Hindi Diwas 2025: हिंदी दिवस का इतिहास और महत्व
Hindi Diwas हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के इतिहास, महत्व और सांस्कृतिक भूमिका की याद दिलाता है। 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था।
Hindi Diwas का इतिहास
14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने अनुच्छेद 343 के अंतर्गत हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया। 1953 से इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन को चुनने का कारण यह भी था कि प्रसिद्ध हिंदी समर्थक श्री राजेंद्र सिंह का जन्मदिन इसी दिन पड़ता है।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति और विकास
हिंदी का विकास कई चरणों में हुआ है:
- संस्कृत से प्राकृत: हिंदी की जड़ें संस्कृत में हैं। समय के साथ बोलचाल से प्राकृत भाषाएँ बनीं।
- प्राकृत से अपभ्रंश: 6वीं से 10वीं शताब्दी में प्राकृत से अपभ्रंश भाषाएँ विकसित हुईं।
- अपभ्रंश से हिंदी: अपभ्रंश से अवधी, ब्रजभाषा, राजस्थानी जैसी बोलियाँ निकलीं। 10वीं–12वीं शताब्दी में खड़ी बोली हिंदी सामने आई।
- भक्ति काल: कबीर, तुलसीदास, सूरदास, मीरा ने हिंदी को लोकभाषा बनाया।
- आधुनिक काल: भारतेन्दु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी का जनक कहा जाता है। प्रेमचंद ने साहित्य को नई दिशा दी।
आधुनिक युग में Hindi Diwas का महत्व
आज हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। लगभग 60 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। इंटरनेट और डिजिटल दुनिया में हिंदी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। Azaad Bharat जैसे प्लेटफॉर्म हिंदी साहित्य और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।
Hindi Diwas पर आयोजित गतिविधियाँ
पूरे देश में Hindi Diwas पर विभिन्न आयोजन होते हैं:
- विद्यालयों और महाविद्यालयों में भाषण, निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ।
- सरकारी कार्यालयों में हिंदी कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण।
- साहित्यिक संस्थानों में कवि सम्मेलन और संगोष्ठियाँ।
- सोशल मीडिया अभियानों में #HindiDiwas जैसे हैशटैग का प्रयोग।
निष्कर्ष
Hindi Diwas हमें यह याद दिलाता है कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और राष्ट्रीय एकता की आत्मा है। इसका संरक्षण और संवर्धन हर भारतीय का कर्तव्य है।
अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक राजभाषा विभाग की वेबसाइट देखें।
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