18 जून 2019
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मनु स्मृति कहती है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:”
अर्थात जिस कुल में नारियों की पूजा, अर्थात सत्कार होता है, उस कुल में दिव्यगुण , दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल है ।
हमारे देश में नारी को नारायणी भी कहा है, हमारे ऋषि-मुनि व शास्त्र ने तो ये भी आज्ञा दी है कि छोटी को बेटी समान, समकक्ष को बहन समान और बड़ी को माता समान मानो, लेकिन आजकल उल्टा ही हो रहा है, स्त्री अपने को सुरक्षित नहीं समझ रही है इसका मुख्य कारण नीचे दी हुई बातों से आप समझ सकते हैं ।
रेप क्यों होता है..?
एक 8 साल का लड़का सिनेमाघर में राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बड़ा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया… उनका नाम है महात्मा गांधी ।
परन्तु आज 8 साल से भी छोटा बच्चा टीवी पर क्या देखता है..? सिर्फ नंगापन और अश्लील वीडियो और फोटो ,मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो, पड़ोस मे रहने वाली महिलाओं के छोटे कपड़े !!
लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की मानसिकता है । पर वो मानसिकता आई कहाँ से..? उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद हैं । क्योंकि हम joint family में नहीं रहते । हम अकेले रहना पसंद करते हैं । और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है । और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये टीवी और इन्टरनेट का सहारा लेते हैं । और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही अश्लील वीडियो और फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना..? अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा । कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।
पूरा देश रेप पर उबल रहा है, छोटी-छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है, कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़कों को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !
लेकिन आप सुबह से रात तक कई बार सनी लियोन के गंदे विज्ञापन देखते है ..!! फिर दूसरे विज्ञापन में रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है ..!! ऐसे ही Close up, लिम्का, Thumsup में भी दिखाता है पर उस समय हमें गुस्सा नहीं आता है, है ना ?
आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते हैं, दारू बदनाम कर दी , कुंडी मत खड़काओ राजा, मुन्नी बदनाम, चिकनी चमेली, झण्डू बाम , तेरे साथ करूँगा गन्दी बात, और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते हैं, तब हमें गुस्सा नहीं आता???
मां-बाप बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते हैं । आँखों में आँखे डालते हैं और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, टप्पू के पापा और बबिता जिसमें एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकाता नज़र आएगा.. पूरे परिवार के साथ देखते हैं । इन सब सीरियल देखकर हमे गुस्सा नहीं आता??
फिल्म्स आती है जिसमे चुम्बन, आलिंगन, रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है। पर आप बड़े मजे लेकर देखते हैं । इन सबको देखकर गुस्सा क्यों नहीं आता है?
खुलेआम टीवी फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते हैं, उनके कोमल मन में जहर घोलते है । तब हमें गुस्सा नही आता क्योकि हमे लगता है कि रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है । पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है…
लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस देंगे क्या..?
लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस देंगे क्या..?
हम तो अखबार पढ़कर, News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे, कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को , DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन टीवी चैनल्स, बॉलीवुड, मीडिया को कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि वो हमारे मनोरंजन के लिए है ।
सच पूछिये तो टीवी चैनल अश्लीलता परोस रहे हैं, पाखंड परोस रहे हैं , झूंठे गंदे विषज्ञापन परोस रहे है ,कुछ ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहे हैं । जिसमे बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो।
आज जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है क्योंकि “हादसा एकदम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों….!”
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है।
वक़्त करता है परवरिश बरसों….!”
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है।
आज सोशल मीडिया इंटरनेट और फिल्मों में पोर्न परोसा जा रहा है । तो बच्चों के अंदर अंदर विकार आयेंगे ओर बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते है।
ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए । ये घटनाएं नही रुकने वाली है ।
बॉलीवुड, टीवी, इंटरनेट आदि में ऐसे ही चलता रहा तो फिर निर्भया, गीता, दिव्या, संस्कृति, ट्विंकल की तरह बर्बाद होने वाली है ।
अगर हमें अपनी बेटियों को बचाना है तो सरकार, कानून, पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज, मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्यकता है..! साफ तभी होगा जब हम इनका बहिष्कार करेंगे। और इन सब पर बैन करने के लिए सरकार पर दबाव लाना पड़ेगा कि ऐसी फिल्मों तथा सीरियलों पर बैन लगाएं ।
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