26 नवंबर 2021
azaadbharat.org
भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर दिव्य भारतीय संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही, लेकिन भारत के साधु-संतों और हिंदूनिष्ठों ने अपनी हिंदू संस्कृति को बचाए रखा।
भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्रविरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं। https://youtu.be/aTT-MIBPhoE
ईसाई धर्म का त्यौहार 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उनका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना- यह सब किया जाता है जो कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है। ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता है।
रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक
★14 से 19 वर्ष के बच्चे शराब का जमकर सेवन करते हैं।
★शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है।
★70% तक किशोर इन पार्टियों में शराब का जमकर सेवन करते हैं।
★आत्महत्याएँ काफी बढ़ जाती हैं।
इन सबसे बचने का और संस्कृति व राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है हिन्दू संत आशारामजी बापू ने!
देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो- इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ किया। इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी।
पिछले साल भी करोड़ों लोगों द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” निमित्त विद्यालयों, महाविद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों और घर-घर तुलसी पूजन किया जा रहा है।
हिन्दू संत आशारामजी बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है; मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है।
उनका कहना है कि तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है। तुलसी को माता कहा गया है। यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है। तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं।
सभी हिंदुस्तानी अभी से 25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत करें; तुलसी लगाना और स्कूलों, कॉलेजों, सोसायटियों एवं घर-घर तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू कर देना चाहिए।
हिंदुस्तानी संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना है, विदेशी कचरा हटाना है, सुसंस्कारों का सिंचन कराना है और भारतीय संस्कृति को अपनाकर भारत को विश्वगुरू के पद पर आसीन करना है।।
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