Diwali ancient references दीपावली व पटाखों का प्राचीन उल्लेख


दीपावली व पटाखों का प्राचीन उल्लेख — पुराणों का दृष्टिकोण

Diwali ancient references — दीपावली एवं पटाखों का प्राचीन उल्लेख

प्रकाश और ध्वनि के माध्यम से भारतीय संस्कृति ने दीपावली को केवल उत्सव नहीं बल्कि आध्यात्मिक संदेश के रूप में संरक्षित किया है। अधिक जानकारी के लिए AzaadBharat पर पढ़ें।

Diwali ancient references — भूमिका

दीपावली केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा का प्रतीक है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर, और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ने का संदेश देती है। इस पर्व का वर्णन अनेक पुराणों — स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और आनंद रामायण — में मिलता है, जो इसके गूढ़ आध्यात्मिक अर्थ को उजागर करते हैं।

Diwali ancient references — स्कन्द पुराण का संदर्भ

स्कन्द पुराण में कहा गया है : “तुला संस्थे सहसंशो प्रदोषे भूत दर्शायो, उल्का हस्ता नरा कुर्यु पित्रणा मार्गदर्शनम्।” इस श्लोक का अर्थ है कि जब सूर्य तुला राशि में हो और प्रदोष काल में दीप जलाया जाए, तो वह पितरों और देवताओं को मार्गदर्शन प्रदान करता है। दीपदान से शुभ शकुन उत्पन्न होते हैं और पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। यही दीपावली की वास्तविक जड़ है — प्रकाश के माध्यम से दिव्यता का आवाहन।

Diwali ancient references — प्रदोष काल का महत्त्व

प्रदोष काल (संध्याकाल) में दीप जलाने का कारण यह है कि यह अंधकार और प्रकाश के संधिकाल का समय होता है। इस समय किया गया दीपदान त्रिगुणात्मक संतुलन (सत्त्व, रज, तम) लाता है। यह क्षण आत्मशुद्धि, ऊर्जा और मनोबल वृद्धि का प्रतीक है।

स्कन्द पुराण में यह भी वर्णित है कि दीपावली पर दीप जलाने से पितृलोक तक प्रकाश पहुंचता है, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस प्रकार, दीपावली केवल सांसारिक उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और पारिवारिक कर्तव्य का भी प्रतीक है।

Diwali ancient references — पद्म पुराण के अनुसार दीपावली

पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भगवान विष्णु ने बलि राजा को पाताल लोक भेजा और उसी दिन माता लक्ष्मी ने पृथ्वी पर आकर भक्तों को धन, सुख और वैभव का आशीर्वाद दिया। इसलिए यह तिथि लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम मानी गई है।

Diwali ancient references — आनंद रामायण का दृष्टिकोण

आनंद रामायण में दीपावली का संबंध भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन से बताया गया है। जब श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण का वध कर लौटे, तब सम्पूर्ण अयोध्या ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। यह दीपक केवल प्रकाश नहीं, बल्कि सत्य, धर्म और मर्यादा की विजय का प्रतीक बना।

पटाखों का प्राचीन उल्लेख

दीपावली पर ध्वनि उत्पन्न करने की परंपरा प्राचीन है। स्कन्द पुराण और अन्य ग्रंथों में कहा गया है कि दीपावली के दिन “ध्वनि-प्रकाश-उत्सव” मनाना चाहिए। इस ध्वनि का उद्देश्य था — अशुभ शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और रोगाणुओं को दूर करना।

पटाखों फोड़ने का वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

प्राचीन समय में पटाखों के स्थान पर नारक भंजन अग्नि, दीपक और धूप का प्रयोग होता था। यह वायुमंडल को शुद्ध करने का एक साधन था। आज भी पटाखे जलाने का भाव यही है — नकारात्मकता का दहन और प्रसन्नता का प्रसार।

पद्म पुराण में पटाखों का रहस्य

पद्म पुराण में दीपावली के अवसर पर यह उल्लेख आता है कि — “कार्तिकामवस्यायां दीपदानं समाचरेत्। घोषदीपैः सहोद्दीपं सर्वपापप्रणाशनम्॥” अर्थात — “कार्तिक अमावस्या के दिन जो व्यक्ति दीपक जलाता है और घोष तथा दीप से उत्सव मनाता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।”

आनंद रामायण में पटाखों का प्रतीकात्मक अर्थ

आनंद रामायण में यह कथा आती है कि — जब भगवान श्रीराम लौटे, “अयोध्यावासिनो सर्वे दीपमालां प्रजाज्वलन्। घोषणां चाकरोत्तत्र जय श्रीराम इति शब्दितम्॥” — अयोध्यावासियों ने दीपमालाएँ सजाईं और “जय श्रीराम” की घोषणाएँ करते हुए नगर को गूँजा दिया। यह घोष केवल आनंद की नहीं थी, बल्कि असुरों, नकारात्मक शक्तियों और भय का अंत घोषित करने वाली थी।

आध्यात्मिक दृष्टि से पटाखों का अर्थ

दृष्टिकोण और उसका अर्थ:

  • धार्मिक दृष्टिकोण: असुरों व अंधकार का नाश करने वाली अग्नि की शक्ति का प्रतीक।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण: प्राचीन काल में धूप व हवन से वातावरण की शुद्धि।
  • सांस्कृतिक दृष्टिकोण: सामूहिक हर्ष, उत्सव और सामाजिक एकता का प्रदर्शन।
  • आध्यात्मिक दृष्टिकोण: भीतर के अंधकार (अज्ञान, क्रोध, लोभ) को जला देने का प्रतीक।

दीप-ध्वनि-प्रकाश का संगम

तीनों ग्रंथों में — स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और आनंद रामायण — एक ही सूत्र मिलता है: “दीप जलाओ, घोष करो और प्रकाश फैलाओ।” यह संगम इस बात का प्रतीक है कि दीप = आत्मा का प्रकाश, ध्वनि = धर्म की घोषणा, प्रकाश = अधर्म पर विजय।

पर्यावरणीय और मर्यादित दृष्टिकोण

यद्यपि पटाखे आनंद का प्रतीक हैं, परंतु मर्यादा और संतुलन आवश्यक है। संयमित उत्सव, स्वच्छता और सजगता से यह पर्व अधिक पवित्र बनता है।

निष्कर्ष

दीपावली का वास्तविक अर्थ है — प्रकाश, प्रेम, धर्म और करुणा का प्रसार। स्कन्द पुराण का दीपदान, पद्म पुराण का लक्ष्मी आगमन, और आनंद रामायण का राम विजय — ये तीनों मिलकर बताते हैं कि दीपावली केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि मानव जीवन का आलोकमय आदर्श है।

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