बांग्लादेश में 14 मंदिरों पर हमला, देवी-देवताओं की मूर्तियों को किया खंडित, दहशत में हिंदू

08 February 2023

azaadbharat.org

बहुतों को जानकर हैरत होगी कि गत 100 सालों में पाकिस्तान-बांग्लादेश में हिन्दू-विनाश दुनिया में सबसे बड़ा है। यह अंतर्राष्ट्रीय जिहाद का अंग है, पर निःशब्द हो रहा है। हिन्दू आबादी में नाटकीय गिरावट इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। 1951 में पूर्वी बंगाल की आबादी में लगभग 33 % हिन्दू थे। जो 1971 तक 20 % रह गए। 2001 में वे 10 % बचे। आज उनकी संख्या 8 % रह गई है- ऐसा माना जाता है। इस लुप्त आबादी का एक-दो प्रतिशत ही बाहर गया। शेष मारे गए या जबरन मुसलमान बनाए गए। बांग्लादेश में हिन्दू-विनाश इस्लामी संगठनों, मुस्लिम पड़ोसियों, राजनीतिक दलों, और सरकारी नीतियों द्वारा भी हो रहा है।

वैश्विक स्तर पर इतनी बड़ी आबादी कहीं और साफ नहीं हुई! हिटलरी नाजीवाद ने लगभग 60 लाख यहूदियों का सफाया किया, जबकि पूर्वी बंगाल/ बांग्लादेश में 1951-2008 के बीच लगभग 4.9 करोड़ हिन्दू ‘लुप्त हो गए’। न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो. सची दस्तीदार ने यह संख्या दी है। पर दुनिया इस पर संवेदनहीन-सी रही। इसका मुख्य कारण भारत की चुप्पी है, जो सबसे निकट प्रभावित देश है। वरना बोस्निया, रवांडा, या डारफूर में इससे सैकड़ों गुना कम लोगों के संहार पर पूरी दुनिया की मीडिया, संयुक्त राष्ट्र, और बड़ी-बड़ी हस्तियों की चिन्ता वर्षों तक व्यापक बनी रही।

14 मंदिरों पर हमला

बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले की घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पश्चिमोत्तर बांग्लादेश के 14 मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। मंदिरों पर हमला कर मूर्तियों को खंडित कर दिया। कुछ मंदिरों की मूर्तियाँ नजदीकी तालाब में मिली हैं। ये घटना शनिवार 4 फरवरी 2023 रात की है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, निशाना बने मंदिर ठाकुरगाँव जिले के बलियाडाँगी उपजिला में स्थित हैं। यहाँ धनतला यूनियन के सिंदूरपिंडी इलाके में 9 मंदिरों, परिया यूनियन के कॉलेजपाड़ा इलाके में 4 मंदिरों और चरोल यूनियन के शाहबाजपुर नाथपारा इलाके में स्थित 1 मंदिर को निशाना बनाया गया।

बलियाडाँगी उपजिला के हिंदूवादी संगठन के नेता विद्यानाथ बर्मन ने कहा है, “अज्ञात लोगों ने रात में 14 मंदिरों में तोड़फोड़ की। बीते कई महीनों से बंग्लादेश में हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। कुछ मूर्तियाँ मंदिर में ही नष्ट कर दी गईं। वहीं कुछ मूर्तियाँ मंदिरों के पास स्थित तलाब में मिली हैं। मंदिरों पर हमला करने वाले अब तक पकड़े नहीं गए हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द पकड़ा जाए।”

एक अन्य हिंदूवादी नेता एवं यूनियन परिषद के अध्यक्ष समर चटर्जी ने कहा है कि इस क्षेत्र में पहले कभी कोई ऐसी घटना नहीं हुई। इस इलाके को धार्मिक सद्भाव के लिए जाना जाता था। मुस्लिमों का हिंदुओं से कोई विवाद नहीं है। लेकिन जिस तरह से हमले हुए हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि उपद्रवियों ने बड़ी संख्या में एकजुट होकर हमले को अंजाम दिया है।

जिला पूजा उत्सव परिषद के महासचिव तपन कुमार घोष ने सिंदूरपिंडी इलाके के हरिबसर मंदिर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मंदिर में हुई तोड़फोड़ और खंडित मूर्तियों को देखते हुए दुःख जताया। उन्होंने कहा है, “यह बेहद दुखद और भयावह है। हम इस घटना की निष्पक्ष जाँच की माँग कर रहे हैं।” सिंदूरपिंडी इलाके के निवासी काशीनाथ सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम दहशत में हैं। इस घटना में शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”

मंदिर में हमले को लेकर ठाकुरगाँव के एसपी मोहम्मद जहाँगीर हुसैन ने कहा है कि ऐसा लग रहा है कि यह हमला देश की शांति और सौहार्द को भंग करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है। इस घटना में शामिल लोगों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। हमलवारों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।

बता दें कि बीते कुछ समय से बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। साल 2022 में इस्लामवादियों ने 319 मंदिरों में हमला किया था। वहीं, 51 मंदिरों की जमीन पर कब्जे की घटनाएँ सामने आईं। यही नहीं, बीते साल 66 हिंदू महिलाओं का बलात्कार, 154 हिंदुओं की हत्या और 333 हिन्दुओ को जबरन बीफ खिलाने की घटनाएँ भी हुईं।

कितना लज्जाजनक है कि भारतीय नेता, दल, मीडिया, अकादमिक जगत, सभी इसपर चुप रहते हैं! बांग्लादेश में निरंतर और बीच-बीच में हिन्दू-संहार के बड़े दौर (1971, 1989, 1993) चलने पर भी यहाँ राजनीतिक-बौद्धिक वर्ग ठस बना रहा। न्यूयॉर्क टाइम्स के प्रसिद्ध पत्रकार सिडनी शॉनबर्ग की प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग के अनुसार केवल 1971 में 20 लाख से अधिक हिन्दुओं के मारे जाने का अनुमान है। पाकिस्तानी दमन से मुक्त होकर बांग्लादेश बनने के बाद भी हिन्दुओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया गया। नये शासकों ने भी इस्लामी एकाधिकार बनाकर हिन्दुओं को पीड़ित, वंचित किया।

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