30 December 2022
azaadbharat.org
आजकल, 31 दिसंबर की रात्रि में छोटे बालकों से लेकर वृद्ध तक सभी एक-दूसरे को शुभकामना संदेश-पत्र,व्हाट्सएप, टेलीग्राम,इंस्ट्राग्राम, फेसबुक, ट्विटर अथवा प्रत्यक्ष मिलकर हैप्पी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं।
वास्तविक, भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा(गुड़ी पड़वा) ही हिंदुओं का नववर्ष दिन है। किंतु, आज के हिंदू 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष दिन मनाकर अपने आपको धन्य मानने लगे हैं। आजकल, भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं।
चैत्री नूतन वर्ष (गुड़ी पड़वा) के फायदे और 31 दिसंबर के नुकसान
हिंदु धर्म के अनुसार शुभ कार्य का आरंभ ब्रह्ममुहूर्त में उठकर, स्नानादि शुद्धिकर्म के पश्चात, स्वच्छ वस्त्र एवं अलंकार धारण कर, धार्मिक विधि-विधान से करना चाहिए। इससे व्यक्ति पर वातावरण की सात्विकता का संस्कार होता है।
31 दिसंबर की रात्रि में किया जानेवाला मद्यपान एवं नाच-गाना, भोगवादी वृत्ति का परिचायक है। इससे हमारा मन भोगी बनेगा। इसी प्रकार, रात्रि का वातावरण तामसिक होने से हमारे भीतर तमोगुण बढ़ेगा। इन बातों का ज्ञान न होने के कारण, अर्थात धर्मशिक्षा न मिलने के कारण, ऐसे दुराचारों में रुचि लेने वाली आज की युवा पीढी भोगवादी एवं विलासी बनती जा रही है। इस संबंध में इनके अभिभावक भी आनेवाले संकट से अनभिज्ञ दिखाई देते हैं।
ऋण उठाकर 31 दिसंबर मनाते हैं
प्रतिवर्ष दिसंबर माह आरंभ होने पर, मराठी तथा स्वयं भारतीय संस्कृति का झूठा अभिमान अनुभव करने वाले परिवारों में चर्चा आरंभ होती है, हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढते हैं। ‘क्रिसमस’ कैसे मनाना है, यह उन्हें पाठशाला में पढ़ाते हैं, अत: हमारे घर ‘ना ताल’ का त्यौहार मनाना ही पड़ता है, आदि।’ तत्पश्चात वे क्रिसमस ट्री, सजाने का साहित्य, बच्चों को सांताक्लॉज की टोपी, सफेद दाढ़ी मूंछें, विक, मुखौटा, लाल लंबा कोट, घंटा आदि वस्तुएं ऋण उठाकर खरीदते हैं। गोवा में एक प्रसिद्ध आस्थावान ने 25 फीट के अनेक क्रिसमस ट्री को 1 लाख 50 हजार रुपयों में खरीदे हैं। ये सब करनेवालों को एक ही बात बताने की इच्छा है कि ऐसा कर हम एक प्रकार से धर्मांतरण ही कर रहे हैं। कोई भी तीज-त्यौहार, व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ हो, इस उद्देश्य से मनाया जाता है! हिंदू धर्म के हर तीज-त्यौहार से उन्हें मनानेवाले, आचार-विचार तथा कृत्यों में कैसे उन्नत होंगे, यही विचार हमारे ऋषि-मुनियों ने किया है। अत: ईश्वरीय चैतन्य, शक्ति एवं आनंद देनेवाले गुड़ीपड़वा’ के दिन ही नववर्ष का स्वागत करना शुभ एवं हितकारी है।
अनैतिक तथा कानून द्रोही कृत्य कर नववर्ष का स्वागत !
वर्तमान में पाश्चात्य प्रथाओं के बढ़ते अंधानुकरण से तथा उनके नियंत्रण में जाने से अपने भारत में भी नववर्ष ‘गुड़ीपड़वा’ की अपेक्षा बडी मात्रा में 31 दिसंबर की रात 12 बजे मनाने की कुप्रथा बढ़ने लगी है। वास्तव में रात के 12 बजे ना रात समाप्त होती है, ना दिन का आरंभ होता है। अत: नववर्ष भी कैसे आरंभ होगा? इस समय केवल अंधेरा एवं रज-तम का राज होता है। इस रात को युवकों के मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन करने की मात्रा में बढोतरी हुई है।
युवक-युवतियों का स्वेच्छाचारी आचरण बढ़ा है तथा मदिरापान कर तेज सवारी चलाने से दुर्घटनाओं में बढोतरी हुई है। कुछ स्थानों पर भार नियमन रहते हुए बिजली की झांकी सजाई जाती है, रातभर बड़ी आवाज में पटाखे जलाकर प्रदूषण बढ़ाया जाता है तथा कर्ण कर्कश ध्वनिवर्धक लगाकर उनके तालपर अश्लील पद्धति से हाथ-पांव हिलाकर नाच किया जाता है, गंदी गालियां दी जाती हैं तथा लडकियों को छेड़ने की घटना बढ़कर कानून एवं सुव्यवस्था के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। नववर्ष के अवसर पर आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढती ही रहती हैं! इस ख्रिस्ती नए वर्ष ने युवा पीढ़ी को विलासवाद तथा भोगवाद की खाई में धकेल दिया है।
राष्ट्र तथा धर्म प्रेमियों, इन कुप्रथाओं को रोकने हेतु आपको ही आगे आने की आवश्यकता है!
31 दिसंबर को होने वाले अपकारों के कारण अनेक नागरिक, स्त्रियों तथा लड़कियों का घर से बाहर निकलना असंभव हो जाता है। राष्ट्र की युवा पीढी ध्वस्त होने के मार्ग पर है। इसका महत्त्व जानकर हिंदू जनजागृति समिति इस विषय में जनजागृति कर पुलिस एवं प्रशासन की सहायता से उपक्रम चला रही है। ये असामाजिक कार्य रोकने हेतु 31 दिसंबर की रात को प्रमुख तीर्थक्षेत्र, पर्यटनस्थल, गढ़-किलों जैसे ऐतिहासिक तथा सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान-धूम्रपान करने तथा पार्टी पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। पुलिस की ओर से गश्तीदल नियुक्त करना, अपकार करनेवाले युवकों को नियंत्रण में लेना, तेज सवारी चलाने वालों पर तुरंत कार्यवाही करना, पटाखों से होनेवाले प्रदूषण के विषय में जनता को जागृत करने जैसे कुछ उपाय करने पर इन अपकारों पर निश्चित ही रोक लगेगी। आप भी आगे आकर ये अकृत्य रोकने हेतु प्रयास करें। ध्यान रखें, 31 दिसंबर मनाने से आपको उसमें से कुछ भी लाभ तो होता ही नहीं, किंतु सारे ही स्तरों पर, विशेष रूप से अध्यात्मिक स्तर पर बड़ी हानि होती है।
हिंदू जनजागृति समिति के प्रयासों की सहायता करें!
नए वर्ष का आरंभ मंगलदायी हो- इस हेतु शास्त्र समझकर भारतीय संस्कृति अनुसार ‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा’ अर्थात ‘गुड़ीपड़वा’ को नववर्षारंभ मनाना नैसर्गिक, ऐतिहासिक तथा अध्यात्मिक दृष्टि से सुविधाजनक तथा लाभदायक है। अत: पाश्चात्य विकृति का अंधानुकरण करने से होनेवाले भारतीय संस्कृति का अधःपतन रोकना, हम सबका ही आद्यकर्तव्य है। राष्ट्राभिमान का पोषण करने तथा अकृत्य रोकने हेतु हिंदू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित उपक्रम को जनता से सहयोग की अपेक्षा है। भारतीयों, असामाजिक, अनैतिक तथा धर्मद्रोही कृत्य कर नए वर्ष का स्वागत न करें, यह आपसे विनम्र विनती ! – श्री. शिवाजी वटकर, समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति, मुंबई-ठाणे-रायगढ़ ।
Follow on
Facebook
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
http://youtube.com/AzaadBharatOrg
Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ