देशवासियों की प्रेरणास्रोत द्रौपदी मुर्मू…

28 July 2022

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द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं और वर्तमान राष्ट्पति के रूप में सेवारत एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।

वह भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली महिला हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने कई भोलेभाले आदिवासियों को ईसाई मिशनरियों के चुंगल बचाकर, हिन्दू धर्म में पुनः घरवापसी करवायी हैं ।

हम सब जानते हैं कि किस प्रकार से ईसाई मिशनरी गरीब और अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करवाते हैं।

ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से समाज में एक नई जनचेतना का संचार हुआ है।

यह धर्मांतरण के ठेकेदारों के लिए बड़ा झटका है। इससे उनके लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा कर पाना कठिन हो गया। इससे विदेशी फंडिंग से हिंदुस्तान की धरती पर धर्मांतरण कर अस्थिरता पैदा करने की साजिशों पर भी विराम लगेगा।

दरअसल, द्रौपदी मुर्मू का अनुसूचित जनजाति से होना वह मसला है,जिससे ईसाई मिशनरी भी भड़के हुए है,उनका देश के शीर्ष पद पर होना हिंदू आदिवासियों को निशाना बनाने वाले धर्मांतरण माफियाओं के खिलाफ एक अचूक हथियार साबित हो चुका है।

मुर्मू ने ओडिशा के रायरंगपुर के आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण माफिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर काम भी किया है।

एक अति सामान्य परिवार से आने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू जिस तरह मिशनरियों से लड़ीं, जिस प्रकार हिंदुत्व को मजबूत करने का कार्य करती रहीं, यह उनके समाज के अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगी।

उनके पास राज्यपाल के तौर पर 6 साल से भी ज्यादा के कार्यकाल का अनुभव है। झारखंड की राज्यपाल रहते हुए उन्होंने शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य और जनजातीय मामलों में बेहद संवेदनशीलता का परिचय दिया। ऐसे कई मौके आए जब राज्य सरकारों के निर्णयों में हस्तक्षेप किया। बावजूद उनकी छवि निर्विवाद बनी रही, क्योंकि उन्होंने ये हस्तक्षेप पूरी तरह से संवैधानिक मर्यादा में रहकर आम लोगों के हक में किए।

झारखंड के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपतियों के रिक्त पदों पर नियुक्तियाँ उनके ही कार्यकाल में हुई। राज्यपाल विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति होते हैं। राज्यपाल द्रौपदी मुर्म की संवेदनशीलता ही थी कि उन्होंने पदेन कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोक अदालत का आयोजन किया। इस लोक अदालत में विश्वविद्यालय शिक्षकों और कर्मचारियों के तकरीबन 5000 मामले निबटाए गए।

झारखंड में आज विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में केंद्रीयकृत नामांकन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके लिए द्रौपदी मुर्मू ने ही चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया था।

द्रौपदी मुर्मू बचपन से ही धार्मिक स्थलों पर जाया करती थी, कई लोगों को हिन्दू धर्म की महिमा बताती थी,बड़ी होने पर समाज सेविका के रूप में उभरी , उनके पारिवारिक जीवन में कई दुःखद प्रसंग आने के बावजूद भी वह हिन्दू राष्ट्र के हित में सेवा करती रही और आज हमारे भारत के राष्ट्रपति के रूप में सबकी प्रेरणास्रोत बनी।

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