कौनसे षडयंत्र के कारण भारत ही नहीं दुनियां को हुआ बड़ा नुकसान ?

 

 

29  July 2024

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मनुष्य के लिए सबसे मूल्यवान चीज है, उसके संस्कार। क्योंकि,किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके संस्कार से ही होती है और संस्कार से ही विचारधार बनती है।उसी विचारधारा से ही व्यक्ति की पहचान बनती है और उसके आसपास उसकी विचारधारा से मिलते जुलते मित्र मंडल बनते है।

व्यक्ति के अंदर सुसंस्कार निर्माण हो पाए तो, उसकी विचारधारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश उन्नत होंगे , उदाहरण ले तो वीर शिवाजी,  गुरु गोविंद सिंह , स्वामी विवेकानंद , बप्पा रावल जैसे अनेक महपुरुष हुए उनके कारण समाज, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा हुई और लोग सुखी,स्वस्थ और सम्मानित जीवन जी पाए।

वही अगर व्यक्ति के अंदर कुसंस्कार पनप गए फिर उसकी विचार धारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश को नुकसान पहुंचता है। जैसे की राजा धनानंद, दुर्योधन,मानसिंह जैसे लोग समाज, राष्ट्र और संस्कृति के लिए नुकसान दायक साबित हुए।

इनसे सार बात यहीं निकलती है की व्यक्ति पर सुसंस्कार करना बहुत जरूरी है और सुसंस्कार करने का दैवी कार्य माता-पिता और गुरुजन ही कर सकते है।

भारत देश में आज सुसंस्कार का निर्माण करनेवालों  की संख्या कम हो रही है और कुसंस्कार का निर्माण करनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके कारण समाज और राष्ट्र को नुकसान हो रहा है।

भारत में 21वी सदी में अगर सबसे ज्यादा लोगों में सुसंस्कार निर्माण करने का कार्य किया हो तो वह है हिंदू संत,आशाराम बापू।कांग्रेस की सरकार के समय जब कोई सनातन संस्कृति के बारे में बोलता नहीं था उस समय संत आशाराम बापू ने करोड़ों लोगों में सनातन संस्कृति के संस्कार निर्माण करने का कार्य किया था।

प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का ह्रदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूंझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशीसभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारतवासियों को मिली सहीं राह।

बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान मनाना प्रारंभ किया । कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया । हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।

संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए लोक-हित के लिए,अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला”के साथ।

आज बापू आसारामजी कारागृह में है तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापू के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश सेवा और मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए, उन्हें देश और समाज से दूर कर दिया।

लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते है कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर है। अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते है और जो सत्य के प्रतीक है वे सर्वव्याप्त है । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि के आयोजन रुकने के बजाए और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच तक नहीं आई । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के लिए प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा ।

भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई है । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनियां का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा ।

 

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