गुरुपूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा): गुरु की महिमा, महत्व एवं पौराणिक संदर्भ

10 July 2025

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️ गुरुपूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा): गुरु की महिमा, महत्व और पौराणिक संदर्भ

प्रस्तावना

भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत उच्च है। ‘गुरु’ शब्द संस्कृत के दो अक्षरों ‘गु’ (अंधकार) और ‘रु’ (प्रकाश) से बना है, जिसका अर्थ है – वह जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश देता है। गुरु जीवन का मार्गदर्शक होता है, जो मनुष्य को आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक रूप से प्रगल्भ बनाता है।

गुरुपूर्णिमा का पौराणिक महत्व

गुरुपूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। वेदव्यास ने वेदों को संकलित, वर्गीकृत और महाभारत सहित कई धर्मग्रंथों की रचना की। उनकी महती कृतियों ने समूचे धर्म और संस्कृति को आधार दिया है।

गुरु का शास्त्रीय और आध्यात्मिक महत्व

वेद, उपनिषद, भगवद्गीता और पुराणों में गुरु की महिमा अत्यंत विस्तार से वर्णित है।

  • श्वेताश्वतर उपनिषद में कहा गया है:
    “जिसे अपने ईश्वर में जितनी भक्ति हो, उतनी ही गुरु में हो, तो वह सब कुछ पा लेता है।”
  • भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने कहा:
    “ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु के समक्ष नमन, प्रश्न और सेवा जरूरी है।”

गुरु केवल शिक्षण नहीं देते, बल्कि वे शिष्य के अहंकार को ध्वस्त कर उसके मन, बुद्धि, और चित्त को स्थिर करते हैं ताकि शिष्य आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ सके।

आदि गुरु शिव और सप्तर्षि

भगवान शिव को ‘आदि गुरु’ कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव ने आषाढ़ पूर्णिमा को सप्तर्षियों को योग, ध्यान और ज्ञान की विधि दी थी। शिव पुराण में शिव को ज्ञान के परम स्रोत के रूप में पूजनीय बताया गया है।

सप्तर्षि वे योग के मार्गदर्शक और वैदिक परंपरा के संरक्षक माने जाते हैं। उनकी शिक्षाओं ने हिंदू धर्म की नींव रखी है।

महर्षि वेदव्यास का जीवन और योगदान

  • वेदों को चार भागों में बांटा: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
  • महाभारत की रचना की, जिसमें भगवद्गीता सम्मिलित है।
  • 18 पुराणों और ब्रह्मसूत्रों की रचना भी उन्हीं की देन है।

इसी कारण यह दिन गुरु के सम्मान और ज्ञान के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

दत्तात्रेय और अन्य पौराणिक गुरुओं का महत्व

दत्तात्रेय को त्रिगुणात्मक गुरु कहा जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव के संयुक्त स्वरूप हैं। उनकी २४ गुरु कथाएँ प्रकृति से जीवन के हर पहलू में ज्ञान प्राप्ति की प्रेरणा देती हैं।

देवगुरु बृहस्पति ने देवताओं को नीति, धर्म, और यज्ञ का ज्ञान दिया। ये सभी गुरु हमें बताते हैं कि गुरु केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि कोई भी तत्व हो सकता है जो हमें आध्यात्मिक शिक्षा दे।

आत्मसाक्षात्कारी गुरु की भूमिका

आत्मसाक्षात्कार वह अनुभव है जब व्यक्ति स्वयं के वास्तविक स्वरूप को समझता है। आत्मसाक्षात्कारी गुरु शिष्य के मनोभावों, विचारों और आध्यात्मिक क्षमताओं को पहचानकर उसे सत्य के मार्ग पर ले जाता है।

यह गुरु शिष्य को केवल विद्या नहीं, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। वह शिष्य को अहंकार और माया से ऊपर उठाकर दिव्यता का अनुभव कराता है।

गुरुपूजन: श्रद्धा का प्रतीक

गुरुपूजन गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और समर्पण को दर्शाता है। यह केवल फूल अर्पित करने या पूजा करने तक सीमित नहीं, बल्कि गुरु के उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प है।

गुरुदक्षिणा की पौराणिक और सामाजिक महत्ता

गुरुदक्षिणा का अर्थ गुरु को कोई वस्तु देना नहीं, बल्कि उसके प्रति आभार और जीवन समर्पण दिखाना है।

  • एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा दान कर गुरु दक्षिणा की सर्वोच्च भेंट दी।
  • श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ के उपदेशों का पालन कर धर्म और नैतिकता की मिसाल कायम की।
  • अर्जुन ने श्रीकृष्ण को अपना जीवन गुरु माना और उनसे युद्ध-कला के रहस्य सीखे।

आधुनिक युग में गुरुदक्षिणा का अर्थ गुरु के ज्ञान को आत्मसात कर जीवन में लागू करना, समाज में योगदान देना है।

गुरु का आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक महत्व

गुरु का स्थान केवल ज्ञानदाता का नहीं, बल्कि एक जीवनदृष्टा का होता है जो हमें नैतिक मूल्यों का पालन, आत्म-शुद्धि और सामाजिक सेवा की प्रेरणा देता है। गुरु के वचनों में जीवन का सार छुपा है जो व्यक्ति को श्रेष्ठ इंसान बनाता है।

निष्कर्ष

गुरुपूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है। गुरु के प्रति समर्पण, श्रद्धा और उनके ज्ञान का अनुसरण ही जीवन को सार्थक बनाता है।

“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।”

यह दिन हम सबको गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता और श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देता है, जो हमें अज्ञान से मुक्त कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है।