21 August 2023
पश्चिम की दुनिया ने तो इस सदी में 9/11 का स्वाद चखा और इस्लामी आतंक की शक्ल ठीक से देखी। मगर भारत का चप्पा-चप्पा ऐसे अनगिनत 9/11 से भरा हुआ है। एक ही शहर में कई-कई 9/11 हैं। ये हजार साल में इतनी-इतनी बार हुए हैं कि इंसानी याददाश्त ही चकरा जाए।
जिस समय यह अंधड़ चल रहे थे उसी समय 50 से ज्यादा लेखकों के लिखे दस्तावेजों में इनकी भयावहता दर्ज है और इन लेखकों में सारे ही मुस्लिम थे। ये दस्तावेज अनेक बार पढ़े-पलटे हैं और इन घटनाओं को रेखांकित किया है।
धर्मांतरण के ब्यौरे ऐसे अपमानजनक हैं कि आज कोई भी आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपने अतीत में झाँकने भर से खुदकुशी कर ले। इसलिए कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने जो कहा है, उसे इतिहास की रोशनी में देखिए, किंतु राजनीति की आँख से नहीं।
9 अगस्त 2023 को डोडा के चिरल्ला गाँव में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि “मैं संसद में भी यह बात कह चुका हूँ। लेकिन बहुत सारी चीजें आप तक नहीं पहुँचती है… हमारे हिंदुस्तान में इस्लाम तो वैसे भी 15 सौ साल पहले ही आया है। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। जो लोग (मुस्लिम) बाहर से आए होंगे, वो केवल 10-20 होंगे और वो भी उस वक्त मुगलों की फौज में थे। बाकी तो सब यहाँ (भारत) हिंदू से कन्वर्ट हुए मुसलमान हैं।600 साल पहले कश्मीर में कोई मुस्लिम नहीं था। सब कश्मीरी पंडित थे। सब इस्लाम अपनाकर मुस्लिम बने हैं।”
आप सच से भाग नहीं सकते। सच को दबा नहीं सकते। सच ज्ञानवापी की दीवारों से झाँक-झाँककर अपना पता देगा और तहखानों में चीख-चीखकर पुकारेगा। गुलाम नबी आजाद के भीतर अपने अपमानित पुरखों का कोई अंश ही होगा, जो वे साहसपूर्वक एक सच सबके सामने कह गए! सच को स्वीकार करना चाहिए, किंतु तथ्यों की रोशनी में और तथ्य अब किसी से छिपे हुए नहीं हैं!
वैसे एक प्यारे जंतु के रूप में हम शुतुरमुर्गों का भी सम्मान करते हैं! – विजय मनोहर तिवारी
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