Bengal Hindu Janmanas ki Pukar – क्या कोई सुन रहा है?

# Bengal Hindu Janmanas ki Pukar – क्या कोई सुन रहा है?

बंगाल की धरती, जहां कभी संतों की वाणी और संस्कृति की गौरवगाथाएं गूंजती थीं, आज वहीं से उठ रही है एक करुण पुकार—**Bengal Hindu Janmanas ki Pukar**। यह पुकार है उन लोगों की, जिनकी आस्था, संस्कृति और अस्तित्व को धीरे-धीरे कुचला जा रहा है। राजनीति और सत्ता की भूख ने मानवीय संवेदनाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया है।

बंगाल में चुनावों के बाद जो कुछ हुआ, वह किसी एक राजनीतिक परिघटना से कहीं अधिक गहरी और डरावनी सच्चाई है। कई हिन्दू परिवारों ने अत्याचार झेला, जानें गंवाईं, और अपने ही घरों से पलायन करने को मजबूर हुए। उनके घर जलाए गए, दुकानें लूटी गईं और महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। प्रशासन ने आंखें मूंद लीं और पुलिस ने भी पीड़ितों की जगह अपराधियों का साथ दिया।

**Bengal Hindu Janmanas ki Pukar** सिर्फ एक समुदाय की शिकायत नहीं है, यह उस पीड़ा की आवाज़ है जो वर्षों से दबाई जाती रही है। जब एक हिन्दू महिला कहती है—”मेरा घर सिर्फ इसलिए जलाया गया क्योंकि मैंने विपक्ष को वोट दिया”—तो यह लोकतंत्र की बुनियाद पर एक करारा तमाचा है।

बच्चों को स्कूल में डराया जा रहा है, उनका भविष्य संकट में है। कई परिवारों ने अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया क्योंकि वहां उन्हें हिन्दू होने की सज़ा दी जा रही थी। कुछ बच्चों को मजबूरन मजहब बदलना पड़ा—यह एक दिल तोड़ देने वाली सच्चाई है, जिसे मीडिया और शासन बार-बार नजरअंदाज़ कर देता है।

आज हिन्दू दुकानदार कह रहा है कि “हमें डर था, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।” क्या यह आवाज़ किसी के कानों तक नहीं पहुंचती? क्या यह सब महज एक संयोग है कि एक ही मोहल्ले में सिर्फ हिन्दुओं के घर जलाए गए? यह **Bengal Hindu Janmanas ki Pukar** हमें सोचने पर मजबूर करती है कि यह सब कुछ पूर्व-नियोजित था या सिर्फ सत्ता की मूक सहमति से होता गया?

लाखों हिन्दुओं की जमीन, घर, दुकानें छीनी जा चुकी हैं। वे लोग आज भी खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं, किसी सहायता की प्रतीक्षा में। सरकार और प्रशासन सब कुछ देखकर भी चुप हैं। क्या यह चुप्पी संयोग है या सत्ता की नीति?

**Bengal Hindu Janmanas ki Pukar** सिर्फ एक राज्य की पुकार नहीं, यह पूरे भारत के लिए एक चेतावनी है। अगर बंगाल में हिन्दू समाज असुरक्षित है, तो यह संकेत है कि देश के अन्य हिस्सों में भी स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है। यह भारत की आत्मा की पुकार है—जिसे अनसुना करना खुद को कमजोर करना है।

आज चुप रहना एक अपराध के समान है। यह पुकार उन माताओं की है जिन्होंने अपने बेटे खो दिए। यह उन बहनों की है जिनकी इज्जत लूटी गई। यह उन बच्चों की है जो आज भी भय के साये में जी रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम **Bengal Hindu Janmanas ki Pukar** को सिर्फ सुनें नहीं, बल्कि उसकी आवाज़ बनें।

## अब क्या करें?

– इस विषय पर खुलकर चर्चा करें।
– सोशल मीडिया पर यह आवाज़ उठाएं ताकि यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।
– सरकार और प्रशासन से जवाब मांगें। हिन्दू समाज के साथ न्याय कब होगा?

## निष्कर्ष

यह लेख किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता। यह एक समाज की **जनचेतना** है। यह उस दर्द को अभिव्यक्त करता है जिसे मुख्यधारा की मीडिया ने अनदेखा किया।

अब जागने का समय है। यह सिर्फ बंगाल की नहीं, पूरे भारत की आत्मा की पुकार है।
**Bengal Hindu Janmanas ki Pukar** को अनसुना मत कीजिए—इसे सुनिए, समझिए और आगे बढ़कर इसकी आवाज़ बनिए।

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