Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle: हेमन्त ऋतु स्वास्थ्य रहस्य
भारत के प्राचीन ऋतु-चक्र में वर्ष को छह ऋतुओं में बाँटा गया है—वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर। इनमें पाँचवीं ऋतु Hemant Ritu वह सुंदर समय है जब प्रकृति पहली बार हल्की ठंड का संकेत देती है। न अधिक गर्मी होती है और न ही कठोर सर्दी। आकाश साफ़, हवा हल्की ठंडी और दिन में मध्यम धूप—यह संतुलित मौसम शरीर और मन दोनों को प्रसन्नता देता है।
आयुर्वेद के अनुसार Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle को समझकर यदि इस समय सही भोजन, सही दिनचर्या और उचित सावधानी अपनाई जाए, तो शरीर की शक्ति, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है। विस्तृत अध्ययन के लिए आप AzaadBharat.org पर अन्य आयुर्वेदिक और सांस्कृतिक लेख भी पढ़ सकते हैं।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle के अनुसार ऋतु कब आती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार यह ऋतु मार्गशीर्ष और पौष महीनों में मानी जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से लगभग मध्य अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक का समय Hemant Ritu कहलाता है।
यह शरद ऋतु के बाद और पूर्ण शीत ऋतु (शिशिर) से ठीक पहले आती है—अर्थात Early Winter का काल। इस समय मौसम को अक्सर गुलाबी ठंड का समय भी कहा जाता है।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle में ऋतु का स्वभाव
Hemant Ritu में हवा स्थिर, शीतल और हल्की शुष्क होती है। सुबह और शाम ठंडक रहती है जबकि दिन में धूप मध्यम व सुखद होती है। आकाश साफ़ होने के कारण वातावरण शांत और स्थिर बना रहता है।
आयुर्वेद कहता है कि इस स्थिर और शीतल वातावरण में शरीर की अग्नि भीतर की ओर मुड़ जाती है, जिससे पाचन-शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है और शरीर बलवान बनने लगता है। इसी कारण Hemant Ritu को बल संचय और स्वास्थ्य-वर्धन की ऋतु कहा गया है।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle और आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेद के ग्रंथ जैसे अष्टांग हृदय और चरक संहिता के अनुसार Hemant Ritu को शक्ति संचय की ऋतु माना गया है। यह वह समय है जब शरीर स्वाभाविक रूप से अधिक पोषण स्वीकार करता है और उसे अच्छे से पचाता भी है।
इस ऋतु में यदि शरीर को पर्याप्त, स्निग्ध और गरम भोजन न मिले, तो बढ़ी हुई अग्नि शरीर की अपनी ऊतकों को नुकसान पहुँचा सकती है। इसलिए इस समय उत्तम आहार, सही दिनचर्या और वात नियंत्रित रखने वाली आदतें अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle में क्या खाना चाहिए?
इस ऋतु में ऐसे भोजन सर्वोत्तम माने गए हैं जो शरीर को उष्णता, बल, स्निग्धता और पोषण प्रदान करें। आयुर्वेद के अनुसार इस समय दूध, दही, ताज़ा मक्खन, घी और मलाई जैसे दुग्ध उत्पाद अत्यंत लाभकारी हैं, क्योंकि ये शरीर की धातुओं को पोषण देते हैं और ओज बढ़ाते हैं।
तिल, अलसी, सरसों, मूँगफली, बादाम, अखरोट जैसे बीज व मेवे शरीर में आवश्यक उष्णता प्रदान करते हैं और वातदोष को शांत करते हैं। उड़द, मसूर, मूंग और कुलथ जैसी दालें भी इस ऋतु में विशेष रूप से बलवर्धक और अग्नि को सहारा देने वाली मानी गई हैं।
गरम और ताज़ा भोजन—जैसे खिचड़ी, दलिया, गरम दाल-चावल, सूप और स्ट्यू—अग्नि का समर्थन करते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं। गुड़, तिल-गुड़ के लड्डू, शहद और मौसमी जड़-सब्जियाँ (गाजर, चुकंदर, शलजम) शरीर को गर्म रखने में सहायक होती हैं और रक्त को भी पोषण देती हैं।
इस समय मधुर, अम्ल और लवण रस युक्त भोजन विशेष हितकारी माना गया है क्योंकि ये शरीर को स्थिरता, स्निग्धता और गर्माहट प्रदान करते हैं तथा वातदोष को शांत रखते हैं।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle के लिए उपयुक्त स्वाद और भोजन की दिशा
Hemant Ritu में मधुर रस (मीठा), अम्ल रस (खट्टा) और लवण रस (नमकीन) शरीर के लिए विशेष उपयोगी बताए गए हैं। ये रस शरीर में बल, स्थिरता और स्निग्धता देते हैं। इस ऋतु में बहुत अधिक कड़वा, तिक्त और कसैला रस प्रधान भोजन करने से वात बढ़ सकता है, इसलिए संतुलन बनाकर आहार करना उचित है।
Hemant Ritu में किन चीज़ों से बचें?
Hemant Ritu में बहुत ठंडे पानी, बर्फ वाले पेय या ठंडे ड्रिंक्स का सेवन वातदोष बढ़ाता है और पाचन को कमजोर कर सकता है। बहुत हल्का भोजन, देर तक भूखे रहना या बार-बार उपवास करना भी इस समय हानिकारक माना गया है, क्योंकि प्रबल अग्नि को पर्याप्त पोषण न मिलने पर शरीर में कमजोरी और रूखापन बढ़ सकता है।
बहुत अधिक कच्चा, अत्यधिक सूखा या गहरा तला हुआ भोजन गैस, कब्ज, रूखापन और जोड़ों में दर्द को बढ़ा सकता है। गरम भोजन के साथ ठंडी चीज़ें मिलाकर खाना—जैसे गरम खाना और तुरंत बाद ठंडा पानी पीना—आयुर्वेद में वर्ज्य बताया गया है और इसे टालना चाहिए।
Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle में दिनचर्या
आयुर्वेद के अनुसार Hemant Ritu में अभ्यंग (तेल-मालिश) सबसे लाभकारी क्रियाओं में से एक है। तिल, सरसों या घी से मालिश करने पर शरीर में रक्तसंचार बढ़ता है, त्वचा को स्निग्धता मिलती है और ठंड का प्रभाव कम होता है। नियमित अभ्यंग से जोड़ों की जकड़न और मांसपेशियों का तनाव भी कम होता है।
धूप सेकना इस समय अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह शरीर में गर्माहट, ऊर्जा और विटामिन-D प्रदान करता है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। सुबह की हल्की धूप में बैठना और कुछ समय शांत मन से बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
नियमित व्यायाम और सुबह की वॉक शरीर को सक्रिय रखते हैं और अग्नि को संतुलित करते हैं। नहाने के लिए हल्का गरम पानी, सोने के समय कंबल या रजाई, और उचित गरम वस्त्र पहनना—ये सभी वातदोष को नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं। ठंडी हवा में खुले सिर न निकलना और पैरों को गरम रखना भी Hemant Ritu में विशेष रूप से उपयोगी है।
नाक में घी या अनु तेल लगाने (नस्य) से सर्दी-खांसी, रूखापन और श्वसन संबंधी परेशानियों से बचाव होता है। यह क्रिया श्वसन मार्ग को स्निग्ध बनाती है और सिर तथा इंद्रियों को स्थिरता देती है।
Hemant Ritu में ज़रूरी सावधानियाँ
Hemant Ritu में स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए कुछ विशेष सावधानियाँ अपनाना आवश्यक है। बहुत ठंडे वातावरण में अचानक प्रवेश न करें और नहाने के तुरंत बाद ठंडी हवा में जाने से बचें। देर रात तक जागना, असमय भोजन करना या मानसिक तनाव में रहना अग्नि और वात संतुलन को बिगाड़ सकता है।
शरीर को अधिक भूखा न रखें, समय पर भोजन और समय पर नींद लें। त्वचा की शुष्कता से बचने के लिए तेल या प्राकृतिक मॉइस्चर का उपयोग बढ़ाएँ। यदि किसी को पहले से वातजन्य या श्वसन संबंधित रोग हैं, तो Hemant Ritu में विशेष सावधानी और व्यक्तिगत चिकित्सीय परामर्श लेना भी उचित है।
सारांश: Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle का सार
Hemant Ritu वह ऋतु है जब प्रकृति संतुलित रूप से ठंड और गर्मी के बीच स्थित होती है। इस समय शरीर की पाचन शक्ति अपने सर्वोत्तम स्तर पर होती है, इसलिए पौष्टिक और स्निग्ध भोजन शरीर को बल, ऊर्जा और ओज प्रदान करता है।
तेल-मालिश, धूप, व्यायाम, गरम स्नान और उचित वस्त्र—ये सभी मिलकर इस ऋतु को स्वास्थ्य-वृद्धि का काल बनाते हैं। यदि Hemant Ritu Ayurvedic Lifestyle के सिद्धांतों के अनुसार ऋतुचर्या का पालन किया जाए, तो शरीर आने वाली कड़ी सर्दी (शिशिर) के लिए अच्छी तरह तैयार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यंत प्रबल हो जाती है।
सच्चे अर्थों में Hemant Ritu स्वास्थ्य, ऊर्जा और बल संचित करने की प्राकृतिक ऋतु है। यह समय शरीर और मन, दोनों को संतुलित करके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है।
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