आसाराम बापू गुरुकुल केस सुप्रीम कोर्ट की क्लीनचिट: जानिए सच्चाई

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Asaram Bapu Gurukul केस में सुप्रीम कोर्ट की क्लीनचिट: जानिए सच्चाई

Asaram Bapu Gurukul केस गुजरात विधानसभा में हंगामा क्यों हुआ?

हाल ही में गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने जोरदार हंगामा किया।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए और नारेबाज़ी की।

दरअसल, यह मामला जुलाई 2008 में अहमदाबाद स्थित में दो छात्रों की मौत से जुड़ा है।

जांच में क्या सामने आया?

हालांकि शुरुआत में मीडिया और कुछ संगठनों ने इसे तांत्रिक क्रिया से जोड़ने की कोशिश की,
लेकिन त्रिवेदी जांच आयोग की रिपोर्ट ने सच्चाई साफ कर दी।

इसके अनुसार,

  • संत आसारामजी बापू को इस मामले में कोई दोषी नहीं पाया गया।

  • न ही तांत्रिक क्रिया के कोई प्रमाण मिले।

  • एफएसएल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स में भी कोई संदेहजनक तथ्य नहीं मिला।

Asaram Bapu Gurukul केस सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला था?

इसके बाद मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा।
9 नवम्बर 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया।

  • गुजरात सरकार की आपराधिक धारा 304 लगाने की याचिका खारिज कर दी गई।

  • सीबीआई जांच की मांग भी ठुकरा दी गई।

  • गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सही माना गया।

अतः, सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कहा कि संत आसारामजी या उनके आश्रम की कोई भूमिका नहीं है।

Asaram Bapu Gurukul केस में एफएसएल और वैज्ञानिक रिपोर्ट्स क्या कहती हैं?

इसके अलावा, एफएसएल (Forensic Science Lab) और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स ने भी कई बिंदुओं को स्पष्ट किया:

  • बच्चों के शरीर पर कोई चोट नहीं थी।

  • गले पर कोई घाव नहीं पाया गया।

  • सिर का मुंडन नहीं किया गया था।

  • न तो किसी यौन शोषण के संकेत मिले, न ही कोई ज़हर मिला।

  • शवों पर जानवरों के दांतों के निशान थे, यानी अंग काटे नहीं गए, बल्कि जानवरों ने क्षति पहुँचाई।

पुलिस और जांच एजेंसियों की कार्रवाई

इसके बाद पुलिस, CID क्राइम ब्रांच और एफएसएल की टीमें आश्रम पहुंचीं।
उन्होंने कई बार तलाशी ली, वीडियोग्राफी की, और गुरुकुल के छात्रों व अभिभावकों से पूछताछ की।

फिर भी किसी भी तांत्रिक क्रिया, हत्या या आपराधिक साजिश का कोई सबूत नहीं मिला।

मीडिया और राजनीतिक माहौल

इस दौरान, जांच अधिकारी ने पत्रकारों और संपादकों से भी संपर्क किया।
सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोगों से जानकारी देने की अपील की।

यह तक कहा गया कि सूचना देने वाले को इनाम मिलेगा और उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

फिर भी, कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आया।

Asaram Bapu Gurukul केस झूठे आरोप और द्वेष का पर्दाफाश

अंततः न्यायमूर्ति त्रिवेदी जांच आयोग के सामने कई लोगों के झूठे आरोपों की पोल खुल गई।
झूठे बयानों का भंडाफोड़ हुआ।

यह स्पष्ट हो गया कि यह एक सुनियोजित प्रचार था, जो संत आसारामजी बापू और आश्रम को बदनाम करने के लिए चलाया गया था।

संत आसारामजी बापू का संदेश

फिर भी, संत आसारामजी बापू का रुख हमेशा शांत और सकारात्मक रहा।
उन्होंने कहा:
“जो लोग द्वेष रखते हैं, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें — यही प्रार्थना है।”

निष्कर्ष: साँच को आँच नहीं

इस पूरे प्रकरण से कुछ बातें स्पष्ट होती हैं:

  • आरोप झूठे और मनगढ़ंत थे।

  • वैज्ञानिक रिपोर्ट्स और जांच आयोग ने सत्य उजागर किया।

  • सुप्रीम कोर्ट ने भी संत आसाराम बापू को क्लीनचिट दी।

इसलिए, जो लोग धर्मगुरुओं को बदनाम कर समाज में भ्रम फैला रहे थे,
उन्हें अब जवाब देना चाहिए।

सत्य चाहे जितना दबाया जाए, वह अंततः सामने आ ही जाता है।

Congress is inciting the case of Asaram Bapu Ashram
They have already got clean chit in it.