दुर्गा सप्तशती (Devi Mahatmya) : 13 अध्यायों का सम्पूर्ण विवरण
- प्रथम चरित्र (1 अध्याय) – माधुकैटभ वध
- मध्यम चरित्र (3 अध्याय) – महिषासुर मर्दिनी कथा
- उत्तर चरित्र (9 अध्याय) – शुम्भ-निशुम्भ वध
✨ प्रथम चरित्र (1 अध्याय)
1️⃣ प्रथम अध्याय – माधुकैटभ वध (61 श्लोक)
कथा : विष्णु भगवान योगनिद्रा में सोए हुए थे। तभी मधु और कैटभ असुर ब्रह्माजी को मारने चले। ब्रह्माजी ने आदिशक्ति की स्तुति की, शक्ति ने विष्णु को जगाया और उन्होंने असुरों का वध किया।
आध्यात्मिक महत्व : ज्ञान की रक्षा और अज्ञान का नाश, आलस्य का अंत।
साधना लाभ : बौद्धिक विकास, मानसिक भ्रम से मुक्ति।
✨ मध्यम चरित्र (3 अध्याय)
2️⃣ द्वितीय अध्याय – महिषासुर मर्दिनी (38 श्लोक)
कथा : महिषासुर ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार किया। देवशक्तियों से प्रकट देवी ने महिषासुर का वध किया।
महत्व : अहंकार का नाश, धर्म की स्थापना।
साधना लाभ : साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति।
3️⃣ तृतीय अध्याय – देवी की स्तुति (30 श्लोक)
कथा : महिषासुर-वध के बाद देवताओं ने देवी की महिमा गाई।
महत्व : भक्ति और कृतज्ञता का आदर्श।
साधना लाभ : मनोकामना सिद्धि, मानसिक प्रसन्नता।
4️⃣ चतुर्थ अध्याय – देवी का वरदान (40 श्लोक)
कथा : देवी ने वचन दिया कि स्मरण करने पर सदैव रक्षा करेंगी।
महत्व : संकट में आस्था और आत्मबल।
साधना लाभ : भय से मुक्ति और दैवी संरक्षण।
✨ उत्तर चरित्र (9 अध्याय)
5️⃣ पंचम अध्याय – चंड-मुंड वध (129 श्लोक)
कथा : देवी ने चंड और मुंड का वध कर “चामुंडा” नाम पाया।
महत्व : नकारात्मकता का नाश।
साधना लाभ : क्रोध, काम, लोभ पर नियंत्रण।
6️⃣ षष्ठम अध्याय – रक्तबीज वध (97 श्लोक)
कथा : रक्तबीज का रक्त हर बार नया दैत्य पैदा करता था। देवी कालिका ने उसका रक्त पीकर वध किया।
महत्व : समस्याओं की जड़ तक समाधान।
साधना लाभ : असाध्य रोगों से मुक्ति।
7️⃣ सप्तम अध्याय – देवताओं का स्तवन (82 श्लोक)
महत्व : दैवी अनुग्रह का महत्व।
साधना लाभ : पुण्य और पारिवारिक शांति।
8️⃣ अष्टम अध्याय – शुम्भ-निशुम्भ वध (92 श्लोक)
कथा : देवी ने असुरों का वध कर त्रैलोक्य की रक्षा की।
महत्व : धर्म की विजय।
साधना लाभ : समाज और परिवार की रक्षा।
9️⃣ नवम अध्याय – देवताओं का आभार (54 श्लोक)
महत्व : विनम्रता और कृतज्ञता।
साधना लाभ : ईश्वर कृपा का अनुभव।
दशम अध्याय – देवी का वचन (17 श्लोक)
महत्व : भक्तों को आश्वासन और सुरक्षा।
साधना लाभ : दैवी संरक्षण का विश्वास।
1️⃣1️⃣ एकादश अध्याय – देवी महिमा (28 श्लोक)
महत्व : देवी के रूपों का दार्शनिक परिचय।
साधना लाभ : विभिन्न स्वरूपों की साधना का फल।
1️⃣2️⃣ द्वादश अध्याय – उपासना का प्रभाव (41 श्लोक)
महत्व : देवी-भक्ति से संकट नष्ट होते हैं।
साधना लाभ : पाप निवारण, धन-समृद्धि।
1️⃣3️⃣ त्रयोदश अध्याय – फलश्रुति (14 श्लोक)
महत्व : सप्तशती सभी यज्ञ और अनुष्ठानों से श्रेष्ठ।
साधना लाभ : पाप मुक्ति और मोक्ष।
दुर्गा सप्तशती का समग्र महत्व
- प्रथम चरित्र – साधक को ज्ञान और जागरण देता है।
- मध्यम चरित्र – साधक में शक्ति और साहस जगाता है।
- उत्तर चरित्र – साधक को विजय और मोक्ष प्रदान करता है।
यही कारण है कि Navaratri में दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत अनिवार्य और फलदायी माना जाता है।