9 October 2022
azaadbharat.org
जिस चर्च के बारे में कहा जाता था कि वहां जीसस की शिक्षाएं दी जाती हैं, लोगों को सच का मार्ग दिखाया जाता है, वहां के पादरी एक तरह से जीसस के दूत की तरह हैं, उस चर्च में वर्षों से ऐसा भयानक पाप हो रहा था, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। लोगों ने उस चर्च में अपने बच्चों को इसलिए भेजा था ताकि वह चर्च के ईसाई पादरियों के पास रहकर जीसस की शिक्षाओं को ग्रहण करेंगे, लेकिन वहां तो कुछ और ही होता था। जिन पादरियों को जीसस का दूत समझा जाता था, वो पादरी हैवान बन चुके थे। चर्च को बलात्कार का अड्डा बना दिया गया था,जहां लाखों बच्चों का यौन शोषण किया गया।
फ्रांस के एक स्वतंत्र आयोग ने अपनी जाँच में कैथोलिक चर्च में हुए बच्चों के यौन शोषण को लेकर जो आँकड़े दिए हैं वो वाकई खौफनाक हैं। आयोग का अनुमान है कि फ्रांस के कैथोलिक चर्च में पादरी, अधिकारी व अन्य लोगों ने मिलकर 1950 के बाद से 216,000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया। कुछ रिपोर्ट इन आँकड़ों को 3 लाख 30 हजार के करीब बता रही हैं।
रिपोर्ट जारी करने वाले आयोग के अध्यक्ष ज्यां मार्क सौवे ने कहा कि यह अनुमान वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित है। इसमें पादरियों और चर्च से संबद्ध लोगों और अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पीड़न के मामले शामिल हैं।
सौवे ने कहा कि यौन उत्पीड़न के शिकार होने वालों में 80 प्रतिशत लड़के थे,जबकि बाकी अन्य लड़कियाँ थीं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि बच्चों का उत्पीड़न 3000 से ज्यादा पीडोफाइल द्वारा किया गया। इनमें से दो तिहाई पादरी थे।
इस रिपोर्ट की बाबत मंगलवार को पोप ने दुख जाहिर किया और घटना के संबंध में पीड़ितों से माफी माँगी। वेटिकन प्रवक्ता ने बताया कि पोप ने स्वतंत्र आयोग की जाँच में सामने आए निष्कर्ष को दर्दनाक कहा। फ्रेंच में जारी एक बयान में प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने कहा, “उनके विचार सबसे पहले पीड़ितों की ओर जाते हैं, उनके (पीड़ितों के) दर्द पर बहुत दुख है और बोलने के उनके साहस के लिए आभार है।”
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले फ्रांस के स्वतंत्र आयोग ने अपनी जाँच में कैथोलिक चर्चों में 2,900 से 3,200 पीडोफाइल (एक प्रकार की मानसिक बीमारी, जिसमें व्यक्ति बच्चों के साथ सेक्स करने की इच्छा रखता है) की उपस्थिति का अनुमान लगाया था। फ्रांस के चर्चों के स्कैंडल और बाल शोषण के मामलों की जाँच के लिए इस आयोग को 2018 में गठित किया गया था। इस बात की जानकारी अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी एएफपी ने दी थी।
करीब 2500 पन्नों की आयोग की रिपोर्ट में साल 1950 से चर्चों में काम करने वाले पीडोफाइल के न्यूनतम अनुमानों को दिखाया गया। एएफपी ने बताया कि आयोग का गठन फ्रेंच कैथोलिक चर्च और दुनिया के अन्य चर्चों में हुए सेक्स स्कैंडल के बाद किया गया था। आयोग में कानून, चिकित्सा, इतिहास, समाजशास्त्र और धर्मशास्त्र सहित विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ 22 सदस्य शामिल हैं।
फ्रांस के बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एरिक डी मौलिन्स-ब्यूफोर्ट ने बताया था कि आयोग की रिपोर्ट ‘महत्वपूर्ण’ और ‘भयावह’ आँकड़े उजागर करेगी। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कैथोलिक चर्च संदिग्ध पीडोफाइल के खिलाफ किस तरह की प्रतिक्रिया देगा। एएफपी (AFP) के मुताबिक, ऐसे मामलों में आपराधिक मुकदमा चलाने की संभावना बहुत कम होती है।
ईसाई पादरियों पर यौन शोषण के लाखों मामले हैं लेकिन मीडिया का कैमरा व तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसपर मौन हो जाता है जबकि किसी पवित्र हिन्दू साधु-संत पर साजिश के तहत झूठे आरोप लगे तो भी मीडिया चिल्लाने लगती है। ऐसे बिकाऊ मीडिया की बातों में आकर कुछ ना समझ हिन्दू भी अपने साधु-संतों के बारे में गलत टिप्पणी करने लगते हैं। बिकाऊ मीडिया की बातों में आकर हिंदू धर्मगुरुओं के खिलाफ गलत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
Follow on
Facebook
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
http://youtube.com/AzaadBharatOrg
Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ