भारत के महान राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन

12 मई 2022

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13 मई 1962 को सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने थे।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952-1962) और 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक रहा।

वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक ,देशभक्त, एवं महान हिन्दू विचारक थे।

डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेन्सी के चित्तूर जिले के तिरूत्तनी ग्राम के एक तेलुगुभाषी ब्राह्मण परिवार में 5 सितम्बर 1888 को हुआ था।

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन की यह प्रतिभा थी कि स्वतन्त्रता के बाद इन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया। वे 1947 से 1949 तक इसके सदस्य रहे। इसी समय वे कई विश्वविद्यालयों के चेयरमैन भी नियुक्त किये गये।

यद्यपि उन्हें 1931 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा “सर” की उपाधि प्रदान की गयी थी लेकिन स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात उसका औचित्य डॉ॰ राधाकृष्णन के लिये समाप्त हो चुका था।

जब वे उपराष्ट्रपति बन गये तो स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने 1954 में उन्हें उनकी महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया।

उनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

डॉ॰ राधाकृष्णन ने यह भली भाँति जान लिया था कि जीवन बहुत ही छोटा है परन्तु इसमें व्याप्त खुशियाँ अनिश्चित हैं। इस कारण व्यक्ति को सुख-दुख में समभाव से रहना चाहिये।

उनका कहना है कि वस्तुतः मृत्यु एक अटल सच्चाई है, जो अमीर ग़रीब सभी को अपना ग्रास बनाती है तथा किसी प्रकार का वर्ग भेद नहीं करती। सच्चा ज्ञान वही है जो आपके अन्दर के अज्ञान को समाप्त कर सकता है।

ऐसे महापुरूषों के कारण ही आज भारत की संस्कृति जीवित है,अन्यथा ईसाई मिशनरी वाले कब से खत्म कर देते!

आज देश को पुनः डॉ. राधाकृष्णन जैसे महान देशभक्तों की आवश्यकता है।

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