31 मई 2022
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जैसे मंत्रो में ॐ कार, स्त्रियों में गोरी देवी, तत्वों में गुरुतत्व और विद्याओं में आत्म विद्या उत्तम हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थो में गंगातीर्थ विशेष माना जाता हैं।
गंगा दशहरा जिसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है, यह एक हिन्दू त्योहार है, जो गंगा के अवतार (अवतरण) के नाम से जाना जाता है ।
गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है,गंगा दशहरा के 10 दिनों में स्नान और दान का विशेष महत्व है।
इस दिन मां गंगा सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से निकल पर पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था, पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा थीं।
गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
हिन्दू धर्म में गंगा माँ को बहुत ऊँचा दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
वर्तमान समय में भौतिक जीवन जी रहे मनुष्य से जाने अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि जिस किसी ने भी पापकर्म किये हैं और जिसे अपने किये का पश्चाताप है और पाप मुक्ति पाना चाहते है तो उसे सच्चे मन से मां गंगा की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिये।
इन दिनों में गंगा नदी में दीपदान किये जाते,गंगा माँ की मूर्ति की पूजा की जाती है,महाआरती की जाती है,गंगा दशहरा हिंदुओं द्वारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मनाया जाता है ,जहां गंगा नदी बहती है। हरिद्वार , वाराणसी , गढ़मुक्तेश्वर , ऋषिकेश , इलाहाबाद और पटना उत्सव के मुख्य स्थान हैं।
जहां भक्त गंगा के तट पर इकट्ठा होते हैं और आरती करते हैं (एक धार्मिक अनुष्ठान जिसमें एक प्रकाश दीपक को दक्षिणावर्त घुमाया जाता है। एक देवता की प्रार्थना के एक भाग के रूप में) नदी के लिए। माना जाता है कि इन दिनों में गंगा नदी में डुबकी लगाने से भक्त की मनो कामना पूर्ण होती है, गंगा स्नान शुद्धिकरण के साथ उसके किसी भी प्रकार के शारीरिक रोग को भी ठीक करता है।
संस्कृत में , दशा का अर्थ है दस और हारा का अर्थ है नष्ट करना; इस प्रकार इन दस दिनों के दौरान नदी में स्नान करने से व्यक्ति को दस पापों या वैकल्पिक रूप से दस जन्मों के पापों से छुटकारा मिलता है।
इन दिनों में , जो गंगा नदी तक नही पहुँच पाए तो वे गंगा का स्मरण करते हुए नर्मदा,यमुना,सरस्वती ,कावेरी,गोदावरी, सिंधु,ब्रह्मपुत्र आदि नदियों में जाकर या अपने नजदीक किसी मे नदी के तट पर जाकर गंगा का स्मरण करते हुए स्नान कर सकते है।
जो गंगा घाट जैसे हरिद्वार, प्रयागराज, काशी नही जा पाए तो घर मे ही स्वच्छ जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर मां गंगा का स्मरण कर उससे भी स्नान कर सकते हैं।
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