बाबा परमानंद रेप केस में हुए बरी, क्या मीडिया व महिला माफी मांगेगी?

17 फरवरी 2022

azaadbharat.org

नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक कड़े कानून बनाये गये, परंतु दहेज विरोधी कानून की तरह इसका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है। कुछ समय पहले न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। न्यायालय में गवाही के दौरान 90 प्रतिशत मामलों में पीड़िताएं मुकर जाती हैं। जिसमें सम्पत्ति व रंजिश अथवा ब्लेकमेल कर रुपए ऐंठने के लिए झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी ऐसी स्थिति बताती है। पीड़िताएं न्यायालय में स्वयं के द्वारा दी गई रिपोर्ट का भी समर्थन नहीं करती हैं। ऐसा ही एक संत का ताजा मामला आपको यहाँ बता रहे हैं।

न्यायालय ने संत को बरी कर दिया

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में साल 2016 में थाना देवा के हर्रई गांव में स्थित आश्रम में चर्चित दुराचार के मामले का फैसला सुनाते हुए अपर जिला जज अशोक कुमार यादव ने बाबा परमानंद समेत तीनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। इसीके साथ कोर्ट ने अपने बयान और घटना से मुकरने वाली महिला व उसके पति के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया है।

बाराबंकी में निसंतान महिलाओं को बच्चा पैदा करवाने की गारंटी देकर उनके साथ लाल कपड़े में यौन शोषण करने के आरोपी बाबा परमानंद को अपर जिला जज की कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। साल 2016 में थाना देवा के हर्रई गांव में परमानंद बाबा के आश्रम में निसंतान महिलाओं का यौन शोषण का मामला सामने आने पर देश भर में चर्चा का विषय बन गया था।

झूठे आरोप लगते ही मीडिया चिल्लाने लगती है पर निर्दोष बरी होने पर चुप हो जाती है, मीडिया क्या अब बाबाजी से माफी मांगेगी?

और भी संतों के साथ ऐसा हुआ है…

पुट्टपर्थी सत्य साईं बाबा पर नाबालिग लड़की के साथ यौन शोषण का झूठा आरोप एक प्रसिद्ध पत्रिका द्वारा लगाया गया। यौन शोषण के मामलों में जगद्गुरु कृपालुजी महाराज, स्वामी केशवानंद, स्वामी नित्यानंद कई वर्षों तक जेल में रहे बाद में वे निर्दोष बरी हुए। स्वामी नित्यानंद को प्रचार तंत्र ने राक्षस बना दिया था। कई वर्षों बाद उनके मामले में ईसाई धर्मान्तरण के षड्यंत्रकारियों का स्पष्ट खुलासा हुआ था। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ,साध्वी प्रज्ञा को कई वर्षों बाद जेल से निर्दोष बरी किया गया, जिनका स्वास्थ्य हमेशा के लिए ख़राब हो गया।
धर्मांतरण पर रोक लगाने व समाज, देश, राष्ट्र की 56 साल से सेवा करने वाले हिंदु संत आशारामजी बापू को भी 9 साल से कारावास में रखा गया है केवल एक लड़की के कहने पर! करोड़ों महिलाएं चीख चीख कर बोल रही हैं कि वे निर्दोष हैं और उनको षड्यंत्र के तहत फँसाने के कई प्रमाण भी हैं फिर भी एक दिन की जमानत भी नहीं मिल पा रही है और सरकार ने दोषियों तथा षड्यंत्रकारियों को आज तक दण्डित नहीं किया।

गरीब व्यक्ति, आम नागरिक और भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ साधु-संतों, महापुरुषों को शिकार बनाया जा रहा है। कानून का दुरूपयोग करके फँसाये गए हिन्दू संतों के मामलों में उनकी बदनामी होने से उनके लाखों करोड़ों अनुयायी जिनमें महिलाएँ भी शामिल हैं, उनको परिवार और समाज में प्रताड़ित और तिरस्कृत होना पड़ रहा है।

आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के लिए आगे आने वालों के खिलाफ बलात्कार कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है।
इसमें जो खामियां है उसको दूर करना चाहिए।

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