गीता का अद्भुत ज्ञान

11 December 2024

Home

 

गीता का अद्भुत ज्ञान

(गीता जयंती पर विशेष लेख)

 

गीता, जो महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत आती है, केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाने वाली प्रेरणा स्रोत है। यह वो दिव्य ज्ञान है जो भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन को दिया था। गीता जयंती, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया गया था।

 

गीता का इतिहास और महत्व

 

गीता का जन्म तब हुआ जब धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष चल रहा था। जब अर्जुन ने अपने धर्म और कर्तव्य को लेकर संशय व्यक्त किया, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें आत्मा, कर्म, धर्म और मोक्ष का दिव्य ज्ञान दिया। गीता 700 श्लोकों का एक ऐसा ग्रंथ है जो हर युग और हर परिस्थिति में मानवता का मार्गदर्शन करता है।

 

गीता के ज्ञान का सार यह है कि इंसान को अपने कर्तव्यों का पालन बिना फल की चिंता किए करना चाहिए। यह जीवन में संतुलन, समर्पण और स्थिरता का महत्व बताती है।

 

गीता के प्रमुख उपदेश

 

️ कर्मयोग:

श्रीकृष्ण ने कहा – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”

इसका अर्थ है कि व्यक्ति का अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं। इसलिए कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।

 

️भक्तियोग:

 

श्रीकृष्ण ने भक्ति को जीवन का आधार बताया। उन्होंने कहा कि सच्चे भाव और समर्पण से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है।

 

️ज्ञानयोग:

 

गीता आत्मा और परमात्मा का भेद समझाती है। यह सिखाती है कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर।

 

️संतुलित जीवन का संदेश:

 

गीता में बताया गया है कि जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है। न अधिक भोजन करें, न अधिक उपवास; न अधिक सोएं, न अधिक जागें।

 

आधुनिक युग में गीता का महत्व

 

आज के तनावपूर्ण जीवन में गीता का ज्ञान अधिक प्रासंगिक हो गया है। यह आत्म-विश्वास, मन की स्थिरता और सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करती है। गीता का संदेश हर व्यक्ति को यह समझने में मदद करता है कि सच्चा सुख भौतिक चीज़ों में नहीं बल्कि आत्मा की शांति में है।

 

संत श्री आशारामजी बापू और गीता का प्रचार

 

संत श्री आशारामजी बापू ने हमेशा गीता के महत्व को समाज तक पहुँचाने का कार्य किया है। बापूजी के सत्संग में गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाया जाता है ताकि हर व्यक्ति इसे अपने जीवन में उतार सके। बापूजी ने गीता पाठ के लाभ बताए हैं, जैसे कि यह मन को शांत करता है, बुरे विचारों को दूर करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

 

गीता जयंती का उत्सव

 

गीता जयंती पर गीता का पाठ, श्रीकृष्ण का भजन, ध्यान और दान करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन गीता के संदेशों को आत्मसात कर हम अपने जीवन को आध्यात्मिक और सार्थक बना सकते हैं।

 

निष्कर्ष

 

श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा अमूल्य ग्रंथ है जो हर व्यक्ति को जीवन की सच्चाई से परिचित कराता है। गीता जयंती का दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करें, आत्मा की शुद्धता पर ध्यान दें और भगवान के प्रति समर्पण रखें।

 

इस गीता जयंती पर आइए, गीता के अद्भुत ज्ञान को अपने जीवन में अपनाएँ और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हों।

 

“गीता का ज्ञान, जीवन का सच्चा मार्गदर्शन।”

 

 

Follow on

 

Facebook

 

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

 

Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

 

Twitter:

 

twitter.com/AzaadBharatOrg

 

Telegram:

 

https://t.me/ojasvihindustan

 

 

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

 

Pinterest: https://goo.gl/o4z4