आशाराम बापू ने वेलेंटाइन डे के दिन मातृ-पितृ पूजन क्यों शुरू किया?

02 फ़रवरी 2022

azaadbharat.org

वेलेंटाइन डे पर 2006 से हिंदू संत आशारामजी बापू ने मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया था। आज करोड़ों लोग इसको मना रहे हैं, लेकिन ऐसा क्या था जिसके कारण बापू आशारामजी को 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन शुरू करना पड़ा, उन्होंने इस बारे में क्या कहा था- आइए जानते हैं।

बापू आशारामजी ने बताया था कि प्रेम-दिवस (वेलेन्टाइन डे) के नाम पर विनाशकारी कामविकार का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन, जल्दी बुढ़ापा और मौत लाने वाला साबित होगा। अतः भारतवासी इस अंधपरंपरा से सावधान हों!

‘इन्नोसन्टी रिपोर्ट कार्ड’ के अनुसार 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 वर्ष की 12 लाख 50 हजार किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं। उनमें से 5 लाख गर्भपात कराती हैं और 7 लाख 50 हजार कुँवारी मां बन जाती हैं। अमेरिका में हर साल 4 लाख 94 हजार अनाथ बच्चे जन्म लेते हैं और 30 लाख किशोर-किशोरियाँ यौन रोगों के शिकार होते हैं।

यौन संबन्ध करने वालों में 25% किशोर-किशोरियाँ यौन रोगों से पीड़ित हैं। असुरक्षित यौन संबंध करने वालों में 50% को गोनोरिया, 33% को जैनिटल हर्पिस और एक प्रतिशत को एड्स का रोग होने की संभावना है। एड्स के नये रोगियों में 25%, 22 वर्ष से छोटी उम्र के होते हैं। आज अमेरिका के 33% स्कूलों में यौन शिक्षा के अंतर्गत ‘केवल संयम’ की शिक्षा दी जाती है। इसके लिए अमेरिका ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर (करीब 20 अरब रूपये) खर्च किये हैं।

प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेम दिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए। युवक युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा। इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का पूजन करें और उनके सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगे। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा। बेटे-बेटियाँ माता-पिता में ईश्वरीय अंश देखें और माता-पिता बच्चों में ईश्वरीय अंश देखें।

तुम भारत के लाल और भारत की लालियाँ (बेटियाँ) हो। प्रेमदिवस मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें। करोगे न बेटे, ऐसा! पाश्चात्य लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं। उनकी नकल तो नहीं करोगे?

मेरे प्यारे युवक-युवतियों और उनके माता-पिता! आप भारतवासी हैं। दूरदृष्टि के धनी ऋषि-मुनियों की संतान हैं। प्रेमदिवस (वेलेन्टाइन डे) के नाम पर बच्चों, युवान-युवतियों के ओज-तेज का नाश हो, ऐसे दिवस का त्याग करके माता-पिता और संतानें प्रभु के नाते एक-दूसरे को प्रेम करके अपने दिल के परमेश्वर को छलकने दें। काम विकार नहीं, रामरस, प्रभुप्रेम, प्रभुरस…

मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। बालिकादेवो भव। कन्यादेवो भव। पुत्रदेवो भव।

माता पिता का पूजन करने से काम राम में बदलेगा, अहंकार प्रेम में बदलेगा, माता-पिता के आशीर्वाद से बच्चों का मंगल होगा।

पाश्चात्यों का अनुकरण आप क्यों करो? आपका अनुकरण करके वे सद्भागी हो जायें।

जो राष्ट्रभक्त नागरिक यह राष्ट्रहित का कार्य करके भावी सुदृढ़ राष्ट्र निर्माण में साझीदार हो रहे हैं वे धनभागी हैं और जो होने वाले हैं उनका भी आवाहन किया जाता है।
स्रोत- ( ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ साहित्य)

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