भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय और विश्वगुरु परंपरा






भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय और विश्वगुरु परंपरा

भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय : Ancient Indian Universities और विश्वगुरु भारत

भारत को प्राचीन काल से ही विश्वगुरु कहा जाता था। इसका कारण यहाँ की
उच्चकोटि की शिक्षा व्यवस्था और
विश्वविख्यात विश्वविद्यालय थे। इन विश्वविद्यालयों में
भारत ही नहीं बल्कि चीन, तिब्बत, श्रीलंका, कोरिया और यूनान से भी छात्र आते थे।
ये संस्थान धर्म, दर्शन, गणित, विज्ञान, खगोलशास्त्र, शल्य चिकित्सा और युद्धकला के लिए प्रसिद्ध थे।

भारत के प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालय और उनकी महत्ता

1. तक्षशिला विश्वविद्यालय (पाकिस्तान) – Ancient Indian Universities

  • महत्ता: विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय।
  • विशेषता: चाणक्य, चरक और पाणिनि यहीं शिक्षित हुए।
  • विषय: राजनीति, आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा, वेद, गणित।

2. नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार)

  • महत्ता: प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय।
  • विशेषता: 10,000 छात्र, 1,500 आचार्य, तीन विशाल पुस्तकालय।
  • विषय: बौद्ध दर्शन, व्याकरण, चिकित्सा, खगोलशास्त्र।

3. विक्रमशिला विश्वविद्यालय (बिहार)

  • महत्ता: वज्रयान बौद्ध धर्म का केंद्र।
  • विशेषता: पाला वंश के राजा धर्मपाल द्वारा स्थापित।
  • विषय: योग, ध्यान, तिब्बती बौद्ध अध्ययन।

अन्य विश्वविद्यालयों में वलभी, पुष्पगिरि, कांची, जगदल, मिथिला, ओदंतपुरी, सोमपुरी,
भट्टारक, अमरावती, विकट, कुंडलपुर, श्रृंगवेरपुर, राजगृह, कपिलवस्तु, शारदा पीठ और मालवा विद्यापीठ शामिल हैं।

विश्वविद्यालयों की विशेषताएँ और गौरव

  • अंतरराष्ट्रीय ख्याति: छात्र एशिया भर से आते थे।
  • समग्र शिक्षा: धर्म और दर्शन के साथ विज्ञान व गणित।
  • कठोर अनुशासन और प्रवेश परीक्षाएँ।
  • विशाल पुस्तकालय और लाखों पांडुलिपियाँ।
  • भारतीय संस्कृति और ज्ञान का विश्वभर में प्रसार।

विनाश और सीख

12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी जैसे आक्रमणकारियों ने नालंदा व विक्रमशिला को जला दिया।
लाखों ग्रंथ नष्ट हुए और भारत की हजारों वर्षों की ज्ञान परंपरा क्षतिग्रस्त हुई।
यह हमें ज्ञान की रक्षा और पुनर्जीवन का संदेश देता है।

निष्कर्ष

भारत की यह गौरवशाली Ancient Indian Universities परंपरा हमें बताती है कि
हमारा देश सदियों तक ज्ञान और संस्कृति का अग्रदूत रहा।
आज आवश्यकता है कि हम अपने प्राचीन ज्ञान को समझें,
आधुनिक शोध से जोड़ें और भारत को पुनः विश्वगुरु बनाएं।

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