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता, ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत बदनामी की गयी ।
परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही विजय हुई । (संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक – स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)
महात्मा बुद्ध
अत्याचार : सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या के आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर दुष्प्रचार हुआ ।
परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद महात्मा बुद्ध निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं । (संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक – पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)
संत कबीरजी
अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित आरोप लगाये गये और बादशाह सिकंदर के आदेश से कबीरजी को गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया ।
परिणाम : अंत में बादशाह ने माफी माँगी और शिष्य बन गया ।(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक – डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)
संत नरसिंह मेहताजी
अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के आरोप लगाकर खूब बदनाम व प्रताड़ित किया गया ।
परिणाम : नरसिंह मेहताजी निर्दोष साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं । (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन – गीताप्रेस)
स्वामी रामतीर्थ
अत्याचार : पादरियों और मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के षड्यंत्र रचे और खूब बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।
परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी मिशनरी निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ । (संदर्भ : राम जीवन चित्रावली, रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)
संत ज्ञानेश्वर महाराज
अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।
परिणाम : लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका आदर-पूजन करते हैं । (संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक – ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)
भक्तिमती मीराबाई
अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी तलवार चला के जान से मारने के दुष्प्रयास हुए ।
परिणाम : जान से मारने के सभी दुष्प्रयास विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।
वर्तमान में भी शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, स्वामी नित्यानंदजी, स्वामी केशवानंदजी, श्री कृपालुजी महाराज, संत आशारामजी बापू, साध्वी प्रज्ञा सिंह, फलहारी बाबा आदि हमारे संतों को षड्यंत्र में फँसाकर झूठे आरोप लगा के गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश मीडिया द्वारा झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी ।
इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि सच्चे संतों व महापुरुषों की जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी । दूसरी ओर निंदकों की दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है । अतएव समझदारी इसीमें है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें ।
सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से समाज को जगाने का प्रयास किया है, तब-तब उनको विधर्मी ताकतों के द्वारा बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किये गये हैं । जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं ।
यह हिन्दुओं की दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते। इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं। अतः हिन्दू सावधान रहें ।
Follow on
Facebook
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
http://youtube.com/AzaadBharatOrg
Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ