भारत को इस तरीके से भयंकर हानि कर रहा है अंग्रेजी नव वर्ष, एक राज्य में ही अरबों की पी गए दारू

2 January 2023

azaadbharat.org

वर्तमान में पाश्चात्य प्रथाओं के बढ़ते अंधानुकरण से तथा उनके नियंत्रण में जाने से अपने भारत में भी नववर्ष ‘गुड़ीपड़वा’ की अपेक्षा बडी मात्रा में 31 दिसंबर की रात 12 बजे मनाने की कुप्रथा बढ़ने लगी है। वास्तव में रात के 12 बजे ना रात समाप्त होती है, ना दिन का आरंभ होता है। अत: नववर्ष भी कैसे आरंभ होगा? इस समय केवल अंधेरा एवं रज-तम का राज होता है। इस रात को युवकों के मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन करने की मात्रा में बढोतरी हुई है। युवक-युवतियों का स्वेच्छाचारी आचरण बढ़ा है तथा मदिरापान कर तेज सवारी चलाने से दुर्घटनाओं में बढोतरी हुई है। कुछ स्थानों पर भार नियमन रहते हुए बिजली की झांकी सजाई जाती है, रातभर बड़ी आवाज में पटाखे जलाकर प्रदूषण बढ़ाया जाता है तथा कर्ण कर्कश ध्वनिवर्धक लगाकर उनके तालपर अश्लील पद्धति से हाथ-पांव हिलाकर नाच किया जाता है, गंदी गालियां दी जाती हैं तथा लडकियों को छेड़ने की घटना बढ़कर कानून एवं सुव्यवस्था के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। नववर्ष के अवसर पर आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढती ही रहती हैं! इस ख्रिस्ती नए वर्ष ने युवा पीढ़ी को विलासवाद तथा भोगवाद की खाई में धकेल दिया है।

राजस्थान में ही 111 करोड़ की शराब पी गए

राजस्थान में न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर करोड़ों की शराब बिक्री हुई है। राजस्थान में नए साल के जश्न पर लोग 111 करोड़ रुपए की शराब पी गए। पिछले साल की तुलना में इस साल शराब की बिक्री में 35 से 40 करोड़ का इजाफा हुआ है। पिछले साल 30-31 दिसंबर को राजस्थान में 77 करोड़ 82 लाख रुपए की शराब बिक्री हुई थी।

इससे पहले साल 2019 में 104 करोड़ रुपए की शराब 30 और 31 दिसंबर के दिन गोदामों से बिकी थी। उस समय भी आयोजन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी।

ये आंकड़ा केवल राजस्थान का ही हैं वो भी पूरा आंकड़ा तो आना संभव नही है, क्योंकि गांवों में भी लोकल ब्रांड की दारू पी गई होगी।

केवल 1 राज्य में इतनी दारू पी ली तो दूसरे राज्यों को मिलाकर गिने तो 2500 करोड़ के आसपास हो जायेगा, अंग्रेजी नववर्ष हमारे देश की युवा पीढ़ी और देश को बर्बाद ही कर रही है।

इस माध्यम से हमें समझना चाहिए कि अंग्रेजों द्वारा थोपा गया नूतन वर्ष हमारा सांस्कृतिक, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पतन करता है जो राष्ट्र के लिए भी हानि करता है इसलिए हमें ऐसे त्यौहार से बचना चाहिए और अपने आसपास कोई गलती से नया साल मना रहा हो तो उसको भी समझाइये कि भाई ये हमारा त्यौहार नहीं है, हमारी संस्कृति सबसे महान है और वो नूतन वर्ष चैत्री शुक्लपक्ष प्रतिपदा को आएगा उस दिन हम सभी मिलकर धूमधाम से नववर्ष मनायेंगे। 1 जनवरी को केवल कैलेंडर ही बदलें, नहीं बधाई दें और अपना परिचित कोई बधाई देता है तो उसको समझायें कि हमारा नया साल 1 जनवरी नहीं है, चैत्री शुक्लपक्ष प्रतिपदा को आएगा।

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