भारत में न्याय की स्वतंत्रता या न्याय का सौदा? Asaram Bapu Media Trial!
भारत में एक कहावत है कि कानून के ऊपर कोई नहीं है। लेकिन जब न्याय प्रणाली राजनीतिक या मीडिया दबाव में निर्णय देती है, तो उस पर प्रश्न उठाना स्वाभाविक है।
Asaram Bapu Media Trial इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस केस में वो सबूत तक अनदेखे कर दिए गए जो उनकी निर्दोषता को सिद्ध करते थे।
25 अप्रैल 2018 – Asaram Bapu पर न्याय का नहीं, अन्याय का दिन
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पीड़िता की उम्र अलग-अलग दस्तावेजों में अलग दिखाई गई।
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FIR और उसकी कॉपी में अंतर पाया गया।
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वीडियो रिकॉर्डिंग गायब थी।
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मेडिकल रिपोर्ट में कोई चोट या खरोंच नहीं पाई गई।
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नोडल अधिकारी के अनुसार, पीड़िता उस कमरे में गई ही नहीं।
इन सबूतों को कोर्ट ने नजरअंदाज किया और निर्णय सुना दिया गया, वो भी ऐसे समय जब अभियोजन पक्ष खुद लड़की को फिर से बुलाने की बात कर रहा था।
क्या यह सिर्फ Asaram Bapu Media Trial था?
TRP और फंडिंग के भूखे मीडिया चैनलों ने जैसे फैसला पहले ही सुना दिया था।
संत को अपराधी और हिंदू आस्था को कमजोर करने का खेल शुरू हो गया था।
#MediaTrial का ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं मिलेगा।
“जो संत 55 वर्षों तक समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा, उसे बिना ठोस सबूतों के आजीवन कारावास दे दिया गया।”
आखिर हिन्दू समाज कब जागेगा?
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क्या कोई देख रहा है कि करोड़ों अनुयायियों ने आज तक कोई हिंसा नहीं की?
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क्या कोई सोचता है कि बिना न्याय के एक संत को जेल में रखना कितना बड़ा अन्याय है?
इस देश के लिए यह ध्यान देने योग्य संकेत है कि जब न्यायपालिका भी पक्षपाती हो जाए, तब लोकतंत्र के स्तंभों पर से भरोसा उठने लगता है।
एकतरफा मीडिया ट्रायल का शिकार बने संत Asaram Bapu
आज मीडिया TRP के लिए झूठ भी दिखा देती है और सच को दबा देती है।
Asaram Bapu के केस में यही हुआ।
राजनीति, मिशनरी ताकतों और भूतपूर्व आश्रमवासियों ने एक संत के खिलाफ षड्यंत्र रचा और मीडिया ने उसका खुलेआम प्रचार किया।
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Dr Subramanian Swamy has exposed many times that Sant Shri Asaram Bapu Ji was framed in conspiracy bcoz he opposed proselytization activities of Christian missionaries and reconverted back many hindus. That’s why #BogusCaseOnAsaramBapuji was framed. https://youtu.be/xuAaEeX-jqo