02 May 2025
अपने बच्चों को हिंदू धर्म की शिक्षा दें — और इस बदलती दुनिया में सुरक्षित रहना सिखाएँ
प्रस्तावना
हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ केवल धर्म की जानकारी ही पर्याप्त नहीं है — अब ज़रूरत है धर्म की समझ के साथ-साथ सतर्कता, विवेक और आत्मरक्षा की मानसिकता की। जब अन्य मजहबों के कुछ कट्टर समूह हिंदू धर्म को नीचा दिखाते हैं, बच्चों को भ्रमित करते हैं या उनकी आस्था पर हमला करते हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हिंदू परिवार अपने बच्चों को धर्म के साथ-साथ बुद्धिमत्ता और आत्म-सुरक्षा का पाठ भी पढ़ाएँ।
धर्म की शिक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा की भी ज़रूरत क्यों?
आजकल दुनिया में कई जगहों पर धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है, जहां हमें हर किसी से शांति और सम्मान की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। बच्चों को यह समझाना ज़रूरी है कि:
- धर्म के प्रति आस्था केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र की आत्मा भी है।
- हर किसी का आस्थाओं का सम्मान करना आवश्यक है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम खुद अपने धर्म का सम्मान और सच्चाई जानें।
बच्चों को कैसे तैयार करें इस माहौल में सुरक्षित रहने के लिए?
- ज्ञान से सज्जित करें, डर से नहीं:बच्चों को उनके धर्म का तार्किक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष बताएं, ताकि वे सवालों के जवाब खुद दे सकें। गीता का ज्ञान, योग, ध्यान, और संस्कारों के महत्व को बच्चों के जीवन में लागू करें, ताकि वे जानते हों कि धर्म केवल पूजा तक सीमित नहीं है — यह जीवन जीने का एक सही तरीका है।
- उन्हें पहचान सिखाएं: कौन उनका हितैषी है और कौन नहीं:आज के डिजिटल युग में, यह ज़रूरी है कि बच्चों को यह सिखाया जाए कि किसे सम्मान देना चाहिए और किससे दूरी बनाए रखना चाहिए। सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स पर होने वाले धार्मिक उत्पीड़न या झूठी खबरों से वे कैसे निपट सकते हैं, यह उन्हें समझाएं।
- आत्मरक्षा और साहस सिखाएं:हर माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत हों। आत्मरक्षा के कौशल (जैसे कराटे, कुश्ती) को बढ़ावा दें ताकि बच्चे अगर किसी कठिन स्थिति में पड़ें तो आत्मरक्षा कर सकें।
- सोशल मीडिया पर विवेकशील बनाएं:सोशल मीडिया का दुरुपयोग अक्सर गलत जानकारी फैलाने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने के लिए होता है। बच्चों को यह सिखाएं कि वे अपने धर्म और संस्कृति से संबंधित सकारात्मक सामग्री को ही फॉलो करें, और नफ़रत फैलाने वाली बातों से दूर रहें।
- “धर्मनिरपेक्षता” के नाम पर भ्रमित न होने दें:बच्चों को यह सिखाएं कि सभी धर्मों का सम्मान करना ठीक है, लेकिन अपने धर्म का अपमान बर्दाश्त करना मूर्खता है। धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों का सम्मान करना होता है, लेकिन अपने धर्म का गौरव बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।
निष्कर्ष: हिंदू होना अब सजग रहने की माँग करता है
आज का युग केवल “पूजा-पाठ” से नहीं चलता — अब धर्म के साथ रणनीति, जागरूकता, और साहस की भी ज़रूरत है। अपने बच्चों को ऐसा बनाइए कि वे गीता पढ़ सकें, पर ज़रूरत पड़े तो अर्जुन की तरह धर्म की रक्षा के लिए खड़े भी हो सकें। हमारा धर्म समाज और राष्ट्र के लिए जिम्मेदारी का पाठ सिखाता है, और अब समय है कि हम उसे अपने बच्चों तक सही तरीके से पहुँचाएं।