Hindu Gurus Targeted by Media – सच्चाई जो मीडिया छुपाती है

Hindu Gurus Targeted by Media – सच्चाई जो मीडिया छुपाती है

भारत की संस्कृति में संत, ऋषि और गुरु सदियों से समाज का नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते आए हैं। लेकिन आज के समय में यह देखकर दुख होता है कि Hindu Gurus Targeted by Media नाम की एक प्रवृत्ति तेजी से फैल रही है। कुछ मीडिया संस्थान और प्रभावशाली वर्ग हिन्दू संतों की सच्चाई को छिपाकर, झूठी खबरों और अफवाहों के ज़रिए उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास करते हैं।

मीडिया द्वारा हिन्दू गुरुओं को क्यों निशाना बनाया जाता है?

सबसे बड़ा कारण यह है कि हिन्दू गुरु समाज में आत्मनिर्भरता, संयम, परिवार के संस्कार और धर्मनिष्ठ जीवन की शिक्षा देते हैं। यह शिक्षा उस उपभोक्तावादी सोच के विपरीत है जो आधुनिक मीडिया और कुछ संस्थाएं फैलाना चाहती हैं। जब कोई गुरु युवाओं को सच्चे जीवन-मूल्य अपनाने, नशामुक्ति, चरित्र निर्माण और मातृ-पितृ भक्ति की राह दिखाता है, तो वह असत्य प्रचारों के लिए खतरा बन जाता है।

हिन्दू गुरुओं के समाज के लिए योगदान

मीडिया अक्सर केवल नकारात्मक समाचार दिखाती है, लेकिन उनके द्वारा किए जा रहे असंख्य सेवा-कार्यों को अनदेखा कर देती है। अनेक हिन्दू संत और गुरु वर्षों से:

  • ग्रामोदय और स्वावलंबन के लिए शिक्षा एवं रोजगार प्रशिक्षण केंद्र चला रहे हैं,
  • गरीबों के लिए भोजन, वस्त्र और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं,
  • पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं,
  • नशा-मुक्त भारत और परिवार-संरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं,
  • गौ-संवर्धन और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

इन सबका उद्देश्य समाज में नैतिकता, सह-अस्तित्व और आत्मिक शांति स्थापित करना है। लेकिन दुर्भाग्य से, जब भी कोई हिन्दू संत जनजागरण करता है, तब कुछ मीडिया संस्थान उसे विवादित दिखाने में लग जाते हैं।

क्या यह ‘गुरु फोबिया’ है?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक प्रकार का ‘गुरु फोबिया’ है — अर्थात् हिन्दू आध्यात्मिक नेताओं से अनुचित भय या नफरत। यह मानसिकता उन लोगों में देखने को मिलती है जो धर्म, संस्कृति और भारतीय मूल्यों की जड़ों को कमजोर करना चाहते हैं। यह लोग जानते हैं कि यदि समाज फिर से अपने संतों के मार्गदर्शन में आ गया, तो सत्य, संयम और सदाचार की पुनर्स्थापना होगी — जो उनके भौतिकवादी हितों के खिलाफ है।

समाज को क्या करना चाहिए?

हमें यह समझना होगा कि मीडिया की हर बात सत्य नहीं होती। हमें स्वयं जांच-पड़ताल करनी चाहिए, गुरुओं के जीवन और कार्यों को नजदीक से देखना चाहिए। जो व्यक्ति समाज में निस्वार्थ सेवा कर रहा है, उसकी आलोचना करने के बजाय हमें उसके योगदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

भारत की आत्मा उसके संतों और गुरुओं में बसती है। जब तक समाज उनके सच्चे कार्यों को पहचान नहीं पाएगा, तब तक नकारात्मक प्रचार हमें सत्य से दूर रखेगा। इसलिए आवश्यक है कि हम विवेकपूर्ण दृष्टि अपनाएं और धर्म, संस्कृति और सदाचार के रक्षकों के प्रति कृतज्ञ रहें।

Hindu Gurus Targeted by Media – Hindu Gurus serving society

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Hindu Guru – Wikipedia |
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