अमृत बरसाती शरद पूर्णिमा

17 अक्टूबर 2024

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अमृत बरसाती शरद पूर्णिमा

 

अश्विनी कुमारों की कृपा : शरद पूर्णिमा का यह दिन अश्विनी कुमारों, जो देवताओं के वैद्य है,की कृपा का प्रतीक है। इस दिन चंद्रमा की चाँदनी में खीर रखकर भगवान को भोग लगाना और प्रार्थना करना चाहिए कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ाएं।’ खीर खाने से इन्द्रियों को शक्ति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह विशेष दिन हमें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्पष्टता और ऊर्जा प्राप्त करने में भी मदद करता है।

 

दमा के लिए वरदान :

यह दिन दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान साबित होता है।सभी संत श्री आशारामजी बापु आश्रमों में निःशुल्क औषधियाँ मिलती है। चंद्रमा की चाँदनी में रखी खीर में औषधि मिलाकर खाने से और रात को सोना नहीं चाहिए, जिससे दमे की समस्या समाप्त होती है। इसके अलावा, यह दिन श्वसन संबंधी अन्य समस्याओं के लिए भी राहत प्रदान करता है।

 

चंद्रमा का प्रभाव : अमावस्या और पूर्णिमा के समय चंद्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चंद्रमा समुद्र को प्रभावित करता है, तो हमारे शरीर में भी उसकी किरणों का असर होता है। इस दिन उपवास और सत्संग करने से तन तंदुरुस्त और मन प्रसन्न रहता है। यह ताजगी और उत्साह का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर है।

 

नेत्रज्योति और त्राटक साधना : दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात में 15-20 मिनट तक चंद्रमा पर त्राटक करने से नेत्रज्योति बढ़ती है। इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से भी आँखों की शक्ति बढ़ती है, जो हमारे लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह साधना न केवल दृष्टि को तेज करती है, बल्कि मन को भी एकाग्रता की ओर ले जाती है।

 

लक्ष्मी प्राप्ति का उपाय:

स्कंद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि में लक्ष्मी देवी विचरण करती है। जो लोग इस रात जागरण करते है, उन्हें लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस रात, दीप जलाना और देवी लक्ष्मी के मंत्र का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, इस रात विशेष लक्ष्मी पूजन और धन की देवी के प्रति भक्ति व्यक्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं।

 

आरोग्यता हेतु प्रयोग:

इस रात खीर को चंद्रमा की चाँदनी में रखकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। यह प्रयोग न केवल स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि आत्मा को भी ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते है जो शरीर को ताजगी और शक्ति प्रदान करते है।

 

सदाचार का महत्व:

इस दिन प्रसन्न रहना, नृत्य-गान करना अच्छा है, लेकिन यह सदाचार के साथ होना चाहिए। सदाचार के बिना सौंदर्य का कोई मूल्य नहीं होता। सदाचार का पालन करने से हमारे मन में शांति और संतोष बना रहता है। शरद पूर्णिमा पर दूसरों के साथ मिलकर प्रसन्नता साझा करना और सामूहिक आनंद मनाना भी महत्वपूर्ण होता है।

 

प्रभु से प्रार्थना:

इस दिन प्रभु से प्रार्थना करें कि ‘हे प्रभु! मेरा मन तेरे ध्यान से पुष्ट हो और मेरे हृदय में तेरा ज्ञान-प्रकाश हो।’ यह प्रार्थना हमें सही मार्ग पर चलने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है।

 

शरद पूर्णिमा का महत्व और आचार-व्यवहार:

शरद पूर्णिमा का समय : शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है। इस दिन चंद्रमा की विशेष आभा होती है, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने गीता में “नक्षत्राणामहं शशी” कहकर बताया है। इस दिन चंद्रमा की किरणें औषधियों को पुष्ट करने और मानवता के कल्याण के लिए विशेष होती है। यह भी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी विशेष प्रकार की ऊर्जा प्रदान करती है जो मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होती है।

 

चंद्रमा की शक्तियों का अनुभव : इस रात चंद्रमा की किरणें हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। रात 10 से 12 के बीच चंद्रमा की किरणें अत्यधिक हितकारी होती है। इस समय खीर या दूध को चंद्रमा की चाँदनी में रखकर भोग लगाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त, चंद्रमा की रोशनी में स्नान करने से ऊर्जा मिलती है और मन में ताजगी का अनुभव होता है।

 

सामाजिक और आध्यात्मिक  समर्पण : शरद पूर्णिमा पर रात को जागरण, भगवान का सुमिरन, और दूसरों के साथ मिलकर पूजा करना आवश्यक है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज के कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस रात, सामूहिक भजन-कीर्तन का आयोजन करना विशेष लाभकारी होता है।

 

प्राकृतिक सौंदर्य और ध्यान:

इस रात चाँद की रोशनी में टहलने से मन को शांति मिलती है। अशांत व्यक्ति यदि चाँद की रोशनी में थोड़ी देर बिताता है, तो उसकी अशांति कम होती है। चंद्रमा की रोशनी में ध्यान लगाने से मानसिक स्पष्टता और आत्मिक उन्नति होती है। यह समय ध्यान और आत्मनिरीक्षण के लिए सर्वोत्तम है।

 

आरोग्य और समृद्धि का संदेश : इस दिन का संदेश है कि प्रकृति के साथ जुड़कर रहना और आध्यात्मिक साधना से हमें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक समृद्धि भी प्राप्त होती है। इस दिन एक सरल और पौष्टिक आहार ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

 

️विशेष रिवाज और अनुष्ठान:

1. क्वांटिटी और क्वालिटी: इस दिन खीर बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करना चाहिए। चांदी की थाली में रखी खीर अधिक शुभ मानी जाती है।

2.चंद्रमा की आरती: रात के समय चंद्रमा की आरती करना एक विशेष प्रथा है। यह आरती हमारे जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि लाने में सहायक होती है।

3.मिठाई का वितरण: शरद पूर्णिमा पर खीर या अन्य मिठाइयाँ बनाने के बाद, उन्हें परिवार और दोस्तों के साथ बांटने की परंपरा है। इससे सामाजिक संबंध मजबूत होते है।

4.विशेष मंत्र और स्तोत्र: इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए, जैसे “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”

 

समापन :

शरद पूर्णिमा का यह पर्व हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। इस दिन किए गए कार्य, पूजा और साधना हमें सदा स्वस्थ, प्रसन्न, और संतुष्ट रहने में सहायता करेंगे। इसे एक पर्व की तरह मनाएं और इसके लाभों को अपने जीवन में शामिल करें।

 

इस प्रकार, शरद पूर्णिमा न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह स्वास्थ्य, समृद्धि, और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक है। इस दिन की पूजा और अनुष्ठान से हम अपने जीवन को सकारात्मकता और स्वास्थ्य की ओर अग्रसर कर सकते है।

इस शरद पूर्णिमा, चलिए हम सब मिलकर अपने जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिकता का संचार करें!

 

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