ईसाई पादरी ने 8 महिलाओं का किया रेप, बोला ईश्वर का आदेश है, भेजा जेल.

25 नवम्बर 2018
ईसाई पादरी खुद की वासना पूर्ति करने के लिए तहर-तरह के बयान देते है, भगवान तक को नहीं छोड़ते हैं, पादरी को भगवान शब्द की महिमा का भी पता नहीं होता है और दुष्कर्म करने के लिए ईश्वर के नाम का दुरुपयोग करते है । पहले भी एक बड़े फादर ने बयान दिया था कि बच्चों का यौनशोषण करना पादरियों का अधिकार है । इन बयानों से ऐसा लगता है कि ये लोग चर्च के नाम से सेक्स का अड्डा चला रहे हैं और धर्म के नाम पर जनता को ग़ुमराह कर रहे हैं ।
ईसाई पादरी यीशु को भगवान मानते हैं और उनका आदेश बताकर लोगो का धर्मपरिवर्तन करवाते हैं, यदि लोग धर्मपरिवर्तन न करें तो उन्हें प्रलोभन दिया जाता है या जबरदस्ती करके भी अपने ईसाई धर्म मे लाने का कार्य करते हैं पर इनके खुद के कर्म देखें जाएं तो ये पादरी ईश्वर का नाम लेने के भी लायक नहीं है ये बस वासना के अंधे हैं धर्म के नाम पर दुष्कर्म करके अपना धंधा चला रहे हैं ।
Christian pastor raped 8 women, said God ordered, sent prison
आपको बता दें कि  दक्षिण कोरिया में रेप के आरोप में पादरी को 15 साल जेल की सजा सुनाई गई है । पादरी ने 8 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था । सभी पीड़ित महिलाएं उसके मेगाचर्च की अनुयायी थीं । रिपोर्ट्स के अनुसार ली-जे रॉक नाम का 75 वर्षीय पादरी महिलाओं का यह कहकर रेप करता था कि ईश्वर का आदेश है, जिसका वह पालन कर रहा है । पीड़ित महिलाओं ने भी अपने बयान में कहा है कि पादरी कहता था कि उसके पास दैवीय शक्ति है ।
महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पादरी की बात को इसलिए माना क्योंकि वह कहता था कि वह खुद भगवान है । इस चर्च की स्थापना पादरी ने 12 फॉलोअर्स के साथ 1982 में की थी । हालांकि अब यह मेगाचर्च का रूप ले चुकी है । फिलहाल दुनिया भऱ में इसकी 10,000 शाखाएं और बहुत से चर्च इससे जुड़े हुए हैं ।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित महिलाएं पादरी के आदेश को इसलिए मान रही थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इसके पालन से उन्हें स्वर्ग की राह मिलेगी । वे बचपन से ही उसके चर्च में आती थीं । अदालत ने कहा कि पादरी ने इस बात का फायदा उठाया कि महिलाएं कमजोर थीं और उसके आदेश का पालन करने से इंकार नहीं कर सकती थीं । स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
आपको बता दें कि पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ सी आ गयी है ऐसा लगता है । ऐसे हजारों मामले अब दुनिया के सामने आ रहे हैं ।  न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि अमेरिका में पेनसिलवेनिया में पिछले 70 वर्षों में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।
बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’
अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त रहा है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे ।
नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।
हर महाद्वीप – एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।
जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।
चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?
Official Azaad Bharat Links:
Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
Word Press : https://goo.gl/ayGpTG